प्रमुख एक्सप्रैस ट्रेनों के रूट चेंज होने से पठानकोट रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा

punjabkesari.in Monday, Aug 20, 2018 - 03:22 PM (IST)

पठानकोट(आदित्य): चाहे हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों तथा मंदिरों की घंटियों की गूंज में प्रभु की आराधना करना है या फिर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर व मां वैष्णो के दरबार में जाना हो तो देश के किसी भी हिस्से का यात्री पठानकोट रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर अपना उक्त सपना साकार कर सकता है। पठानकोट सिटी रेलवे स्टेशन जम्मू-कश्मीर व हिमाचल के साथ संलग्न होने के चलते अपना विशेष महत्व रखता है लेकिन रेलवे विभाग की ओर से ट्रेनों को गति देने की कवायद के चलते पठानकोट सिटी रेलवे स्टेशन को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया है। अधिकारियों ने सिटी रेलवे स्टेशन से किसी भी तरह की लंबी दूरी की ट्रेनों की आवाजाही को लेकर पूरी तरह से चुप्पी साध ली है।

134 वर्ष पहले 1884 को स्थापित हुआ पठानकोट रेलवे स्टेशन अपने भीतर तीन सदियों की यादें समेटे हुए है। देश की आजादी से 62 वर्ष पहले रेलवे के नक्शे पर स्थापित पठानकोट रेलवे स्टेशन को 107 कि.मी.लम्बे अमृतसर-पठानकोट रेलवे लाइन के साथ जोड़ कर शुरू हुई थी। उस दौर में अंग्रेजी हुकूमत की देखरेख में गुरु की नगरी अमृतसर हेतु ट्रेन रवाना होती थी। 1915 को पठानकोट जंक्शन को जालंधर-मुकेरियां से जोडने हेतु रेलवे लाइन शुरू की गई। इसके बाद 1952 में मुकेरियां से पठानकोट लाइन को जोड़ कर जालंधर-दिल्ली के साथ पठानकोट रेल यातायात की शुरूआत की गई। 

कब अस्तित्व में आया चक्की बैंक स्टेशन 
शहर के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों ने बताया कि वर्ष 1952 में पठानकोट शहर से 4 कि.मी. की दूरी पर स्थित चक्की बैंक रेलवे स्टेशन की शुरूआत हुई जो अब पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जा रहा है। यहां से पहले चक्की पड़ाव हेतु खड्ड से रोड़ी-बजरी ले जाने हेतु ट्रेन जाती थी। चक्की बैंक रेलवे स्टेशन के विकसित होने के चलते धीरे-धीरे कई ट्रेनों को वहां पर रोका जाने लगा। 

2005 में पठानकोट रेलवे स्टेशन को लगा ग्रहण 
 इसके बाद वर्ष 2005 में रेलवे उच्चाधिकारियों की ओर से ट्रेनों की गति में तेजी लाने की कवायद के चलते पठानकोट रेलवे स्टेशन पर आने वाली मद्रास एक्सप्रैस को पठानकोट की जगह चक्की बैंक रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट कर दिया गया, जिसका स्थानीय दुकानदारों व शहर की समाज सेवी संस्थाओं व व्यापार मंडल की ओर से काफी विरोध किया गया लेकिन मद्रास एक्सप्रैस को वापस पठानकोट नहीं लाया गया। इसी के साथ पूरी तरह से गुलजार हो चुके पठानकोट रेलवे स्टेशन को एक तरह का ग्रहण लग गया।

इसके बाद भारी विरोध के बावजूद पठानकोट स्टेशन पर आने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों जेहलम एक्सप्रैस, सियालदाह एक्सप्रैस, हिमगिरी, शालीमार, लोहित एक्सप्रैस, राजधानी एक्सप्रैस, मालवा एक्सप्रैस इत्यादि को चक्की बैंक रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट करने के चलते पठानकोट रेलवे स्टेशन पर जहां हर समय यात्रियों का जमावड़ा लगा रहता था, वहीं अब एक तरह से विराना छाया हुआ है।

1971 को पठानकोट-जम्मू रेलवे लाइन हुई शुरू
 पठानकोट रेलवे स्टेशन को उस समय और भी आधार मिला जब 1971 को पठानकोट-जम्मू ब्राडगेज रेलवे लाइन का कार्य शुरू हुआ तथा 1975 को पठानकोट रेलवे स्टेशन से कश्मीर मेल तथा जेहलम एक्सप्रैस को जम्मू हेतु रवाना किया गया। पठानकोट-जम्मू रेलवे ट्रैक के शुरू होने के चलते देश के विभिन्न हिस्सों से वैष्णो माता तथा श्रीनगर हेतु हजारों टूरिस्टों का आना-जाना शुरू हो गया। धीरे-धीरे पठानकोट रेलवे स्टेशन की पहचान भारतीय रेलवे के नक्शे पर स्थापित हो गई। इस बीच देश ही नहीं विदेशों से भी टूरिस्टों का आना-जाना पठानकोट रेलवे स्टेशन पर शुरू हो गया, जिसके चलते पठानकोट रेलवे स्टेशन की पहचान देश के साथ-साथ विदेशी मानचित्र पर भी अंकित हो गई।  

यात्रियों को पेश आ रही समस्या
चक्की बैंक (पठानकोट कैंट) रेलवे स्टेशन से पठानकोट बस स्टेशन तथा शहर 4 कि.मी. की दूरी पर स्थापित होने के चलते पठानकोट आने वाले तथा वहां से बस व टैक्सी के रास्ते अन्य स्थानों पर जाने वाले रेलवे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि शहर से बाहर होने के चलते रात्रि के समय ऑटो चालक रेलवे यात्रियों को चक्की बैंक (पठानकोट कैंट) रेलवे स्टेशन पर ले जाने तथा छोडऩे हेतु मनचाहे पैसों की लूट करते हैं। इसके अलावा इतनी दूरी से आने वाले यात्रियों को रात्रि के समय लूट का भी डर बना रहता है। इसलिए जरूरी है कि पुलिस प्रशासन रेलवे स्टेशन से अपने घरों को जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा निश्चित की जाए और रास्ते में पुलिस की गश्त बढ़ाई जाए।

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