अपनी खुशियों व खुशहाली को हाथों से आग लगा रहे कई किसान

punjabkesari.in Friday, Apr 27, 2018 - 11:51 AM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत, विनोद): गेहूं की नाड़ को आग लगाने का मामला सरकार और किसानों के लिए बड़ी सरदर्दी का विषय बना हुआ है, क्योंकि रोजाना ही खेतों में आग लगने और लगाने की घटनाएं न सिर्फ किसानों का नुक्सान कर रही हैं। बल्कि इसके साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा है, और तो और खेतों में लगाई जाने वाली आग का सीधा प्रभाव मिट्टी के उपजाऊपन पर पडऩे के अलावा इस आग का धुआं मनुष्य के लिए जानलेवा बना हुआ है। इस तरह अपनी खुशियों व खुशहाली को हाथों से कई किसान आग लगा रहे हैं। उधर इस मामले में सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि बहुत किसान सरकार, खेती माहिरों और वातावरण प्रेमियों की अपीलों व दलीलों को नजरअंदाज करते हुए खेतों में आग लगाने से नहीं रुक रहे, जिनको सख्ती के साथ रोकने के लिए अब कृषि विभाग और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से अन्य संबंधित विभागों के सहयोग के साथ विशेष मुहिम शुरू की गई है क्योंकि कहीं आग के धुएं में आने वाली पीढिय़ों की खुशहाली ही न उड़ जाए। 

बुरी तरह प्रभावित होता है मिट्टी का उपजाऊपन  
एक एकड़ में गेहूं के नाड़ को जलाने के साथ तकरीबन 32 किलो यूरिया, 5.5 किलो डी.ए.पी. और 51 किलो पोटाश खाद जल जाती है, जिसके साथ धरती की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। हर साल इस आग के साथ होने वाले नुक्सान का लेखा-जोखा किया जाए तो सूबे में तकरीबन 35 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की फसल से लाखों टन गेहूं का अवशेष तैयार होता है। इसी तरह प्रत्येक साल करीब 23 मिलियन टन पराली पैदा होती है, परन्तु किसान आग लगा कर हर सीजन में करीब 0.94 लाख टन नाइट्रोजन, 0.48 लाख टन फासफोरस और 2.6 लाख टन पोटाश और लघु तत्व नष्ट कर देते हैं। यह आग मिट्टी के जैविक, भौतिक और रसायनिक गुणों को प्रभावित करती है, जिसके कारण अब बहु-संख्या खेतों की मिट्टी में जैविक मादा कम हो कर 0.02 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत तक रह गया है।  


मानवीय सेहत के लिए नुक्सानदेय  
माहिरों के मुताबिक इस आग के साथ करीब 244 लाख टन जहरीली गैसें पैदा होती हैं, जिनमें मुख्य तौर पर कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, मीथेन आदि हैं। इन खतरनाक गैसों के साथ मनुष्य को सांस लेने में तकलीफ, खांसी, जुकाम, दमा, एलर्जी, सांस नली का कैंसर, बुखार, सिरदर्द, टाइफाइड और आंखों में जलन आदि जैसी बीमारियां पैदा होती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 सालों में पंजाब में आंखों की जलन और सांस की बीमारी और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है।  

वनस्पति और पक्षियों के लिए घातक  
खेतों में लगाई जाने वाली आग अलग-अलग पौधों और वृक्षों समेत वनस्पति के लिए घातक होती है, क्योंकि हरेक साल आग की लपेट में आकर बेशुमार पेड़ तबाह हो जाते हैं। इसके साथ ही मित्र पक्षी और मित्र जीव भी ख़त्म हो जाते हैं, जिसकी वजह के बाद में फसलों के कीट-पतंगों को कंट्रोल करने के लिए जहरीली दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है।  

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