सरहदी जिलों में गेहूं की फसल पर पीली कुंगी का हमला

punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2020 - 09:19 AM (IST)

गुरदासपुर(हरमन) : पिछले कई दिनों से मौसम में आ रहे बदलावों के बाद अब गेहूं की फसल पर पीली कुंगी रोग के हमले का खतरा मंडराने लग पड़ा है। गौरतलब है कि जिला गुरदासपुर व पठानकोट में दर्जन के करीब खेतों में पीली कुंगी रोग का हमला दिखाई देने के बाद कृषि और किसान प्रशिक्षण विभाग ने किसानों को सचेत रहने की अपील की है।
इसके साथ ही गाजियाबाद से डायरैक्टोरेट आफ व्हीट डिवैल्पमैंट के टैक्निकल अफसर विनय कुमार ने भी इन जिलों का दौरा कर इस हमले संबंधी सर्वे किया है। इस मामले में खेती विशेषज्ञ किसानों को यह अपील कर रहे हैं कि वे घबरा कर या किसी डीलर की बातों में आकर किसी दवा का छिड़काव न करें।

कितना क्षेत्रफल है गेहूं की फसल तले
गुरदासपुर व पठानकोट के मुख्य कृषि अधिकारी डा. हरतरनपाल सिंह ने बताया कि गुरदासपुर में गेहूं की फसल तले 1 लाख 84 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल है, जबकि पठानकोट में 41 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल गेहूं की फसल तले है। उन्होंने बताया कि इस साल करीब 41 प्रतिशत क्षेत्रफल गेहूं की एच.डी. 3086 किस्म तले है, जबकि 26 प्रतिशत क्षेत्रफल 
में एच.डी. 2967 किस्म की काश्त की गई है। इसी तरह 16 प्रतिशत क्षेत्रफल में पी.बी.डब्ल्यू. 725 और 4 प्रतिशत क्षेत्रफल में पी.बी.डब्ल्यू. 343 उन्नत किस्म बीजी गई है।

एच.डी. 2967 की तरफ अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
अब तक पीली कुंगी रोग का हमला अधिकतर 2967 किस्म पर हुआ है जिसके तले करीब 26 प्रतिशत क्षेत्रफल है। इसके अलावा 3086 किस्म से संबंधित एक खेत में पीली कुंगी रोग की शुरुआत हुई है। इसलिए कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों का लगातार निरीक्षण करते रहें और यदि हमला देखने को मिले तो तुरंत खेती विशेषज्ञों से संपर्क करें।

10 स्थानों पर मिला पीली कुंगी रोग का हमला
डा. हरतरनपाल सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के फील्ड स्टाफ द्वारा लगातार इस बीमारी के हमले का पता लगाने के लिए सर्वे किया जा रहा था जिसके अंतर्गत अब तक इन दोनों जिलों में करीब 10 स्थानों पर पीली कुंगी रोग का हमला सामने आया है। इनमें से 4 मामले गुरदासपुर से संबंधित हैं जिनमें काहनूवान में ब्रजेश्वर सिंह के खेतों में करीब 1 कनाल क्षेत्रफल पीली कुंगी रोग की मार तले है। इसी तरह गांव गुन्नोपुर में गुरदीप सिंह और गुरविन्द्र सिंह के खेतों में भी हमला देखने को मिला है, जबकि गांव सुचैनिया में दारा सिंह की 2 एकड़ के करीब गेहूं की फसल पीली कुंगी रोग की मार तले आई है। इसके अलावा पठानकोट के कटारू चक्क, नीना चक्क सहित कई गांवों में भी यह हमला देखने को मिला है।

किसान गेहूं के पीलेपन को पीली कुंगी रोग न समझें
मुख्य कृषि अधिकारी ने स्पष्ट किया कि गेहूं के पीली पडऩे के अन्य भी कई कारण हो सकते हैं। इसलिए गेहूं का रंग पीला होने पर किसान यह न समझें कि फसल पर पीली कुंगी रोग का हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि पीली कुंगी रोग का हमला होने पर फसल के पत्तों पर पीले रंग का पाऊडर पैदा हो जाता है जो छूने पर हाथों को लग जाता है। यदि ऐसा पाऊडर हाथों को लगे तो ही किसान किसी दवा का छिड़काव करें।

हमला होने की दशा में ही किया जाए छिड़काव
डा. हरतरनपाल ने किसानों को सचेत किया कि वे फसल का निरीक्षण करते रहें, परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि किसान पीली कुंगी रोग के हमले से घबरा कर तुरंत अनावश्यक दवाओं का छिड़काव शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि यदि फसल पर पीली कुंगी रोग का हमला होता है तो 200 मि.ली. लीटर टिल्ट को 200 लीटर पानी में घोल कर खेत के केवल उसी हिस्से में छिड़काव करें जिस हिस्से में पीली कुंगी रोग का हमला हुआ है। इसके अलावा खेत के बाकी हिस्से में किसी भी दवा का छिड़काव करने की आवश्यकता नहीं है।

गाजियाबाद से पहुंचे विशेषज्ञ ने लिया जायजा
गाजियाबाद से तकनीकी विशेषज्ञ डा. विनय कुमार ने दीनानगर के गांव भटोआ, पठानकोट के गांव कटारू चक्क सहित अन्य गांवों में जाकर पीली कुंगी रोग से प्रभावित गेहूं का जायजा लिया, साथ ही अन्य ब्लाक में भी फसल की हालत देखी। इस दौरान उन्होंने किसानों से अपील की कि किसी भी तरह की ङ्क्षचता करने की आवश्यकता नहीं है और फसल की हालत भी बढिया है। केवल कुछ स्थानों पर पीली कुंगी रोग का प्रभाव दिखाई दिया है जिसको काबू करने के लिए कृषि विभाग ने किसानों के प्रभावित खेतों में तुरंत स्प्रे करवानी शुरू कर दी है।


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