जल संकट : खतरे के निशान को पार कर चुके हैं होशियारपुर के 4 ब्लॉक

punjabkesari.in Monday, Jun 18, 2018 - 02:41 PM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र): भले ही अभी होशियारपुर में शिमला, बीकानेर व महाराष्ट्र के लातूर जैसे हालात नहीं हैं लेकिन कंडी क्षेत्र अधीन पड़ते होशियारपुर व आसपास के क्षेत्रों में जिस तरह जमीनी पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है, उससे भविष्य में जिले में जल संकट जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। गत 10 साल में जिले में जलस्तर करीब 100 फुट से गिर कर 125-130 फुट तक पहुंच गया है।

यही नहीं, वाटर सैम्पल रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में जो वाटर सप्लाई 300 से 350 फुट नीचे से की जाती है, इससे ऊपर जो पानी उपलब्ध है, वह पीने लायक नहीं है। कृषि विभाग द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि हर साल जलस्तर डेढ़ से 2 फुट नीचे जा रहा है। यही नहीं, जिले के 10 ब्लॉकों का जलस्तर 2.5 से लेकर 41.50 मीटर तक नीचे गिर गया है वहीं इस समय जलस्तर का 99 फीसद ओवर-एक्सप्लाइटेशन हो रहा है।

कृषि विभाग की तरफ से जारी सूचना अनुसार होशियारपुर जिले में जिस रफ्तार से जलस्तर गिर रहा है, उसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। पंजाब के कुल 147 ब्लॉकों में से 118 ब्लॉकों में क्षमता से अधिक जल दोहन किया जा रहा है। होशियारपुर में ही ऐसे 4 ब्लाक हैं, जिनमें ओवर-एक्सप्लाइटेशन हो रहा है, इनमें दसूहा, टांडा, होशियारपुर-1 व गढ़शंकर आदि शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार इन 4 ब्लॉकों में हालात ये हैं कि यहां 128.75 फीसद जलस्तर का ओवर-एक्सप्लाइटेशन किया जा रहा है। 

धान कीफसल के लिए चाहिए सबसे ज्यादा पानी
गौरतलब है कि होशियारपुर जिला कंडी क्षेत्र में पडऩे के बाद भी यहां धान की खेती सबसे अधिक होती है। धान की फसल के लिए भी बहुत अधिक मात्रा में पानी चाहिए। इसी के मद्देनजर सरकार द्वारा सब-सॉयल वाटर कंजर्वेशन एक्ट लागू कर यह निर्देश दिए गए थे कि 20 जून के बाद ही किसान धान की फसल लगा सकेंगे। 20 जून के बाद बरसात शुरू हो जाती है। ऐसे में अंडरग्राऊंड वाटर की कम ही जरूरत पड़ती है, लेकिन फिर भी किसान मानने को तैयार नहीं दिख रहे। 

 

Anjna