खून से प्लेटलेट्स निकालने वाली किट के मूल्य को कम करे सरकार: डॉ.बग्गा

punjabkesari.in Saturday, Jan 09, 2021 - 03:38 PM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा): वर्तमान चिकित्सा प्रणाली में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन का प्रचलन दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। अंग प्रत्यारोपण, मज्जा प्रत्यारोपण, हृदय की शल्य क्रिया व कीमोथेरेपी के पश्चात एवं डेंगू जैसे रोगों में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ती है। प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन में सिंगल डोनर एफेरेसिज अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसमें प्लेटलेट्स दान करने वाले व्यक्ति के शरीर से रक्त लेकर प्लेटलेट्स अलग कर ली जाती है। एफेरेसिस तकनीक से प्लेटलेट्स निकालने पर इस समय 1 यूनिट का खर्च करीब 10 से 15 हजार रुपए तक आ जाता है। रक्तदान अभियान में विगत 4 दशकों से जुड़े डॉ.अजय बग्गा का कहना है कि सरकार को चाहिए कि खून से प्लेटलेट्स निकालने वाली किट के मूल्यों में कम करने की दिशा में पहल करते हुए टैक्स में रियायत प्रदान करे।

प्लेटलेट्स दान हेतु जागरुकता अभियान जरूरी
एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रति माइक्रोलीटर खून में 150000 से लेकर 450000 प्लेटलेट्स की संख्या होती है। जब प्लेटलेट्स की संख्या 150000 प्रति माइक्रोलीटर से नीचे होती है तो इसे कम प्लेटलेट्स संख्या माना जाता है। लेटलेट्स की सामान्य आयु 5 से 9 दिन होती है। रक्तदान अभियान से विगत 4 दशकों से जुड़े डॉ.अजय बग्गा का कहना है कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति 18 वर्ष से 65 वर्ष तक की आयु का जिसके रक्त में प्लेटलेट्स 2 लाख से अधिक हों प्लेटलेट्स दान कर सकता है। एक बार प्लेटलेट्स दान करने के पश्चात वहीं व्यक्ति 72 घंटे पश्चात फिर से प्लेटलेट्स दान कर सकता है। अधिकांश ब्लड बैंकों में जिस प्रकार का उपकरण उपलब्ध है उसके चलते माता-पिता को बच्चे एवं बच्चों को माता-पिता प्लेटलेट्स दान नहीं कर सकते। इस कारण प्लेटलेट्स का प्रबंध करने के लिए मरीजों के रिश्तेदारों व नजदीकियों को बहुत भटकना पड़ता है। जागरुकता के अभाव में आम जनता प्लेटलेट्स दान करने से झिझकती भी है। इसलिए प्लेटलेट्स दान हेतु जागरुकता अभियान की आवश्यकता है।

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प्लेटलेट्स क्या है
हमारे शरीर के रक्त में प्लेटलेट्स ऐसी कोशिकाएं होती है जो खून को बहने से रोकती है। प्लेटलेट्स खून में मौजूद तत्व होते हैं जो पानी रुपी द्रव और कोशिकाओं से बने होते हैं। इन कोशिकाओं में आक्सीजन को ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं भी शामिल होती है। शरीर में किसी भी कारण से रक्तवाहिता से रक्तस्त्राव होने पर प्लेटलेट्स के द्वारा ही खून को रोकने का कार्य किया जाता है। इनकी संख्या नियमित बनी रहना हमारे शरीर के लिए बेहद ही जरुरी होती है। किसी करणवश इनके कम या ज्यादा होने पर आपको कई तरह के रोग होना शुरू  हो जाते हैं।

रक्त से कैसे निकालते हैं प्लेटलेट्स
गौरतलब है कि खून से एफेरेसिस मशीन द्वारा प्लेटलेट्स निकालने के लिए पहले ब्लड डोनर के ब्लड ग्रुप व अनेक टैस्टों एच.आई.वी., पीलिया, सिफलिस इत्यादि की जांच होती है। मरीज का जो ब्लड ग्रुप होता है, उसी ग्रुप का डोनर होना चाहिए। डोनर को मशीन की चेयर पर लिटा दिया जाता है। उसके बाजू के रक्त नाड़ी में ट्यूब लगा दी जाती है। एक ट्यूब से ब्लड निकलता है। मशीन ट्यूब से ब्लड लेकर उसमें से प्लेटलेट्स को निकाल लेती है और बचा हुआ ब्लड दोबारा से डोनर के शरीर में चढ़ा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब 90 मिनट लगता है।

सभी ब्लड बैंकों में एफरेसिस महंगी होने के कारण नहीं है उपलब्ध: डॉ. बग्गा
इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एंड इम्यूनोहेमेटोलोजी पंजाब चैप्टर के संरक्षक डॉ.अजय बग्गा का कहना है कि सभी ब्लड बैंकों में एफेरेसिस महंगी तकनीक होने के कारण उपलब्ध नहीं है। एक मशीन की कीमत लाखों रुपए है वहीं इसके लिए ब्लड बैंकों में एक्सपर्ट स्टाफ जैसे तकनीशियन इत्यादि की भी आवश्कता पड़ती है। यदि डेंगू बीमारी से पीड़ित मरीज को 2 से 3 यूनिट की व्यवस्था करनी पड़ जाए तो 20 से 30 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। इसके अलावा रोगी को प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन करने का खर्च अलग से पड़ता है। ऐसे में आवश्यकता है कि सरकार मानव रक्त से प्लेटलेट्स अलग करने में प्रयोग होने वाली किट की कीमत कम करने हेतु टैक्स इत्यादि में कटौती करे। 
 


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Mohit

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