होशियारपुर के गांव बिछोही में हैजा फैलने से गांव में दहशत का आलम

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2019 - 07:27 PM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र): होशियारपुर के गांव बिछोही में गंदे पानी से होने वाले हैजा ने तेजी से पैर पसारने के मामले उजागर होते ही स्वास्थ विभाग सकते में है वहीं 1 की संदिग्ध हालात में मौत के बाद दहशत का आलम है। रविवार को डॉक्टरों की टीम गांव में पहुंच लोगों को उपचार का भरोसा दिलाया। गांव में कई बच्चे और युवक उल्टी दस्त से पीड़ित पाए गए, जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार अबतक बिछोही गांव में 119 मामलों में से 1 मामले में रिपोर्ट पाजीटिव भी आ गई है वहीं बांकी के रिपोर्ट का इंतजार है।

प्रदूषित पानी पीने से फैली गांव में बीमारी
गौरतलब है कि शुक्रवार से ही बिछोही गांव में अचानक लोगों को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। इसके बाद रोग एक घर से दूसरे घर तक फैलने लगा और तमाम लोग इसकी चपेट में आ गए। सूचना मिलते ही स्वास्थ विभाग के अधिकारी व वालंटियर गांव में पहुंच बीमार लोगों को दवाएं वितरित किया जाने लगा। डॉक्टरों के अनुसार गांव में पानी के निकासी सही नहीं होने से पीने वाले पानी के साथ गंदे पानी के मिलने से हैजा फैला है। अक्सर लोग शुरुआत में हैजा के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं जिसकी वजह यह समस्या गंभीर हो जाती है। हैजा के शुरुआती अवस्था में उल्टी व दस्त की समस्या होती है। अगर आपको एक-दो बार से ज्यादा ऐसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बैक्टीरिया से फैलता है हैजा
गौरतलब है कि संक्रमित आहार या पानी पीने से हैजा के बैक्टेरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद यह बैक्टेरिया तेजी से आंतो पर हमला करते हैं जिससे पतले दस्त व उल्टी की समस्या शुरु हो जाती है। शेलफिश द्वारा खाए जाने वाले कच्चे पदार्थ भी हैजा के स्रोत हो सकते हैं। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बीमार होने का कोई खतरा नहीं होता। हैजा का इंफेक्शन होने पर 3 से 6 घंटे में रोगी को बार-बार उल्टियां व दस्त लगने लगते हैं। कोई इलाज ना लेने पर धीरे-धीरे यह समस्या घातक रूप ले लेती है और रोगी का ब्लड प्रेशर कम होन लगता है।

क्या होता है हैजा के लक्षण
होशियारपुर सिविल अस्पताल में तैनात एपीडियोमोलॉजिस्ट डॉ.शैलेश कुमार का कहना है कि हैजे के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में हो जाते हैं तो वहां विष पैदा करते हैं, यह विष रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में जाता है और रोग बढ़ता है। इस रोग में जबरदस्त उलटियां व दस्त होते हैं। कई बार उलटी नहीं भी होती है और जी मिचलाता है व उलटी होने जैसा प्रतीत होता है। उलटी में पानी बहुत अधिक होता है, यह उलटी सफेद रंग की होती है। कुछ भी खाया नहीं कि उलटी में निकल जाता है। उलटी के साथ ही पतले दस्त लग जाते हैं और ये होते ही रहते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों में निकल जाता है। इस बीमारी में बुखार नहीं आता, बस रोगी निढाल, थका-थका सा कमजोर व शक्तिहीन हो जाता है। इस रोग में प्यास ज्यादा लगती है, पल्स मंद पड़ जाती है, यूरिन कम आता है व बेहोशी तारी होने लगती है। हैजा होने पर रोगी के हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं।  हैजे की शुरुआत होने पर रोगी की सांस टूटने लगती है। यूरीन में समस्या होती है और पीले रंग का होता है?  रोगी की नाड़ी तेज चलने लगती है और कमजोर रहती है। हैजा में ज्यादा बुखार नहीं होता, जैसा कि दूसरे इन्फेक्शन में होता है ।

स्वास्थ विभाग पूरी सतर्कता बरत रही है: सिविल सर्जन 
सम्पर्क करने पर सिविल सर्जन डॉ.जसवीर सिंह ने बताया कि मेरी जानकारी में अबतक 110 केस आए हैं जिनमें से सिर्फ 1 मामले में रिपोर्ट पाजीटिव आई है। स्वास्थ विभाग की तरफ से सैम्पल रिपोर्ट पर पूरी नजर रखी जा रही है। विभाग की तरफ से मरीजों को स्वास्थ सुविधाओं के साथ दवाईयां वितरित किया जा रहा है वहीं गांव में क्लोरीन का छिडक़ाव भी किया गया है।
 

Mohit