डूबते सूर्य को दिया पहला अर्घ्य: होशियारपुर के छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

punjabkesari.in Saturday, Nov 02, 2019 - 10:09 PM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र): लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन शनिवार को शहर के दर्जनों घाटों पर डूबते सूर्य को व्रतियों ने पहला अघ्र्य दिया वहीं रविवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। हम बाकी देवताओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं लेकिन भगवान सूर्य को हम साक्षात देखते हैं। दुनियां कहती है जिसका उदय होता है उसका अस्त होना तय है लेकिन छठ महापर्व का विचार दुनियां से अलग है जो अस्त होता है उसका उदय होना तय है। छठ के इस विचार में जीने की नई उम्मीद है। हताशा को हराने वाला जज्बा है और हार को जीत में बदलने की शक्ति के साथ सबकुछ खोकर भी फिर से पाने का हौसला है। इस सकारात्मक सोंच को यह ब्रत आगे की राह दिखाता है। इस छठ महापर्व में कोई दिखावा नहीं है। सादगी इस तपस्या की पहचान है, सात्विकता इस उपासना का उद्देश्य है, संयम धैर्य सिखाता है और स्वच्छता इस महापर्व की आत्मा है।

होशियारपुर के विभिन्न घाटों पर दिखा अद्भुत नजारा
छठ महापर्व के तीसरे दिन शनिवार को छठ व्रती नदियों,तालाबों सहित अपने घरों में भी अघ्र्य दिया वहीं शहर के भरवाईं रोड पर स्थित प्राचीन मंदिर ठाकुर द्वारा बावड़ी तुला माता वैष्णों धाम, के साथ साथ हरियाना रोड पर लक्ष्मी नारायण मंदिर, बहादुरपुर, सुखियाबाद, जे.सी.टी मिल परिसर चौहाल, सुंदर नगर, भीमनगर सहित जिले के विभिन्न स्थानों पर छठ पर्व के लिए बने विशेष छठ घाटों पर उमड़ पड़े श्रद्घालुओं की भीड़ की वजह से छठ महापर्व का अदभुत नजारा देखने को मिला। श्रद्घालु सिर पर पूजन सामग्री व प्रसाद लिए पैदल घाटों की तरफ बढ़ रहे थे वहीं कई स्थानों पर श्रद्घालु दंडवत हो घाट पर पहुंच रहे थे। पूजा घाट पर शुद्धता का ध्यान रखते हुए गंगाजल युक्त पानी से धोए गए गेहूं के आटे से घी और चीनी डालकर ठेकुआ को भी सूप में तैयार पूजन सामग्री में सजाकर उसे पूरी पवित्रता से रखा गया था। शहर में आज सुबह से ही छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, फल-फूल और सूप-दउड़ा खरीदने के लिए लोगों की काफी भीड़ देखी गई। 

आज दिया जाएगा उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य 
शनिवार को को व्रतियों ने घाट के जल में खड़े रहकर छठी मईया और डूबते सूर्यदेव का पूजन किया। फलों की टोकरी सूर्यदेव को अर्पण की गई। छठ व्रतियों ने जहां शनिवार को पहला अर्घ्य सूर्यदेव की पहली पत्नी प्रत्युषा को अर्पित किया गया वहीं आज रविवार को सुबह दूसरा अर्घ्य भगवान सूर्य की दूसरी पत्नी उषा को दिया जाएगा। आज रविवार सुबह उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। 

क्या है छठ पर्व की महिमा
छठ पर्व की महिमा के बारे में डॉ.शिवाधर चौबे, पंडित दीनबंधु शास्त्री, राम विनोद शास्त्री, शंभू नाथ झा, विनय शर्मा व अजय शर्मा ने बताया कि इस दिन दिए गए अघ्र्य का आध्यात्मिक-धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी यह पर्व हितकर है। ऋगवेद में सर्वव्यापक ब्रह्म और सूर्य में समानता का स्पष्ट बोध होता है। अर्थवेद के अनुसार आदित्य ही ब्रह्म के साकार स्वरूप हैं। यजुर्वेद सूर्य और भगवान में फर्क नहीं करता। सूर्य कालचक्र के महाप्रणेता हैं। आचार्य काशी कांत झा, विशेष झा, मुरली मनोहर झा ने बताया कि सूर्य की किरणों से ही प्रकृति में जीवन-चक्र चलता है। इन किरणों से ही धरती-प्रकृति और जन-जीवन में प्राण का संचार होता है।


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Mohit

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