आधुनिक जीवन शैली और तनाव है मधुमेह का प्रमुख कारण

punjabkesari.in Thursday, Nov 14, 2019 - 10:20 AM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र): हर साल 14 नवम्बर को पूरे विश्व में मधुमेह यानि डायबिटीज दिवस मनाया जाता है। आधुनिक जीवनशैली और तनाव इस खतरनाक बीमारी मधुमेह का मुख्य कारण है जो, सभी उम्र के लोगों को निशाना बना रही है। जागरूकता और एकजुटता के साथ ही इस बीमारी का मुकाबला किया जा सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट अनुसार भारत में पिछले 17 सालों में डायबिटीज सबसे तेजी से बढऩे वाली बीमारी है। हाल यह है कि देश में जिस तरह डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी आ रही है उससे अब वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरे विश्व में इससे पीड़ित लोगों के मामले में डायबिटीज की राजधानी में तबदील हो जाएगा। यदि बात आंकड़ों की करे तो रिपोर्ट अनुसार साल 2030 तक देश में होने वाली मौतों का 7वां सबसे प्रमुख कारण डायबिटीज होगा।

हालत बहुत चिंताजनक 
गौरतलब है कि साल 1980 में भारत में 1.19 करोड़ डायबिटीज के मरीज थे। 2016 में इनकी संख्या 6.91 और 2017 में 7.1 करोड़ व साल 2018 में बढ़कर 7.20 करोड़ हो गई। साल 1980 के मुकाबले 2014 में डायबिटीज पीड़ित महिलाओं की संख्या में 80 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। साल 2030 तक देश में 15 करोड़ डायबिटीज मरीज होने का अंदेशा है। देश में डायबिटीज से सालाना 10.5 लाख से अधिक मरीजों की मौत होती है। हैरानी वाली बात है कि अन्य देशों में अधिकांश डायबिटीज से पीड़ित लोग 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं, लेकिन भारत में 40 से 59 वर्ष के लोग इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा हैं, जोकि चिंताजनक है।

क्या है डायबिटीज
डायबिटीज जिसे सामान्यत: मधुमेह कहा जाता है। डायबिटीज में लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना, प्यास में बढ़ौतरी और भूख में वृद्धि होती है। डायबिटीज होने के 2 कारण होता है, पहला शरीर में इंसुलिन का बनना बंद हो जाए या फिर शरीर में इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाए। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। 

डायबिटीज का असर
डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्लड शूगर और ब्लड प्रैशर दोनों को नॉमर्ल रखना चाहिए। ब्लड शूगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में अक्सर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्लड प्रैशर, कोलेस्ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स, लकवा, इन्फैक्शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है। आप इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी रखने के साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें। 

डायबिटीज के रोगी क्या करें, क्या न करें
मैडीकल एक्सपर्ट डॉ. अजय बग्गा का कहना है कि डायबिटीज के रोगियों को एक डेली रूटीन बनाना बहुत ही जरूरी है। सुबह जल्दी उठकर नियमित व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए। साइकिं्लग, जिमिंग, स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक जरूर करने की आदत डालें। 40 की उम्र के बाद शूगर की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टैस्ट, लिवर फंक्शन टैस्ट, टी.एम.टी. जांच, रैटिना की जांच जरूर कराएं। डायबिटीज में आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। 


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