नीलामी के इंतजार में कबाड़ हो रहे थानों में जब्त वाहन

punjabkesari.in Saturday, Nov 02, 2019 - 04:27 PM (IST)

होशियारपुर(अमरेन्द्र): होशियारपुर के विभिन्न थानों में जब्त पड़े वाहनों की नीलामी नहीं होने से लाखों रुपए के वाहन थाने में बर्बाद हो रहे हैं। सड़क हादसे व अपराधियों से जब्त किए गए वाहन पुलिस के लिए सिरदर्दी बन रहे हैं, वहीं इनकी देख-रेख के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण ये सभी वाहन अब कबाड़ बन चुके हैं। 

नीलामी की प्रक्रिया है कठिन
मिली जानकारी अनुसार पिछले काफी समय से थानों में जब्त वाहनों की नीलामी नहीं हो रही है जबकि इस दौरान विभिन्न मामलों में पुलिस द्वारा सैंकड़ों वाहन जब्त किए गए हैं। जिले के थानों में पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों से थाना परिसर का एक बड़ा हिस्सा भी घिर चुका है। सूत्रों की मानें तो जब्त वाहनों की नीलामी कोर्ट के निर्देश पर होती है लेकिन प्रक्रिया जटिल होने की वजह से अधिक समय से वाहनों की नीलामी नहीं होने पर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें कई ऐसे वाहन भी हैं जो दुर्घटना तथा छोटे-मोटे कारणों से जब्त हैं। 

ये हैं नियम
नियमानुसार लावारिस जब्त वाहन के 6 माह बाद निपटारा करने की प्रक्रिया शुरू  की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 तहत पुलिस रिकॉर्ड में ले लेती है। बाद में कोर्ट में इसकी जानकारी दी जाती है। कोर्ट के निर्देशानुसार सार्वजनिक स्थानों पर उस वाहन की जानकारी दी जाती है ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू  की जाती है। पुलिस द्वारा अपराधियों से जिस प्रकार वाहन इत्यादि जब्त किए जाते हैं, उन्हें समय-समय पर अदालत में दिखाना पड़ता है। नियम है कि वाहन जिस हालत में जब्त हुआ हो उसी हालत में दिखाना होता है, लेकिन मौजूदा हालात बिल्कुल विपरीत हैं। मौजूदा हालात में व्हीकल को तो मालिक तक नहीं पहचान सकता। कानूनविदों के मुताबिक जब्त व्हीकल के सामान की देख-रेख की जिम्मेदारी भी पुलिस की ही होती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब्ती दौरान वाहन की जो कीमत होती है नीलामी दौरान उसका 10 प्रतिशत भी पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है।


नीलामी प्रक्रिया के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का किया गठन: एस.एस.पी.
सम्पर्क करने पर एस.एस.पी. गौरव गर्ग ने बताया कि जिले के सभी पुलिस स्टेशनों में पड़े जब्त वाहनों की सूची तैयार की जाती है। विभागीय तौर पर 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो इन जब्त वाहनों की स्क्रीनिंग किया करती है। पुलिस जब्त वाहनों को कोर्ट के निर्देश पर नीलामी प्रक्रिया के जरिए वाहन मालिकों को गाड़ी सौंपी जाती है। जिन पुलिस स्टेशन में बिना किसी कारण वाहन खड़े हैं उनकी भी लिस्ट मंगवाकर कोर्ट के निर्देश पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी ताकि लोग अपने गाड़ी ले जा सके। 


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