खुद की सेवा को तरसी लोगों की सेवा करने वाली 108 नंबर एम्बुलैंस

punjabkesari.in Monday, Jun 25, 2018 - 08:44 AM (IST)

जालंधर(शौरी): 108 नं. एम्बुलैंस की गाडियां जोकि घायलों को उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में फ्री में लेकर आती हैं, शुरू से ही अकाली दल व कांग्रेस सरकार के बीच क्रैडिट वार में फंसी रहीं। एम्बुलैंस की गाडियों का हाल बुरा हो चुका है, इनकी कोई फरियाद सुनना ही नहीं चाहता, एम्बुलैंस के ई.एम.टी. व ड्राइवरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

40 हजार किलोमीटर चलने के बाद हो रही सॢवस

108 की गाड़ी के ड्राइवर ने बताया कि वैसे तो नियम के मुताबिक 10 हजार किलोमीटर चलने के बाद एम्बुलैंस गाड़ी की सर्विस होनी चाहिए, लेकिन अब 40 हजार किलोमीटर चलने के बाद ही गाडिय़ों की सर्विस कम्पनी करवा रही है। बार-बार कहे जाने पर भी कोई सुनता नहीं। उन्हें ही पता है कि वे किस तरह मरीज को लेने जाते हैं और गाड़ी रास्ते में कई बार खराब तक हो जाती है।

और चलने की हालत में नहीं हैं 5 लाख किलोमीटर चल चुकी गाडियां
वैसे तो सड़कों पर दौडने वाले वाहन यदि अपनी निर्धारित किलोमीटर से अधिक चले तो वह फिर पहले जैसे नहीं रहते और उनकी रफ्तार व अंदरूनी भागों में खराबी आती है। ऐसे ही हाल 108 नं. की एम्बुलैंसों का हो चुका है। 5 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर तय करने वाली ये गाडिय़ां अब जवाब दे चुकी हैं। 

इतना ही नहीं एम्बुलैंस के अंदर स्ट्रैचर टूट चुका है, भीतर लगे ए.सी. तो कब के खराब हुए पड़े हैं और तो और पंखे भी उतर चुके हैं। गर्मी व बीमारी की हालत में मरीज कैसे सफर कर सकता है। हाल तो यह है कि स्वस्थ आदमी भी एम्बुलैंस में नहीं बैठ सकता तो बीमार व्यक्ति का हाल क्या होगा। कई गाडियों के टायर भी कंडम हो चुके हैं।

स्टाफ को समय पर नहीं मिल रह वेतन
108 की गाड़ी में ड्राइवर व ई.एम.टी. बीमार लोगों को सुविधा देते हुए उन्हें घरों से सरकारी अस्पतालों में उपचार करवाने के लिए लाते हैं लेकिन उनकी स्टाफ को वेतन समय पर नहीं मिल रहा। इस बात को लेकर हाल में ही स्टाफ ने प्रदर्शन तक किया था। स्टाफ का कहना है कि उनका वेतन 9800 फंड काट कर उन्हें मिलता है और ड्राइवरों को 9 हजार फंड काट कर मिलता है, कोई वेतन वृद्धि नहीं हुई, एम्बुलैंस चलाने वाले कम्पनी के खिलाफ बोलो तो कम्पनी उन्हें नौकरी से निकाल देती है। कुछ माह पहले ही काफी भारी मात्रा में स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने कम्पनी के खिलाफ बगावत की थी।

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