ऑटोमैटिड ड्राइविंग ट्रैक पर एजैंटों का कब्जा, ऑनलाइन सिस्टम की खामियों का उठाते हैं लाभ
punjabkesari.in Thursday, Nov 14, 2019 - 10:12 AM (IST)
जालंधर(चोपड़ा): ऑटोमैटिड ड्राइविंग ट्रैक पर एजैंटों ने कब्जा जमा रखा है और वे जनता के काम करवाने की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। ऑनलाइन सिस्टम में खामियां होने के कारण जनता एजैंटों के जरिए काम करवाने को मजबूर होती है। रोजाना साफ्टवेयर में गड़बड़ी, लाइसैंस मिलने में हो रही देरी व अन्य दिक्कतों से लोगों को परेशान होना पड़ता है। ट्रैक पर दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लाइसैंस बनवाने को आने वाले लोग कई घंटों तक लाइनों पर लगने को मजबूर होते हैं, जबकि एजैंटों के कामों व उनकी फाइलों को हाथों-हाथ निपटा दिया जाता है जिस कारण लोग एजैंटों को फीस देकर अपने काम करवाने को तवज्जो देने लग गए हैं।
ट्रैक की पार्किंग पर एजैंट सरेआम लोगों के दस्तावेज लेकर सौदेबाजी करते हैं और मनमाने दाम लेकर लोगों को वी.आई.पी. सुविधा दिला देते हैं। ट्रैक के बाहर बैठे एजैंटों की स्टाफ पर पकड़ इतनी मजबूत है कि वे अपने ग्राहक से संबंधित जानकारी को ट्रैक पर ड्यूटी कर्मचारी के मोबाइल पर फारवर्ड कर देते हैं और उक्त जानकारी मिलने पर संबंधित आवेदनकर्ता के पेपर वैरीफाई करने को बुलाकर टैस्ट के लिए उसका नंबर पहले लगा दिया जाता है। यहां तक कि ड्राइविंग टैस्ट पास होने के बाद अधिक फीस भरने वाले आवेदनकर्ता को लाइसैंस का प्रिंट भी कुछ ही समय में दिला दिया जाता है जबकि आम जनसाधारण को 2-2 महीनों तक लाइसैंस नहीं मिल पाता है।
शाहकोट व नकोदर का साफ्टवेयर रहा बंद, ड्राइविंग टैस्ट देने को लगी लंबी कतारें
4 दिन सरकारी छुट्टियां होने के बाद ट्रैक पर लाइसैंस बनवाने के लिए लंबी कतारें लगी रहीं, परंतु टैस्ट ड्राइव देने के दौरान होने वाली फोटो व बायोमीट्रिक साफ्टवेयर में शाहकोट व नकोदर से संबंधी साफ्टवेयर बंद रहा जिस कारण दोनों हलकों से आने वाले लोग खासे परेशान हुए। दोपहर 12 बजे के करीब साफ्टवेयर ने काम करना शुरू किया जिसके बाद लोगों को राहत मिली। जिक्रयोग्य है कि जालंधर शहर से संबंधित विधानसभा हलकों के अलावा करतारपुर, आदमपुर, शाहकोट, नकोदर व कैंट हलकों से संबंधित लाइसैंस बनाने के इच्छुक लोगों के ड्राइव टैस्ट इसी ऑटोमैटिड ड्राइविंग ट्रैक पर होते हैं।
फिल्लौर हलका में अलग ट्रैक बनने के कारण वहां के लोग शहर नहीं आते। अब दूर-दराज से आने वाले लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि फिल्लौर में अलग ट्रैक की भांति ग्रामीण हलकों में भी ऐसे ही ट्रैक की व्यवस्था की जाए। यहां एक जगह लाइसैंस बनाने की प्रक्रिया के कारण ज्यादा भीड़ हो गई है जिससे लगता है कि उनका सारा दिन लाइसैंस बनाने में ही बीत जाएगा। लोगों ने कहा कि ट्रैक पर ड्राइविंग टैस्ट देने के बाद उन्हें लाइसैंस हासिल करने के लिए न जाने कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस संबंध में ट्रैक इंचार्ज मनविंद्र सिंह ने कहा कि साफ्टवेयर में आ रही दिक्कतों के बारे में उन्होंने हैड-आफिस को आगाह कर दिया है और जल्द ही इस समस्या का पक्का समाधान निकाल लिया जाएगा।