बेअदबी कांड रिपोर्ट के बाद अकाली दल को नहीं मिल रहा भाजपा का साथ

punjabkesari.in Wednesday, Sep 12, 2018 - 11:43 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): बहबल कलां व बरगाड़ी में बेअदबी कांड की रिपोर्ट आने के बाद अकाली दल बैकफुट पर नजर आ रहा है। एक तरफ पार्टी के भीतर ही सीनियर लीडरशिप इसको लेकर खासी नाखुश है तो दूसरी तरफ अकाली दल की गठबंधन पार्टी भाजपा का भी उसे साथ नहीं मिल रहा है। भाजपा का हाल तो यह है कि उसके नेताओं को तो जैसे इस रिपोर्ट के आने के बाद सांप सूंघ गया है। न तो वे अकाली दल के हक में खड़े नजर आ रहे हैं और न ही खिलाफ में। ऐसे में आने वाले दिनों में भाजपा के लिए प्रदेश में दुविधा बढ़ सकती है। 

दरअसल लंबे समय से भाजपा प्रदेश में अकाली दल के छोटे भाई की भूमिका में नजर आ रही है। सत्ता में रहते हुए भी भाजपा ने अकाली दल की हर बात में हां से हां मिलाई। गलत फैसलों में उसके साथ पार्टी खड़ी रही जिसका नतीजा यह निकला कि भाजपा का हिंदू वोट बैंक पूरी तरह से छिटक कर कांग्रेस की झोली में चला गया। 22 सीटों पर चुनाव लडऩे वाली भाजपा प्रदेश में मात्र 3 सीटों पर सिमट कर रह गई। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के थिक टैंक का मानना था कि अगर पार्टी अकाली दल से अलग होकर प्रदेश में सिर्फ नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनावों में उतरती तो उसका प्रदर्शन बेहद अच्छा होता। अब जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट जैसे ही पूर्व सरकार के खिलाफ आई है और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सैनी कई तरह के सवालों के घेरे में आ रहे हैं तो भाजपा पूरे मामले को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

 दरअसल भाजपा भी प्रदेश में अकाली दल के साथ लंबा नहीं चलना चाहती। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रदेश में अकाली दल के साथ जुड़े रहना एक मजबूरी है मगर जिस तरह से भाजपा ने बेअदबी कांड रिपोर्ट के बाद अकाली दल से दूरी बना ली है उससे साफ जाहिर हो रहा है कि 2022 का चुनाव भाजपा प्रदेश में अकेले लडऩे के प्लान पर काम कर रही है। पार्टी नेताओं का भी मानना है कि अगर 2019 में दोबारा केंद्र में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनती है तो 2022 का चुनाव भाजपा प्रदेश में अपने स्तर पर लड़ सकती है। 

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