क्या एक सैंसर से ही मिल पाएगा ब्यास दरिया के पानी की क्वालिटी का सही आंकड़ा?

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 11:12 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): पंजाब सरकार का प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ब्यास दरिया में अमृतसर हाईवे वाले पुल के नीचे एक रियल टाइम सैंसर लगाने जा रहा है। तकरीबन 24 लाख रुपए में लगने वाले इस सैंसर द्वारा दरिया के पानी का क्वालिटी व उसमें घुलने वाले जहरीले नुक्सानदेह अंशों का पता लगाने की कोशिश की जाएगी। 

इस बारे विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष एक चीनी मिल द्वारा सैंकड़ोंं लीटर शीरा ब्यास नदी में छोड़े जाने के बाद अनेकों पानी के जीव मारे गए थे और ब्यास का पानी भारी मात्रा में प्रदूषित हुआ था। इसके बाद से ही एन.जी.टी. ने इस मामले में नोटिस लिया था लेकिन उसके बाद से ही ब्यास के पानी की गुणवत्ता को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पर केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का दबाव बढ़ता जा रहा है।इस दरिया में लगाए जाने वाले इस एक सैंसर के लगने से पहले ही सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। असल में जानकार बताते हैं कि इस प्रकार के सैंसर का असल काम तो यह होता है कि पीछे से बहते आ रहे पानी की क्वालिटी चैक की जाए और अगर पानी में कोई प्रदूषित अंश पाए जाते हैं तो उस पानी का सैंपल दरिया के रास्ते में आने वाले कारखानों व अन्य औद्योगिक इकाइयों से मिलाए जाएंगे, जिसके साथ उसके सैंपल मैच हो गए उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 परंतु जानकार विभाग के इस एकमात्र सैंसर पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि ब्यास दरिया में अनेकों स्थान ऐसे हैं जहां से छोटी-छोटी ड्रेंज इसमें दाखिल होती हैं। इसके अलावा कई ऐसे प्वाइंट हैं जिनके जरिए ड्रेंज में फैक्टरियों का ट्रीट किया और अनट्रीट पानी गिरता है। वह पानी ही किसी न किसी रास्ते दरिया मे आकर मिल जाता है। ऐसे में बजाय हर ड्रेन की एंट्री वाले स्थान पर दरिया में सैंसर लगाए जाएं। सिर्फ एक सैंसर लगाकर विभाग क्या पानी की क्वालिटी का सही आंकड़ा इकट्ठा कर सकेगा। कम-से-कम उन सारे प्वाइंट्स पर सैंसर लगाए जाने चाहिएं जहां से ड्रेनों का पानी ब्यास में दाखिल होता है। देखना होगा कि आखिर एक सैंसर लगाकर विभाग कैसे आंकड़े इकट्ठे करता है।

एक ही सैंसर की मिली अनुमति : विभाग अधिकारी
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल एक ही सैंसर की अनुमति मिली है लेकिन उनका मानना है कि हर ड्रेन की एंट्री प्वाइंट पर सैंसर लगने से ही सही आंकडें़ व वाटर क्वालिटी में प्रदूषण फैलाने वालों की पहचान संभव हो सकेगी। 

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