PVR में मॉक ड्रिल के बाद आराम फरमा रही थी पुलिस !

punjabkesari.in Sunday, Sep 16, 2018 - 08:56 AM (IST)

जालंधर (रविंद्र): मकसूदां थाने पर बम हमले के बाद देशभर की सुरक्षा एजैंसियां सतर्क हो गई हैं तथा उन्होंने अपनी जांच को भी तेज कर दिया है। एक तरफ भिंडरांवाला टाइगर फोर्स आफ खालिस्तान हमले की जिम्मेदारी ले रही है तो पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह किसी की शरारत है। सवाल यह उठता है कि अगर यह आतंकी हमला था तो यह पुलिस प्रशासन व खुफिया एजैंसियों की बड़ी विफलता है।


कुछ महीने पहले ही पुलिस ने पी.वी.आर. मॉल में मॉक ड्रिल की थी। पूछने पर पुलिस अधिकारियों का दावा था कि खुफिया एजैंसियों से आतंकी हमले का इनपुट मिला है, मगर इस मॉक ड्रिल के बाद जालंधर की पुलिस सो रही थी। खुफिया एजैंसियों के पास जालंधर के किसी थाने पर हमले का कोई इनपुट नहीं था। अगर यह आतंकी हमला था तो यह पुलिस प्रशासन की चौकसी व सतर्कता की धज्जियां उड़ाने वाला टारगेट था, क्योंकि जिस आसानी से थाने में 4 बम फैंकने के बाद आरोपी भागने में सफल रहे हैं, उससे भी पुलिस प्रशासन की सतर्कता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि हमले के 24 घंटे बाद भी पुलिस के पास हमला करने वालों को लेकर कोई इनपुट नहीं है। पूरा दिन सुरक्षा एजैंसियां सिर्फ इस बात को खंगालने में जुटी रहीं कि क्या यह आतंकी हमला था और हमले में किस तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस 2 पहलुओं से हमले की जांच कर रही है। पहला आतंकी हमले के मद्देनजर सारे सुराग जुटाए जा रहे हैं और आसपास के सी.सी.टी.वी. कैमरों को खंगाला जा रहा है। दूसरा ड्रग माफिया की गतिविधियों को लेकर हमले के पहलुओं की जांच की जा रही है।


सांप निकल जाने के बाद पुलिस पीटती रही लकीर  
वारदात के बाद जिस तरह से आरोपी आराम से भागने में सफल रहे और पुलिस को 2 घंटे सिर्फ इस बात को समझने में लग गए कि यह बम से किया हमला है, वह भी पुलिस की सतर्कता व कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है क्योंकि जब तक पुलिस इस बात को समझती कि थाने पर बम से हमला हुआ था, तब तक तो आरोपी शहर की हद से बाहर निकल चुके थे। पुलिस खुद 2 घंटे तक इस बात में उलझी रही कि यह विस्फोट सिलैंडर से हुआ है या कार की बैटरी से। 2 घंटे बाद मौके पर पहुंचे पुलिस कमिश्रर पी.के. सिन्हा ने इस बात की पुष्टि की थी कि यह हल्के बम से किया गया हमला है। कुल मिलाकर पूरा दिन पुलिस सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटती नजर आई।

जर्जर इमारत को मटियामेट करने का था इरादा
मकसूदां थाना शहर की सबसे जर्जर इमारत में चलने वाला थाना है। आधुनिक थानों के रूप में शहर के सभी थानों को नया रूप दे दिया गया था, मगर अकेला मकसूदां थाना ही ऐसा है जो पुरानी इमारत में चल रहा है। अगर यह आतंकी हमला था तो मकसूदां थाने की इमारत को मटियामेट करना उनके सबसे सॉफ्ट टारगेट पर था। जिस लो इंटैसिटी बम से हमला किया गया, उससे अच्छी इमारत को नहीं गिराया जा सकता था, मगर हमलावरों का इरादा इस जर्जर इमारत को मटियामेट कर दहशत फैलाने का था। दूसरा मकसूदां थाना इसलिए भी हमलावरों के लिए सॉफ्ट टारगेट था कि बाहरी इलाके में होने के कारण हमलावरों के लिए वारदात के बाद भागना आसान था। हमले के बाद या तो आरोपी विधिपुर फाटक की तरफ या फिर भगत सिंह कालोनी फ्लाईओवर की तरफ भागे होंगे। जब तक पुलिस को कुछ समझ आता, तब तक उनके लिए हाईवे के रास्ते भागना आसान होता।


टोल प्लाजा की सी.सी.टी.वी. फुटेज ली कब्जे में
सुरक्षा एजैंसियों ने जालंधर से पठानकोट, जालंधर से अमृतसर और जालंधर से लुधियाना की तरफ जाने वाले रास्तों पर पडऩे वाले सभी टोल प्लाजा की सी.सी.टी.वी. फुटेज अपने कब्जे में ले ली है। 

एरिया डिवीजन नंबर 1 का, हमला देहाती थाने में, जांच करेगी कमिश्नरेट पुलिस
शहर के थानों की हदबंदी इस तरह है कि डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा भी इसको लेकर हैरान नजर आए। जिस मकसूदां थाने में हमला हुआ, वह थाना तो देहाती पुलिस के अंतर्गत आता है, मगर इसकी हदबंदी कमिश्ररेट पुलिस के थाना नंबर एक के अंतर्गत आती है, इसलिए थाने पर हुए हमले की जांच कमिश्ररेट पुलिस व देहाती पुलिस दोनों को एक साथ करनी होगी। हमला देहाती थाने में हुआ और केस शहरी थाने में दर्ज करना पड़ा। जिस तरह से जर्जर इमारत में थाना चलाया जा रहा है, उसकी हालत पर खुद डी.जी.पी. ने भी ङ्क्षचता जाहिर की है। डी.जी.पी. की इस ङ्क्षचता से इस बात का सबक मिलता है कि जिला स्तर पर थानों की दुर्दशा के बारे न तो पुलिस प्रमुख को कोई जानकारी दी जाती है और न ही सरकार को कुछ बताया जाता है। 

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