डेढ़ साल बाद भी विधायक दल का नेता नहीं बना सकी भाजपा

punjabkesari.in Thursday, Dec 20, 2018 - 08:47 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): एक तरफ भाजपा मजबूती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 2019 लोकसभा चुनाव लडऩे की तैयारियों में व्यस्त है तो दूसरी तरफ पंजाब में भाजपा के हालात कुछ ज्यादा अच्छे दिखाई नहीं दे रहे हैं। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि पिछले डेढ़ साल से भाजपा प्रदेश में विधायक दल का नेता तक नहीं चुन सकी है। यानी विधानसभा में जनता हित का कोई भी मुद्दा उठाने में पार्टी पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। 

विधायक दल का नेता न होने के कारण पार्टी के विधायकों को विधानसभा में बोलने का समय भी कम मिल रहा है। गौर हो कि 2012 से लेकर 2017 तक जब अकाली-भाजपा प्रदेश की सत्ता में थे तो पार्टी ने वयोवृद्ध नेता भगत चूनी लाल को विधायक दल का नेता चुना था।  विधायक दल का नेता होने के कारण भगत चूनी लाल को मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ वाली कुर्सी नसीब होती थी। हालांकि यह बात अलग है कि 5 साल तक भगत चूनी लाल भी जनता की आवाज को विधानसभा में नहीं उठा पाए थे जिसका खमियाजा यह हुआ कि भाजपा पंजाब में मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद भी भाजपा ने पंजाब में कोई सबक नहीं लिया। 

मौजूदा समय में पार्टी के पास माझा रिजन से पठानकोट की सुजानपुर सीट से दिनेश बब्बू, दोआबा रिजन के फगवाड़ा सीट से सोम प्रकाश और मालवा रिजन के अबोहर सीट से अरुण नारंग विधायक हैं। पिछले डेढ़ साल में 6 के करीब विधानसभा के सैशन हो चुके हैं, मगर पार्टी पंजाब के प्रति कितना गंभीर है, का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी डेढ़ साल में विधायक दल के नेता ही नहीं चुन सकी है।  एक तरह से विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस को घेरने के लिए आम आदमी पार्टी, अकाली दल और लोक इंसाफ पार्टी के नेता ही दिखाई देते हैं मगर भाजपा के नेता शायद चुप्पी साध कर अपना समय गुजारना चाहते हैं।

जिला स्तर पर भी नई भाजपा इकाइयों का गठन हो चुका है, मगर भाजपा के वर्करों में अब पहले जैसा जोश कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। सभी जिलों में पार्टी के भीतर गुटबंदी भी इस कदर हावी है कि पार्टी कई धुरियों में बंट चुकी है। यही कारण है कि पार्टी न तो विधानसभा में मजबूती से अपना पक्ष रख पा रही है और न ही जनता के बीच। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव में पंजाब से भाजपा कैसे अपनी नैया पार लगाएगी।  

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