कैप्टन अमरेन्द्र का टार्गेट अकाली दल व भाजपा, ‘आप’ को मिला सॉफ्ट कॉर्नर

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 11:25 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): लोकसभा चुनावों के उपरांत पंजाब में विधानसभा चुनाव होने तय हैं परंतु पंजाब में मिशन-13 की विफलता के उपरांत कैप्टन सरकार फूंक-फूंक कर कदम रखने के मूड में हैं क्योंकि एक तो उपचुनावों के नतीजों का सीधा असर-2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों पर पड़ेगा, वहीं जिन विधानसभा हलकों में उपचुनाव होने हैं, उन पर कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी गठबंधन पार्टियां अकाली दल-भाजपा व आप पार्टी का कब्जा रहा है और कांग्रेस को इन सभी हलकों में त्रिकोणीय मुकाबले का सामना करना पड़ेगा। 

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र अभी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं हैं क्योंकि पंजाब में कांग्रेस के पास दो तिहाई बहुमत पहले से है, ऐसे में कैप्टन सरकार को पार्टी की प्रतिष्ठा को दाव पर लगाने का कोई औचित्य दिखाई नहीं देता। इसी वजह से कैप्टन वेट एंड वॉच की रणनीति पर चलते हुए ‘आप’ विधायकों के दिए इस्तफों से संबंधित सभी हलकों में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं। 

राजनीतिक सूत्रों की मानें तो विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने इसी कारण विगत दिनों विधायक सुखबीर बादल व सोम प्रकाश का इस्तीफा मंजूर कर लिया है, वहीं आम आदमी पार्टी से सबंधित 4 विधायकों के इस्तीफों पर फैसला ठंडे बस्ते में डाल कर ‘आप’ को एक तरह से साफ्ट कार्नर में रखा जा रहा है। जिक्रयोग्य है कि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल फिरोजपुर से लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद निर्वाचित हुए थे और फगवाड़ा से भाजपा विधायक सोम प्रकाश होशियारपुर सीट जीत कर मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं इसलिए अब  जलालाबाद व फगवाड़ा विधानसभा हलकों में उपचुनाव होंगे। ‘आप’ विधायकों ने लंबे समय से अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर को भेज रखे हैं।

भुलत्थ हलका से सुखपाल सिंह खैहरा ने इस्तीफा दिया है। वहीं उन्होंने भटिंडा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा है। दाखा से विधायक एच.एस. फुलका पार्टी को छोड़ विधायक पद से अपना इस्तीफा दे चुके हैं। लोकसभा चुनावों से पूर्व रोपड़ से ‘आप’ विधायक अमरजीत सिंह संदोहा व मानसा के ‘आप’ विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने ‘आप’ को छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। इनके अलावा एक अन्य हलका जैतो से ‘आप’ विधायक बलदेव सिंह ने इस्तीफा दिया और पीपुल्स डैमोक्रेटिव एलायंस के उम्मीदवार के रूप फरीदकोट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वह हार गए। 

अब विधानसभा स्पीकर के पास पहुंचे ‘आप’ विधायकों से संबंधित 

इस्तीफों पर फैसला लंबित कर लिया गया है, जिससे जाहिर होता है कि आने वाले महीनों में अभी कितने हलकों पर उपचुनाव होंगे, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि जलालाबाद व फगवाड़ा उपचुनावों में कांग्रेस का वर्चस्व कायम कर पाना कैप्टन के लिए कोई आसान काम नहीं होगा क्योंकि दोनों ही हलकों में अकाली दल व भाजपा पहले से ही मजबूत स्थिति में है। परंतु अगर ‘आप’ से संबंधित विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो कांग्रेस के लिए कुछ राहत जरूर मिलने की संभावना है क्योंकि लोकसभा चुनावों में  4 विधानसभा क्षेत्रों मानसा, भुलत्थ, जैतो व रोपड़ में कांग्रेस को लीड हासिल हुई है जबकि मात्र दाखा में कांग्रेस लोक इंसाफ पार्टी से पिछड़ गई थी। 

दलबदलुओं पर कांग्रेस की नजरें इनायत 
दलबदलुओं पर नजरें इनायत है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे चुके विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने की बजाय उन्हें विधानसभा की विभिन्न कमेटियों में मैंबर मनोनीत किया है। हालांकि विधायक एच.एस. फूलका इन दलबदलुओं की कतार में नहीं शामिल है परंतु उन्हें भी इस्तीफा देने के बावजूद विधान कमेटी का मैंबर बनाया गया है। विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता सुखपाल खैहरा जोकि ‘आप’ को छोड़ नई पार्टी को बना लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके है, उन्हें विधानसभा की कमेटी का मैंबर बनाया गया है। ऐसे ही विधायक अमरजीत सिंह सदोआ को 2 विधानसभा कमेटियों में शामिल किया गया है, उन्हें पटीशन कमेटी के साथ-साथ विशेष अधिकार कमेटी का भी मैंबर नियुक्त किया गया है जबकि विधायक नाझर सिंह मानशाहिया को लाईब्रेरी कमेटी का मैंबर बनाया गया है। सूत्रों की मानें तो उक्त नियुक्तियों में ‘आप’ विधायकों की शमूलियत मुख्यमंत्री खेमे के इशारों पर ही हुई है क्योंकि विधानसभा की घोषित सभी 13 कमेटी 31 मार्च 2020 तक काम करेंगी। 

जब 2 ‘आप’ विधायक कांग्रेस में तो उपचुनाव का जोखिम क्यों उठाएं
कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब आप पार्टी के 2 विधायक पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं तो ऐसे हालात में आम आदमी पार्टी से संबंधित विधायकों के इस्तीफों को मंजूर करके कांग्रेस उपचुनावों का जोखिम क्यों उठाए। उक्त कांग्रेस नेता का कहना था कि अमरजीत सिंह सदोआ, नाझर सिंह मानशाहिया लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे और अगर भगवान न करे कि कांग्रेस इन दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनावों में हार गई तो पार्टी के वर्चस्व पर बड़े सवालिया निशान खड़े हो जाएंगे।  जहां लोकसभा चुनावों में देश भर में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद नकारात्मक रहा है और मोदी लहर के चलते भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई है। ऐसे सूरते हाल में पंजाब कांग्रेस कोई नया जोखिम नहीं उठाना चाहती।  उन्होंने बताया कि सांसद जीतने के उपरांत सुखबीर बादल व सोम प्रकाश को 14 दिनों के भीतर संवैधानिक तौर पर विधायक पद से अपना इस्तीफा देना लाजमी था जिस कारण अब कांग्रेस केवल जलालाबाद व फगवाड़ा उपचुनावों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करेगी। 

swetha