वेतन न मिलने के कारण सिविल सर्जन दफ्तर के कर्मचारियों ने किया रोष प्रदर्शन
punjabkesari.in Wednesday, Aug 14, 2019 - 09:31 AM (IST)
जालंधर(रत्ता): सिविल सर्जन दफ्तर के स्टाफ को जुलाई महीने का वेतन न दिए जाने के कारण मंगलवार को सिविल सर्जन दफ्तर के कर्मचारियों ने रोष प्रदर्शन करते हुए राज्य सरकार व विभाग के उच्चाधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए रोष प्रदर्शन किया।
दि क्लास फोर गवर्नमैंट इम्प्लायज यूनियन, ड्राइवर यूनियन, एंटी लारवा यूनियन तथा पैरा-मैडीकल यूनियन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने रोष प्रदर्शन करते हुए कहा कि वेतन न मिलने के कारण उन्हें तथा उनके परिवार को परेशानियों का काफी सामना करना पड़ रहा है। यूनियनों के पदाधिकारियों ने कहा कि अधिकांश दर्जा चार कर्मचारियों ने लोन लिया हुआ है और वे उसकी किस्तें भी नहीं दे पा रहे। उन्होंने कहा कि अगर तुरंत उन्हें वेतन न दिया गया तो वे संघर्ष को तेज करते हुए सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज ठप्प करते हुए गेट पर बैठ कर रोष प्रदर्शन करेंगे।
इस अवसर पर दी क्लास फोर गवर्नमैंट इम्प्लाइज यूनियन के जिला चेयरमैन सुभाष चंद्र, प्रधान सुरेश टंडन, ड्राइवर यूनियन के प्रधान अवतार सिंह, पैरा-मैडीकल यूनियन के प्रधान हरजिन्द्र सिंह अनेजा, एंटी लारवा के प्रधान प्रेम प्रकाश, केशव चंद, अश्विनी कुमार, बख्शी सिंह, राज रानी, रमा रानी, गुरजीत कौर, हरीश कुमार, अनिल कुमार, गुरदीप सिंह, ङ्क्षहदपाल सहित कई कर्मचारी रोष प्रदर्शन में शामिल थे।
अधिकारियों को वेतन न मिलने की नहीं है कोई चिंता
रोष प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि चाहे सिविल सर्जन दफ्तर के पूरे स्टाफ के वेतन पर रोक लगी है और किसी को भी वेतन नहीं मिला फिर भी दफ्तर के बाबुओं और अधिकारियों को न जाने क्यों इसकी ङ्क्षचता नहीं है। पदाधिकारियों ने तो यहां तक कह दिया कि बाबुओं व अधिकारियों के घर का चूल्हा तो वैसे ही जलता रहता है इसलिए उन्हें कोई ङ्क्षचता नहीं।
वेतन पर रोक का यह बताया जा रहा है कारण
सिविल सर्जन दफ्तर के स्टाफ के वेतन पर रोक लगने का कारण यह बताया जा रहा है कि लगभग 20-25 वर्ष पहले मेहतपुर के स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात डा. कमलजीत ने माननीय अदालत में इस बात को लेकर केस किया था कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से अपने वेतन के लाखों रुपए लेने हैं। केस की सुनवाई करते हुए अदालत ने कुछ महीने पहले फैसला सुनाया था कि विभाग उक्त डाक्टर के बनते लगभग 86 लाख रुपए उसे तुरंत दे। उस वक्त तो विभाग ने उसे पैसे दे दिए जबकि कुछ महीने बाद चंडीगढ़ से यह नोटिस जारी हो गया कि स्वास्थ्य विभाग का जो नुक्सान (डा. कमलजीत को दिए पैसे) हो गया है, उसकी भरपाई के लिए सिविल सर्जन दफ्तर के पूरे स्टाफ का वेतन रोक दिया जाए।