दो किश्तियों में सवार हैं कांग्रेस के कई पार्षद, नहीं रहे मुंह दिखाने के काबिल

punjabkesari.in Monday, Jul 11, 2022 - 10:21 AM (IST)

जालंधर (खुराना): करीब 4 महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों दौरान सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में जबरदस्त फूट मची हुई थी। पंजाब लेवल पर जहां कांग्रेस कई गुटों में बंट चुकी थी, वही जालंधर की बात करें तो न केवल चारों विधायकों के मुंह अलग-अलग दिशा की ओर थे बल्कि कांग्रेस के ज्यादातर पार्षद भी सिर्फ अपना ही फायदा देखने में मस्त थे।

तब कई कांग्रेसी पार्षदों ने अपनी मां समान पार्टी की कोई परवाह नहीं की और कईयों ने तो अकाली-भाजपा और कईयों ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की खुलकर मदद की। कई पार्षदों पर तो दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों से पैसे तक लेने के आरोप लगे। विधानसभा चुनाव दौरान जालंधर निगम से संबंधित कांग्रेसी पार्षदों में जिस प्रकार जूतम पैजार मची हुई थी, उसका नतीजा यह निकला कि सशक्त समझे जाते दो कांग्रेसी विधायक राजेंद्र बेरी और सुशील रिंकू अत्यंत कमजोर समझे जाते आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों से हार गए। इन दोनों की हार का सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा था कि इनके अपने हलके के कांग्रेसी पार्षदों ने ही इनका साथ नहीं दिया और कई तो खुलकर दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों संग चले।

अब किस मुंह से मांगेंगे कांग्रेस पार्टी की टिकट

 

जालंधर में इस समय 65 कांग्रेसी पार्षद हैं परंतु उनमें से डेढ़-दो दर्जन ऐसे हैं जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र के विधायक की कोई मदद नहीं की बल्कि अंदरखाते उनकी जड़ों में तेल ही डाला।

चाहे इन चुनावों में बावा हैनरी और परगट सिंह जीत गए परंतु उनका विरोध कांग्रेस के कई पार्षदों ने किया। अब सवाल यह उठता है कि विधानसभा चुनाव दौरान जो पार्षद कांग्रेस के खिलाफ चलते रहे अब वह किस मुंह से कांग्रेस पार्टी की टिकट मांगेंगे या पंजे के निशान पर खड़े होंगे। ऐसा करने से उनके अपने वार्डों में ही उनकी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। ऐसे बगावती तेवरों वाले पार्षदों की राह में रोड़ा वह विधायक भी बनेंगे जो हार चुके हैं या जीत कर सब जानते हैं कि उनकी मदद किस-किस ने नहीं की।

अब आम आदमी पार्टी भी मुंह नहीं लगा रही

 

अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों विरुद्ध विधानसभा चुनावों में चलने वाले करीब दो दर्जन कांग्रेसी पार्षदों में से बहुतेरे ऐसे हैं जिन्होंने कुछ समय पहले आम आदमी पार्टी में जाने के सपने पाले हुए थे और कईयों ने तो ‘आप’ नेतृत्व संग बैठकें तक कर ली थी परंतु आज हालात यह हैं कि आम आदमी पार्टी का नेतृत्व ही ऐसे कांग्रेसियों को मुंह नहीं लगा रहा, पार्षद चुनाव में टिकट देने का वायदा करना तो बहुत दूर की बात है।

पता चला है कि विधानसभा चुनावों दौरान जिन कांग्रेसी पार्षदों ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन किया, अब वह विधायक या इंचार्ज भी कुछ कांग्रेसी पार्षदों को मुंह तक नहीं लगा रहे हैं और उनके वार्डों में ‘आप’ उम्मीदवारों को खड़ा किया जा रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि आगामी पार्षद चुनाव काफी दिलचस्प होंगे क्योंकि ज्यादातर कांग्रेसी पार्षद दो किश्तियों में सवार दिख रहे हैं।

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News Editor

Kalash

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