'वालीबाल का शौकीन था यासीर और मोबाइल पर खेलता था PUBG  गेम'

punjabkesari.in Friday, Oct 12, 2018 - 12:00 PM (IST)

जालंधर (विनीत):  गत दिवस पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकियों के बारे में जब उनके सहपाठियों से इनपुट जुटाने की कोशिश की गई तो उन्होंने उनके आतंकी होने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार की संदिग्ध हरकतें नहीं करते थे।

पब्जी गेम खेलने का था शौक

‘मैं पिछले 3 वर्षों से यूसुफ को जानता हूं, पढ़ाई में वह शुरू से ही बहुत होशियार रहा। जब मैं उससे पहली बार मिला तो मुझे उसकी नेचर अच्छी लगी और हमारी दोस्ती हो गई। पहले वह किसी पी.जी. में रहता था और फिर अगले साल समैस्टर-3 व 4 के दौरान उसने इंस्टीच्यूट के होस्टल में दाखिला ले लिया। यूसुफ सभी के साथ बहुत ही अच्छे से व्यवहार करता और किसी से भी उसका कभी मनमुटाव नहीं रहा, क्योंकि वह किसी से न तो कभी बहस करता और न ही लड़ता। हम सभी सुबह और शाम को मिलकर वालीबाल खेलते थे, यूसुफ का पसंदीदा खेल ‘वालीबाल’ ही था, उसका वह चैंपियन था, यूट्यूब पर भी वह वालीबाल के मैच ही देखता रहता और उसे बॉलीवुड फिल्में देखने का भी शौक था। मोबाइल में वह पब्जी गेम बहुत खेलता था। क्रिकेट यूसुफ को खेलना अच्छा लगता था, कभी-कभी हम आपस में क्रिकेट के मैच भी लगाते, परन्तु टी.वी. पर क्रिकेट मैच देखने का उसे कभी शौक नहीं रहा। खाने-पीने में यूसुफ चिकन का बहुत शौकीन था, जब भी चिकन की कोई डिश बनती तो वह उसे खाने में सबसे आगे रहता। मैं, यूसुफ और अजलान कमरा नंबर-109 में रहते थे, परन्तु अब वह कमरा नंबर-94 में रहता था। जाहिद गुलजार को भी मैं थोड़ा-बहुत जानता था, वह भी पढ़ाई में बहुत होशियार था, वर्ष 2016 के जे.ई.ई. मेन्स में भी उसने अच्छा स्कोर किया था, जिसमें उसके 146 माक्र्स थे। दोनों का पुलिस द्वारा इस तरह से पकड़े जाना सभी के लिए आश्चर्यजनक बना हुआ है। उनसे जब भी सम्पर्क में थे, तो कभी भी कोई संदिग्ध हरकत करते हुए उन्हें नहीं देखा।’’
-खलीलुल्लाह इम्तियाज (बी.टैक.) 

कमरा नंबर-94 में कभी नहीं हुई भारत-पाक क्रिकेट की चर्चा 

‘मैं जाहिद गुलजार के साथ पिछले वर्ष एप्लाइड आर्ट्स विभाग में उसका क्लासमेट था, यूसुफ से भी जाहिद के साथ ही मुलाकात हुई  थी। दोनों का सभी के साथ व्यवहार बहुत ही अच्छा था, चाहे वह कश्मीरी हो या नॉन-कश्मीरी। उनके बारे में पुलिस की कार्रवाई देखकर जहां हम काफी हैरान हैं, वहीं होस्टल वार्डन, फैकल्टी मैंबर भी इस बात को हजम नहीं कर पा रहे। हम सभी मिलकर वालीबाल मैच खेलते थे। उनकी अच्छी नेचर देखकर ऐसा हम कभी सोच भी नहीं सकते कि वे किसी संदेहास्पद घटना में संलिप्त हो सकते हैं। होस्टल के कमरा नंबर-94 में कभी भी भारत-पाक क्रिकेट मैच की कोई बात होती ही नहीं थी, सिर्फ वालीबाल की ही चर्चा होती रहती। आज कालेज में वालीबाल के ट्रायल थे, परन्तु दोनों यूसुफ की गेम के प्रति इतनी पकड़ देखकर उसे ट्रायलों से पहले ही सिलैक्ट किया हुआ था और कोच ने भी उसे ही अन्य लड़कों को सिलैक्ट करने की जिम्मेदारी दी थी। कालेज में भी कभी किसी स्टूडैंट्स के साथ उन्होंने कोई झगड़ा नहीं किया और वे किसी की बात में भी दखल अंदाजी नहीं करते थे। मोबाइल व लैपटॉप में बॉलीवुड मूवीज देखने के वे बहुत शौकीन थे।
 साकिब (बी.टैक.) 


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