स्मार्ट सिटी के जिला प्रशासनिक कार्यालय में गंदगी का साम्राज्य

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 09:41 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): स्मार्ट सिटी के प्रशासनिक कार्यालय में गंदगी का साम्राज्य बना हुआ है, जोकि यहां स्थित दर्जनों विभागों के अधिकारियों के स्वच्छता अभियान के दृष्टिकोण, विभागीय चेतना और उनकी कर्मठता को प्रमाणित करता है। हालांकि इस काम्पलैक्स में डिप्टी कमिश्नर, एडीशनल डिप्टी कमिश्नर, एस.डी.एम., सब रजिस्ट्रार, आर.टी.ओ., तहसीलदार, पुलिस कमिश्नर सहित दर्जनों पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय हैं परंतु किसी भी अधिकारी का प्रशासनिक कार्यालय की दुर्दशा की तरफ कोई ध्यान नहीं है। 

प्रशासनिक कार्यालय में हर तरफ गंदगी व कूड़े के ढेर, जगह-जगह बिखरा मलबा, सीवरेज का ओवरफ्लो होता गंदी पानी, पाईपों से साफ पानी की होती बर्बादी के नजारे हर तरफ दिखाई देते हैं। गंदगी के ढेरों से उठने वाली बदबू के चलते प्रशासनिक काम्पलैक्स में आने वाले रोजाना हजारों लोगों को संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहता है। काम्पलैक्स में कई स्थानों पर बड़े-बड़े खड्डे खोदे हुए हैं परंतु इन्हें भरा नहीं गया है, जिस कारण हर समय लोगों के चोटिल होने का खतरा बना रहता है।
 
प्रशासन की तरफ से शहर के साफ-सुथरा रखने को लेकर जनता को जागरूक करने को अनेक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। अधिकारी जोकि स्कूलों, कालेजों में जाकर व अन्य संगठनों को शहर को साफ-सुथरा रखने का संकल्प दिलाते हैं परंतु उनके खुद के कार्यालयों की दुर्दशा ऐसे अभियान को मुंह चिढ़ाते हैं। हालांकि जालंधर स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल है और स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे करोड़ों रुपयों के प्रोजैक्टों व रैंकिंग सुधारने को लेकर सारी गतिविधियों का संचालन खुद डिप्टी कमिश्नर की अगुवाई में होता है, परंतु जो अधिकारी अपना घर ही साफ-सुथरा नहीं रख सकते उनसे जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर कितनी खरी उम्मीदें की जा सकती हैं। 

यूं तो शहर में नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों के चलते लोग डिप्टी कमिश्नर के समक्ष गुहार लगाते हैं परंतु अब डिप्टी कमिश्नर कहां गुहार लगाए, यह भी जनता के लिए बड़ा सवाल बन गया है। हालांकि 3-4 दिनों पहले डिप्टी कमिश्नर ने स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा प्रशासनिक काम्पलैक्स के आसपास के क्षेत्रों में सफाई अभियान की शुरूआत की थी परंतु लगता है कि वह अपने घर की सफाई व्यवस्था को लेकर बिल्कुल अंजान हैं वर्ना वह इस अभियान को आसपास के क्षेत्रों की बजाय काम्पलैक्स के अंदर शुरू करवाते।

काम्पलैक्स बना डेंगू के लारवे की फैक्टरी
शहर में आजकल डेंगू का प्रकोप फैला हुआ है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। हैल्थ विभाग की टीमें पिछले 2-3 महीनों से शहर भर के क्षेत्रों में घरों की चैकिंग कर साफ पानी के कंटरों की जांच करती हैं और लारवा पाए जाने पर उसे नष्ट करवा देती हैं। लारवा मिलने पर लोगों के चालान काटकर जुर्माना भी वसूला जाता है, परंतु विभाग की टीमें अगर प्रशासनिक काम्पलैक्स का रुख करें तो दर्जन के करीब स्थानों पर डेंगू के लारवा फैक्ट्रियां मिल जाएंगी परंतु हैल्थ विभाग के कर्मचारी प्रशासन के बड़े अधिकारियों के कार्यालयों की जांच करने की हिम्मत कैसे जुटा सकते हैं।

मालखाने के बाहर कूड़े का विशाल ढेर, वर्षों पुराना रिकार्ड भी असुरक्षित
काम्पलैक्स के एक छोर में स्थित मालखाने के साथ कूड़े के विशाल ढेर लगे हैं, जिससे मालखाने में रखा 100 वर्षों से भी ज्यादा का जमीनी रिकार्ड भी असुरक्षित हो गया है। गंदगी के लगे अम्बार खुद ही ब्यां करते हैं कि यहां जमा कूड़ा पिछले कई हफ्तों से उठाया नहीं गया है। डम्प भी पूरी तरह से लबालब भर चुका है। अगर भगवान न करे कि देर-सवेर कोई कूड़े को आग लगाने की शरारत कर दे चिंगारियां मालखाने को अपनी चपेट में ले सकती हैं।

बैन पॉलिथीन कैरीबैग्स व थर्मोकोल की प्लेटें जगह-जगह बिखरी मिली  
पंजाब सरकार ने राज्य में पॉलिथीन को पूरी तरह से बैन कर रखा है, जिसको लेकर सरकारी विभाग पॉलिथीन व थर्मोकोल की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करता है। डिप्टी कमिश्नर सहित वरिष्ठ अधिकारी लोगों को कपड़े के बैग्स को उपयोग करने को प्रेरित करते हैं। इसके अलावा शहर में लंगर लगाने वाले संगठनों को पत्तल की प्लेटों के उपयोग करने की हिदायतें दी जाती हैं, परंतु काम्पलैक्स में ऐसे नजारे देख लोग कहते सुने जाते हैं कि क्या यहां सरकार के नियम लागू नहीं होते। 

Edited By

Sunita sarangal