जालंधर के कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात बरकरार, दूषित पानी से फैलने लगी बीमारियां

punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2019 - 10:58 AM (IST)

शाहकोट: शाहकोट सब-डिवीजन के अधीन आते लोहियां के गांव जानियां चाहल, गट्ट मुंडी कासु, जलालपुर खुर्द व मंडियाला में धुस्सी बांध टूटने व अन्य 6 गांवों के नजदीक सतलुज दरिया में बने 6 एडवांस बांध टूटने के कारण इलाके के 20 गांवों में पानी भर चुका है। बाढ़ प्रभावित इन गांवों के लोग अपने घरों की छतों पर रह रहे हैं। गिद्दड़पिंडी गांव की बात करें तो यहां अभी भी बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। पानी का बहाव यहां थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस बीच गंदे पानी के जलभराव के कारण गांवों के लोग बीमारियों का शिकार होने लगे हैं। 



वहीं गंदे पानी से ग्रामीण डायरिया, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, फंगल संक्रमण और दूषित पानी और खराब स्वच्छता के कारण त्वचा रोग से पीड़ित हैं। गिद्दड़पिंडी और मंडला चन्ना गांवों में लगभग 40 प्रतिशत लोग फफूंद और त्वचा रोगों से पीड़ित हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों के पास किसी भी एमरजैंसी स्थिति हेतु दवाइयों का कोई खास प्रबंध नहीं है। इसी कारण बीते दिन लोहियां के गांव मुंडी शहरियां के निवासी बलबीर सिंह की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। वहीं, कुछ लोग अपना घर-बार छोडऩे को तैयार नहीं हैं। 

पानी उबाल कर पीएं और बासी खाना न खाएं 
बौरी अस्पताल के प्रमुख डा. चंद्र बौरी एम.डी. मैडीसन का कहना है कि बाढ़ के कारण पीने का पानी भी दूषित हो जाता है, जिसके फलस्वरूप पीलिया, टायफाइड, उल्टियां, दस्त और पेट से संबंधित बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है, साथ ही पानी में मच्छर पैदा होने के कारण डेंगू, मलेरिया होने का खतरा भी बना रहता है। डा. बौरी ने बताया कि सिर्फ इन दिनों में ही नहीं बल्कि बाढ़ का पानी सूख जाने के बाद भी पानी उबाल कर या उसमें क्लोरीन की गोलियां मिलाकर पीएं। बासी या खुले में रखे खाद्य पदार्थ न खाएं।


वहीं त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. आर.एस. छाबड़ा ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को फोड़े, फुंसियां, खारिश, स्कैबीज होने का खतरा हर वक्त इसलिए बना रहता है क्योंकि एक तो उन्हें नहाने की समस्या होती है, दूसरा मैले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि वातावरण में नमी होने के कारण किसी भी प्रकार के तेल एवं टैलकॉम पाऊडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

Vatika