डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने आहलूवालिया के दूसरी बार जारी किए अरैस्ट वारंट

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 08:45 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन तो शायद अरैस्ट/नॉन-बेलएबल अरैस्ट वारंटों का रिकार्ड बनाने की तरफ लगातार बढ़ते जा रहे हैं और राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी सरकारी विभाग के चेयरमैन की इतनी बड़ी तादाद में वारंट इश्यू हो रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने अपने आदेशों की अवहेलना करने पर 2 अलग-अलग केसों में ट्रस्ट चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के पुलिस कमिश्नर के मार्फत अरैस्ट वारंट निकाले थे और उन्हें गिरफ्तार कर 10 फरवरी को पेश करने के आदेश जारी किए थे परंतु इन केसों में न तो चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया फोरम के समक्ष पेश हुए और न ही पुलिस कमिश्नर कार्यालय की तरफ से फोरम में कोई रिपोर्ट पेश की गई। इस पर फोरम ने इन केसों में ट्रस्ट चेयरमैन के दूसरी बार अरैस्ट वारंट निकाले हैं और केस की अगली सुनवाई 18 मार्च को निर्धारित की है।

जिक्रयोग्य है कि इन केसों में एक केस सूर्या एन्क्लेव एक्सटैंशन के अलॉटी प्रेम वालिया और दूसरा केस गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू के अलॉटी स्व. डा. डी.डी. ज्योति के पुत्र सुविक्रम ज्योति से संबंधित है। फोरम ने इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट से संबंधित इन केसों में पिछली सुनवाई के दौरान ट्रस्ट को लताड़ लगाते हुए अलॉटी डा. डी.डी. ज्योति के साथ गैर-सहयोगी, लापरवाह, बेरुखे व अभिमानी रवैए के चलते उन्हें शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रताड़ित होने तक का जिक्र भी अपने फैसले में किया परंतु इसके बावजूद भी ट्रस्ट चेयरमैन व अधिकारियों का इन केसों के प्रति अपनाया जा रहा बेरुखा रवैया बेहद हैरानीजनक है। 

केस नं. 1 : ट्रस्ट की गलती को ठीक करवाने के लिए 9 सालों से धक्के खा रही बुजुर्ग महिला, सी ब्लाक को लिख दिया था डी 
प्रेम वालिया पत्नी मदन गोपाल वालिया, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, अर्बन एस्टेट फेस-1 की निवासी बुजुर्ग महिला ट्रस्ट की गलती को ठीक करवाने को लेकर पिछले 9 सालों से धक्के खाने को मजबूर हो रही है। उल्लेखनीय है कि अलॉटी ने बैंक से कर्जा लेकर ट्रस्ट को प्लाट की 21 लाख 56 हजार 125 रुपयों की पूरी पेमैंट की अदायगी कर दी थी। इस मामले में प्रेम वालिया को 23 दिसम्बर 2011 को सूर्या एन्क्लेव एक्सटैंशन में पैंशन कैटेगरी में प्लाट नं. 162 सी अलॉट हुआ था परंतु ट्रस्ट ने जब अलाटमैंट लैटर जारी किया तो अलॉट हुए प्लाट का नंबर 162 सी की बजाय 162 डी लिख दिया था। अलॉटी ने इस गलती को दुरुस्त करवाना चाहा परंतु उनकी कोई सुनवाई नही हुई। यहां तक कि ट्रस्ट ने अलॉटी को प्लाट का कब्जा भी नहीं सौंपा। 

प्रेम वालिया ने अपनी कोई सुनवाई न होती देख मई 2017 में डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में ट्रस्ट के खिलाफ केस दायर किया। फोरम ने 8 जुलाई 2019 को अलॉटी के पक्ष में फैसला करते हुए आदेश जारी किए कि अगर ट्रस्ट ने अलॉटी से कोई पेमैंट बकाया वसूलनी है तो उसे लेकर 2 महीनों में प्लाट का कब्जा दे। फोरम के आदेशों के बावजूद जब ट्रस्ट ने उसे पूरा न किया तो अलॉटी ने 22 अक्तूबर 2019 को फोरम में एक्सीक्यूशन दायर की। फोरम ने 7 जनवरी 2020 को अपने नए फैसले में आदेशों की अवेहलना करने को लेकर ट्रस्ट चेयरमैन की अरैस्ट वारंट जारी किए थे। इसके बाद अब लगातार इस केस में भी दूसरी बार अरैस्ट वाटंर जारी हुए हैं। 

केस नं. 2 : एल.डी.पी. कोटे से अलॉट हुए प्लाटों का 10 वर्षों में कब्जा नहीं दे पाया इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट
अलॉटी स्व. डा. डी.डी. ज्योति के पुत्र सुविक्रम ज्योति निवासी प्रेम नगर जालंधर को 10 वर्षों में भी एल.डी.पी. कोटे से प्लाट का कब्जा न मिलने पर अलॉटी ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में वर्ष 2017 में ट्रस्ट के खिलाफ केस दायर किया था। अलॉटी ने बताया कि उनके पिता स्व. डा. ज्योति को गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में 15 जून 2009 को लोकल डिस्प्लेस्ड पर्सन (एल.डी.पी.) कोटे में 250-250 गज के 2 प्लाट जिनके नं. 142 व 143 अलॉट हुए थे। उन्होंने जुलाई 2009 को दोनों प्लाटों का 2,24,750 रुपयों के हिसाब से बनता 4,49,500 रुपया ट्रस्ट में जमा करवाया था। इसके अलावा नवम्बर 2009 को दोनों प्लाटों की पहली किस्त में 3,02,250 रुपए भी जमा करवा दिए। 

अलॉटी ने बताया कि उन्हें 17 दिसम्बर 2019 को ट्रस्ट का एक पत्र मिला जिसके साथ दोनों प्लाटों की किस्तों से संबंधित ट्रस्ट में जमा करवाए ड्रॉफ्ट भी लगे थे। ट्रस्ट का कहना था कि आपको अलॉट हुए दोनों प्लाटों से संबंधित जांच पंजाब सरकार के पास लंबित है जिस कारण ट्रस्ट आपकी किस्तें जमा नहीं कर सकता और जब जांच पूरी हो जाएगी तब ट्रस्ट आपसे किस्तें वसूल कर लेगा। अलॉटी सुविक्रम ने बताया कि उनके पिता ने 2 वर्ष इंतजार करने के बाद 12 जनवरी 2011 को ट्रस्ट को पुन: किस्तें जमा करवा कर प्लाटों का कब्जा मांगा परंतु उन्हें कब्जा देने की बजाय उलटा ट्रस्ट अधिकारियों ने उन्हें शारीरिक व मानसिक तौर पर परेशान किया जिसके बाद वर्ष 2014 में उनका निधन हो गया। 

इस केस में फोरम ने 18 मार्च 2019 को फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किए कि ट्रस्ट अलॉटी से पेमैंट लेकर उसे एक महीने के भीतर दोनों प्लाटों का कब्जा दे। इसके अलावा अलॉटी को 20 हजार रुपए मुआवजा और 7 हजार रुपए कानूनी खर्च का भी भुगतान किया जाए। ट्रस्ट ने फोरम के आदेशों को नहीं माना जिस पर सुविक्रम ने 3 अक्तूबर 2019 को फोरम में एक्सीक्यूशन लगाई जिस पर डिस्ट्रिक्टफोरम ने 7 जनवरी 2020 को ट्रस्ट चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के पहले अरैस्ट वारंट निकाले थे।  


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Edited By

Sunita sarangal

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