वरियाणा डम्प पर पलटी डिच, ड्राइवर को लगी चोट

punjabkesari.in Monday, Dec 16, 2019 - 10:43 AM (IST)

जालंधर(खुराना): शहर के 80 वार्डों में से प्रतिदिन 500 टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है जिनमें से थोड़ा-बहुत कूड़ा फोल्ड़ीवाल डिस्पोजल तथा अन्य स्थानों पर बने पिट्स इत्यादि में जाता है जबकि 95 प्रतिशत से ज्यादा कूड़ा अभी भी शहर के मेन डम्प वरियाणा में जा रहा है, जिसकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। वरियाणा डम्प की हालत सुधारने के लिए नगर निगम हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है परंतु इसके बावजूद कोई पक्का हल नहीं निकाला जा सका।

कल वरियाणा डम्प में एक बड़ा हादसा होते-होते टला जब कूड़े की ढलान खिसकने से एक डिच मशीन ही पलट गई और उसके ड्राइवर संजीव को बाजू पर चोटें आईं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि एक पलटी खाने के बाद डिच रुक गई वर्ना बड़ा हादसा हो सकता था। वहीं डम्प पर लगी दूसरी डिच के चालक ने दुर्घटनाग्रस्त हुई डिच के ड्राइवर को बचाया और उसे सीधा किया।

कूड़े से भरे टिप्पर को पहाड़ पर चढ़ाती हैं डिचें
वरियाणा डम्प की बात करें तो वहां करीब 10 लाख टन कूड़ा जमा हो चुका है, जिसके बड़े-बड़े पहाड़ बने हुए हैं। पहाड़ की चोटी तक जाने के लिए घुमावदार रास्ते तैयार किए हुए हैं ताकि कूड़ा ऊपर पहुंचता रहे। इसी प्रक्रिया के तहत पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। कूड़े से भरे टिप्पर को पहाड़ पर चढ़ने में मुश्किलें पेश न आए इसलिए टिप्पर को पीछे से डिच मशीन द्वारा धक्का लगाया जाता है इस काम के लिए बी. एंड आर. विभाग की 2 डिचें वहां हर समय कार्यरत रहती हैं। कल भी एक डिच टिप्पर को धक्का लगाकर चढ़ाई वाला रास्ता पार करवा रही थी कि नीचे से कूड़े की ढलान खिसक गई और डिच पलट गई।

न जाने कब शुरू होगा बायोमाइनिंग प्लांट
नगर निगम की सैनीटेशन शाखा के इंचार्ज डा. श्रीकृष्ण ने अढ़ाई साल पहले यानी जून, 2017 में दक्षिण भारत जाकर वहां सफलतापूर्वक चल रहे बायोमाइनिंग प्लांट को देखा था और अपनी रिपोर्ट निगम प्रशासन को दी थी, जिसके बाद निगम ने इसे वरियाणा में लगाने का फैसला लिया। आज अढ़ाई साल बीतने के बाद भी यह प्रोजैक्ट शुरू नहीं हो पाया और टैंडरिंग प्रोसैस में ही अटका हुआ है। इस समय शहर की सबसे बड़ी जरूरत कूड़े को मैनेज करने की है जिसकी ओर नगर निगम या सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता कोई ध्यान नहीं दे रहे। स्वच्छ भारत मिशन को जालंधर में लागू हुए कई साल हो चुके हैं और इस मिशन के तहत जालंधर निगम को करोड़ों रुपए की ग्रांट भी मिल चुकी है। इसके बावजूद वरियाणा डम्प के कूड़े को ठिकाने लगाने का अभी तक कोई प्रयास नहीं हुआ।

सालों-साल से वहां कूड़े के पहाड़ों पर चढ़ने की समस्या आ रही है, जिसके लिए बड़ी-बड़ी डिच मशीनों का सहारा लेकर कूड़े को इधर-उधर ही किया जाता है। सालों से वरियाणा डम्प पर बायोमाइनिंग प्लांट लगाने की बातें चल रही हैं परंतु यह कार्य इतना धीमी गति से चल रहा है कि शायद ही इस सरकार के कार्यकाल में यह प्लांट शुरू हो सके। इतने महत्वपूर्ण काम के लिए निगम द्वारा लगाई जा रही देरी इसकी क्षमता पर प्रश्रचिन्ह खड़ा कर रही है।

Edited By

Sunita sarangal