कोहरे के कारण आलू की पैदावार कम होने की आशंका

punjabkesari.in Friday, Jan 11, 2019 - 06:52 PM (IST)

जालंधरः पंजाब में दिसंबर में आलू की कम कीमत मिलने से आहत किसानों को फरवरी मार्च में निकलने वाले आलू की कीमत में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। फ्लाई नामक बीमारी और कोहरे की मार के कारण आलू की फसल की कम पैदावार होने की आशंका है जिसकी वजह से कीमतों में कुछ सुधार होने की संभावना है। आलू उत्पादन की प्रति किलोग्राम लागत लगभग पांच रुपए है जबकि मंडियों में पिछली फसल तीन से चार सौ रुपए प्रति क्विंटल बिकी थी जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 

जालंधर जिले में इस बार एक लाख हेक्टेयर रकबे में आलू की फसल की बुवाई की गई है लेकिन कोहरे के कारण आलू फसल को फ्लाई नामक बीमारी लग गई है जिसके कारण आलू की पैदावार कम होने की आशंका है। फरवरी में निकलने वाले आलू की फसल की लगभग 27 लाख टन पैदावार होने के आसार हैं। आलू किसान जगजीत सिंह ने बताया कि राज्य में आलू किसानों के लिए कोई भी योजना नहीं होने के कारण किसानों को आलू संबंधी जानकारी नहीं मिलती। 

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि आलू की खेती के लिए योजना तैयार की जाए जिसके तहत राज्य को तीन भागों में बांटकर आलू की खेती करवाई जाए। उन्होंने बताया कि किसानों को जानकारी नहीं होने के कारण सभी किसान आलू की बुवाई करते हैं तथा बम्पर फसल होने पर कम कीमत मिलने पर नुकसान उठाना पड़ता है। सिंह ने सुझाव देेते हुए कहा कि अमृतसर, होशियारपुर और नवांशहर आदि के किसानों को खाने वाले आलू की खेती करनी चाहिए। जालंधर और कपूरथला की जमीन बीज वाले आलू के लिए उपयुक्त है, इसलिए इन क्षेत्रों में बीज वाले आलू की खेती की जानी चाहिए जबकि पटियाला, मोगा और फतेहगढ़ आदि में व्यापारिक उदेश्य के लिए आलू की खेती करने से आलू किसानों को लाभ होगा। 

बागवानी विभाग के आलू विशेषज्ञों से बात करने पर उन्होंने बताया कि अन्य कारणों के अलावा किसानों द्वारा आलू के विपणन में रुचि नहीं लेना भी नुकसान का एक कारण है। उन्होंने बताया कि पंजाब के किसान खुद मंडियों में जाकर अपनी फसल बेचने के बजाय बड़े व्यापारियों या प्रवासी मजदूरों पर निर्भर करते हैं। अगर किसान आलुओं को छोटे पैकेटों में बंद कर खुद किसान मंडियों में जाकर बेंचे तो उन्हे ज्यादा फायदा हो सकता है। राज्य में अन्य फसलों की तर्ज पर आलू के लिए सरकार की कोई नीति नहीं है। फसल को किसी प्रकार का नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा आदि देने का कोई प्रावधान नहीं है। उल्लेखनीय है दो वर्ष पूर्व राज्य में खरबूजा की फसल को भारी नुकसान हुआ था और तत्कालीन सरकार ने किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन सर्वेक्षण करवाने के पश्चात कभी किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया।

Mohit