कैसे भरेंगी टॉप इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों की सीटें?

punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 09:58 AM (IST)

जालंधर (सुमित): भारत में इंजीनियरों की डिमांड चाहे बरकरार है पर इंजीनियर बनने की इच्छा रखने वालों की गिनती जरूर कम होने लगी है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से लगातार इंजीनियरिंग के टॉप संस्थानों में सीटें खाली ही रह रही हैं।

 

JEE एडवांस क्वालीफाई करने वालों की संख्या में गिरावट 
इस बार भी कुछ ऐसा ही माहौल दिख रहा है, क्योंकि इस बार तो जे.ई.ई. एडवांस का टैस्ट पास करने वालों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई। जहां साल 2017-18 में जे.ई.ई. एडवांस की परीक्षा को 50,455 विद्यार्थियों ने पास किया था वहीं इस वर्ष (2018-19 में)  जे.ई.ई. एडवांस को पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 18,138 पर ही सिमट कर रह गई । ऐसे में यह एक बड़ा सवाल बन कर उभरा है कि देश के टॉप इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों की सीटें क्या पूर्ण रूप से भर पाएंगी या पिछले सालों की तरह खाली रह जाएंगी? बीते वर्ष 50 हजार स्टूडैंट्स होने के बावजूद आई.आई.टीज में सीटें खाली रह गई थीं। इस बार तो स्टूडैंट्स ही 18 हजार हैं। देशभर में आई.आई.टीका में 11 हजार के करीब सीटें हैं। इनमें दाखिला लेने के लिए जे.ई.ई. एडवांस की परीक्षा को पास करना जरूरी होता है। इस वर्ष 2 लाख से भी अधिक विद्यार्थियों ने जे.ई.ई. एडवांस की परीक्षा दी परन्तु सफलता मात्र 18 हजार विद्यार्थियों के ही हाथ लगी। ऐसे में यह भी जरूरी नहीं है कि पहले 11 हजार विद्यार्थी आई.आई.टीज की सभी सीटें भर देंगे। कई विद्यार्थी आई.आई.टी. के मोह को त्याग कर अपने आसपास के  नामवर कालेजों में एडमिशन ले लेते हैं, जिससे आई.आई.टीका की सीटें भी खाली रह जाती हैं।

गर्ल्ज स्टूडैंट्स की भागीदारी भी घटी
जहां जे.ई.ई. एडवांस में पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या इस बार काफी कम रही है वहीं गर्ल स्टूडैंट्स की भागीदारी भी कम हुई है। बीते वर्ष गर्ल स्टूडैंट्स की भागीदारी 14 फीसदी के करीब थी, जो इस बार कम होकर 12 फीसदी के करीब रह गई। लड़कियों की संख्या बढ़ाने के लिए आई.आई.टीज में गल्र्ज सीटों की संख्या बढ़ाई गई है परन्तु इन सीटों के लिए अधिक से अधिक गल्र्ज का क्वालीफाई करना भी जरूरी है।

Vatika