एफ. एंड सी.सी. द्वारा पास 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट वाला टैंडर भी रद्द हुआ

punjabkesari.in Thursday, Mar 05, 2020 - 08:40 AM (IST)

जालंधर(खुराना): शहर की 65 हजार के करीब स्ट्रीट लाइटों को जलाने-बुझाने तथा उन्हें मैनटेन करके की एवज में नगर निगम हर साल प्राइवेट ठेकेदारों को 4 करोड़ रुपए के टैंडर जारी करता है परंतु इस बार नगर निगम में इन टैंडरों को लेकर जहां बड़ा स्कैंडल सामने आ रहा है वहीं 4 करोड़ के इन टैंडरों तथा नगर निगम को इस बार इनमें हो रहे 2 करोड़ रुपए के प्रॉफिट का भी मजाक उड़ाकर रख दिया गया है।

नगर निगम ने कुछ माह पहले जब स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस के टैंडर लगाए थे तो पुराने चल रहे ठेकेदारों ने आपस में पूल कर लिया था और निगम को मात्र 4 प्रतिशत डिस्काऊंट ऑफर किया था जिस कारण निगम को सिर्फ 16 लाख रुपए की बचत होनी थी। मामला पंजाब केसरी में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ जिसके बाद निगम ने चौथी बार यह टैंडर प्रकाशित किए परंतु कुछ चहेते ठेकेदारों को इस मैंटीनैंस के काम में शामिल करवाने के लिए महत्वपूर्ण शर्त उड़ा दी गई कि टैंडर लेने वाले को स्ट्रीट लाइट के कामों का तजुर्बा होना चाहिए।

चौथी बार टैंडरों को स्टार रेट शर्त पर ही लगाया गया, जिसके तहत एक ठेकेदार गुर्रम इलैक्ट्रीकल ने एक जोन का टैंडर 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर भर दिया। इसी टैंडर प्रक्रिया में शामिल 2 अन्य ठेकेदारों भागवत इंजीनियर्स तथा गुप्ता ठेकेदार ने 24.99 प्रतिशत डिस्काऊंट देकर 3-3 जोनों के टैंडर भर दिए।

टैंडर प्रक्रिया के जानकार बताते हैं कि जो टैंडर स्टार रेट पर लगाया जाता है, उसमें कम लैस देने वाले ठेकेदारों को भी सबसे ज्यादा लैस देने वाले ठेकेदार के रेट पर काम करना पड़ता है। इन टैंडरों को जब नगर निगम की एफ. एंड सी.सी. की बैठक में रखा गया तो वहां भी बड़ा खेल खेले जाने के आरोप लगे हैं।

पुराने ठेकेदारों का कहना है कि नियमों के अनुसार सभी 7 जोनों के ठेके सर्वाधिक यानी 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर दिए जाते तो ठीक था और निगम को 2 करोड़ की बचत होनी थी परंतु एफ. एंड सी.सी. ने गलत फैसला लेते हुए सबसे ज्यादा डिस्काऊंट देने वाले ठेकेदार को तो मना लिया परंतु बाकी 2 ठेकेदारों पर स्टार रेट लागू नहीं किया और उनके टैंडर री-काल करने के आदेश दिए। यह बाद की बात है कि इन जोनों के कुछ दिन बाद लगने जा रहे टैंडरों में स्टार रेट वाली शर्त ही उड़ा दिए जाने का कार्यक्रम था।

अब एफ. एंड सी.सी. ने जिस एक जोन का टैंडर 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर स्वीकार कर लिया था, उसे भी लोकल बॉडीज के डायरैक्टर कार्यालय द्वारा रद्द कर दिए जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। चाहे नगर निगम जालंधर के अधिकारी इस जोन के टैंडर रद्द होने की पुष्टि नहीं कर रहे और मेयर जगदीश राजा भी शहर से बाहर थे इसलिए निगम में नई चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि एफ. एंड सी.सी. द्वारा गलत फैसला लेकर एक जोन का काम करवाने और 6 जोन के टैंडर रद्द किए जाने के मामले को ठप्प करने के लिए ही एक जोन का टैंडर भी रद्द करवा दिया गया है।

इसके पीछे मुख्य वजह यही मानी जा रही है कि पुराने स्ट्रीट लाइट ठेकेदारों ने एफ. एंड सी.सी. की मनमानी तथा गलत फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में जाने की घोषणा कर दी थी। यदि यह केस हाईकोर्ट चला जाता तो जहां एफ. एंड सी.सी. के मैम्बरों पर बात आ सकती थी वहीं नगर निगम के संबंधित अधिकारी भी फंस सकते थे। सम्भवत: इसी चक्करों से बचने के लिए एक जोन का टैंडर, जिसमें ठेकेदार गुर्रम इलैक्ट्रीकल ने 48.90 प्रतिशत का डिस्काऊंट दिया था, उसे भी रद्द करवा दिया गया।

अब विजीलैंस के पास भी जा सकता है मामला
स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस के 4 करोड़ के टैंडरों के साथ हाल ही में जो खिलवाड़ हुआ है और निगम को जो 2 करोड़ की बचत होनी थी, वह भी हाथ से चली गई इसलिए इस पूरे खेल की शिकायत विजीलैंस पास भी हो सकती है। अगर विजीलैंस इन टैंडरों के बारे में निष्पक्ष जांच शुरू कर दे तो इसकी तपिश दूर-दूर तक जा सकती है। आने वाले समय में कहीं यह मामला अगर हाईकोर्ट चला गया तो इसका खमियाजा एफ. एंड सी.सी. और निगमाधिकारियों को भुगतना पड़ सकता है।

पिछली बार सभी पर लगा था स्टार रेट
स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस के पिछले साल लगाए गए टैंडरों की बात करें तो उस समय एफ. एंड सी.सी. ने ही सभी ठेकेदारों पर स्टार रेट लगाया था। उस समय जिस ठेकेदार ने 13-14 प्रतिशत डिस्काऊंट भरा था, उससे 33.33 प्रतिशत डिस्काऊंट पर काम करवाया गया। इसी तरह पिछले साल गुर्रम इलैक्ट्रीकल ने संभवत: 18 प्रतिशत डिस्काऊंट ऑफर किया था परंतु उसे भी स्टार रेट के तहत 15 महीने 33.33 प्रतिशत लैस पर काम करना पड़ा। इस बार एफ. एंड सी.सी. द्वारा सभी ठेकेदारों पर स्टार रेट लागू क्यों नहीं करवाया जा सका, इसके पीछे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है।

एफ. एंड सी.सी. ने किस आधार पर की सभी जोनों की पेशकश
नगर निगम की एफ. एंड सी.सी. की गत दिवस हुई आपात बैठक में स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस के टैंडरों पर जब चर्चा हुई तो वहां गुर्रम इलैक्ट्रीकल से संबंधित ठेकेदार को बैठक में बुलाया गया। इस ठेकेदार ने चूंकि सबसे अधिक यानी 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर एक जोन का टैंडर भरा था इसलिए इसे कानूनन एक जोन का टैंडर ही अलॉट हो सकता था परंतु उसे बैठक में बुलाकर यह पेशकश की गई कि क्या वह इस डिस्काऊंट पर सारे शहर यानी सभी 7 जोनों का काम करने को तैयार है। 

विशेषज्ञ मानते हैं कि एफ. एंड सी.सी. के पास ऐसी कोई पावर नहीं है कि वह एक जोन का टैंडर भरने वाले ठेकेदार को सभी 7 जोनों का टैंडर अलाट कर सके। वहीं दूसरी ओर बाकी 6 जोनों का टैंडर भरने वाले ठेकेदारों पर भी स्टार रेट लगना चाहिए था परंतु उन्हें बुलाकर जब पूछा गया तो उन्होंने 48.90 प्रतिशत लैस पर काम करने से इंकार कर दिया। इस प्रक्रिया से जुड़े पुराने ठेकेदारों का कहना है कि एफ. एंड सी.सी. को स्टार रेट पर काम करने से इंकार करने वाले ठेकेदारों की अरनैस्ट मनी जब्त करके उन्हें डी बार या ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई करनी चाहिए थी जो जानबूझ कर नहीं की गई।


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Edited By

Sunita sarangal

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