8 सालों के बाद भी जांच अधर में, वैरीफिकेशन भी नहीं हुई मुकम्मल

punjabkesari.in Saturday, May 26, 2018 - 11:01 AM (IST)

बठिंडा: वर्ष 2010-11 दौरान करोड़ों रुपए के सबसिडी वाले गेहूं के बीज को फर्जी किसानों के नाम डालकर खुर्द-बुर्द करने के मामले की जांच 8 साल के बाद भी अधर में लटकी हुई है। पता चला है कि उक्त मामले में सीड सर्टीफिकेशन अथॉरिटी के डायरैक्टर की अगुवाई में बनाई गई कमेटी द्वारा मामले की अभी री-वैरीफिकेशन ही करवाई जा रही है। इस मामले में बठिंडा के कुछ बीज डीलरों की ओर से री-वैरीफिकेशन के काम में अड़चने डाली जा रही हैं जिस कारण करोड़ों रुपए के इस बीज घोटाले की परतें अभी तक नहीं खुल सकीं। अब उक्त कमेटी की ओर से डीलरों को नोटिस भेजकर घोटाले की बनती राशि पंजाब एग्रो फूडग्रेन्ज के पास जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि इस बीज घोटाले का खुलासा भाकियू लक्खोवाल की ओर से किया गया था। 

एक दर्जन से अधिक डीलर घोटाले में शामिल
सबसिडी वाले इस बीज घोटाले में जिले की एक दर्जन से अधिक बीज फर्में शामिल पाई गई थीं। इस मामले का खुलासा होने पर सरकार ने जांच के लिए एक विधानसभा कमेटी का भी गठन किया था जिसने भी अपनी रिपोर्ट में उक्त घोटाला होने की पुष्टि की थी। इसके बाद ही सरकार ने मामले की वैरीफिकेशन शुरू करवाई। वैरीफिकेशन के बाद एस.एस.पी. बङ्क्षठडा को उक्त डीलरों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की हिदायतें दी गई थीं लेकिन बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 2015 दौरान बीज डीलरों ने मामले की दोबारा वैरीफिकेशन करवाने के लिए आवेदन किया। एस.एस.पी. ने इस मामले की री-वैरीफिकेशन के लिए एक कमेटी गठित करने की तजवीज दी जिसमें खेतीबाड़ी विभाग, पंजाब एग्रो, पुलिस विभाग, सिविल प्रशासन तथा बीज डीलर एसोसिएशन का एक-एक सदस्य लेने का फैसला किया गया। उक्त कमेटी ने कई बैठकें कीं लेकिन री-वैरीफिकेशन का काम मुकम्मल नहीं हो सका।

करोड़ों का बीज किया था खुर्द-बुर्द
इस घोटाले में बठिंडा के सैंकड़ों किसानों के फर्जी नाम डालकर बीज बेचा दिखा दिया गया था जिसकी कीमत करोड़ों रुपए थी। मामले बारे भाकियू लक्खोवाल के जिला महासचिव सरूप सिंह सिद्धू ने बताया कि 2010-11 दौरान किसानों को पंजाब एग्रो फूडग्रेन्ज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से सबसिडी वाला गेहूं का बीज मुहैया करवाया गया था लेकिन जिले के विशेषकर रामा मंडी क्षेत्र के कुछेक बीज डीलरों ने किसानों के फर्जी नाम डालकर उक्त बीज खुर्द-बुर्द कर दिया। उन्होंने बताया कि कुछ गांवों के सैंकड़ों किसानों के नाम डीलरों ने सूचियों में दर्ज कर दिए जबकि उक्त नामों के किसान इन गांवों में थे ही नहीं। यही नहीं डीलरों ने सूचियों पर नंबरदारों के भी जाली हस्ताक्षर कर दिए व नंबरदारों को इसका पता चलने पर उन्होंने भी इसका विरोध किया। 

Vatika