नगर निगम में फाइनैंशियल एमरजैंसी जैसे हालात

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2019 - 09:41 AM (IST)

जालंधर(खुराना): पंजाब की तरह जालंधर नगर निगम में भी फाइनैंशियल एमरजैंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि निगम के 3000 से ज्यादा कर्मचारियों में से एक भी कर्मचारी को अभी तक वेतन नहीं मिला है तथा माना जा रहा है कि वेतन के लिए कर्मचारियों को कुछ और दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है। हालात की संगीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नगर निगम के पास अपने रिटायर्ड कर्मचारियों को रिटायरमैंट बैनीफिट इत्यादि देने के लिए भी फंड नहीं है और इससे संबंधित सभी फाइलों को फिलहाल रोक लिया गया है। जिस नगर निगम का बजट 575 करोड़ रुपए के आसपास है, उस नगर निगम के पास आज की तारीख में 25-30 लाख रुपए कैश-इन-हैंड बचा है और ज्यादातर बैंक अकाऊंट खाली हो गए हैं।

अब मंगलवार को चंडीगढ़ जाएंगे विधायक
पंजाब सरकार ने जालंधर निगम का पिछले दो महीने का जी.एस.टी. शेयर, जो 30 करोड़ बनता है, रोक रखा है। इसके अलावा निगम को एक्साइज शेयर के रूप में 25 करोड़ रुपए भी नहीं मिल पा रहे है। वहीं बिजली पर चुंगी की वसूली और ऑनलाइन नक्शों से प्राप्त फीस के 13 करोड़ रुपए भी पंजाब सरकार के पास अटके हुए हैं। कुल मिलाकर यह 68 करोड़ रुपए अगर निगम को मिल जाएं तो उसके हालात सुधर सकते हैं। आर्थिक तंगी के कारण शहर के विधायकों में गहरी निराशा व्याप्त है। सूचनाओं के मुताबिक शहर के चारों विधायक मेयर राजा को साथ लेकर अगले सप्ताह मंगलवार को चंडीगढ़ जाकर अपनी बात रखेंगे और लोकल बॉडीज मंत्री को पूरे हालात से अवगत करवाएंगे।

पार्षदों का वेतन बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव सरकार के पास पहुंचा
एक ओर जालंधर नगर निगम आर्थिक कंगाली की हालत में पहुंच गया है और उसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन तक देने हेतु पैसे नहीं हैं, वहीं नगर निगम के पार्षदों ने हाऊस की बैठक दौरान अपने वेतन भत्ते बढ़ाने हेतु जो प्रस्ताव खुद ही पास किया था, वह पंजाब सरकार के पास भेजा जा चुका है। पार्षदों ने अपना वेतन 15000 से बढ़ाकर 50000 रुपए करने की मांग कर रखी है और वे सरकारी खजाने से 30000 रुपए प्रति महीना पैंशन की मांग भी कर रहे हैं। अगर सरकार जालंधर नगर निगम के पार्षदों की यह मांग मान लेती है तो पूरे पंजाब के 13 निगमों के पार्षदों के वेतन भत्ते बढ़ाने होंगे, जिसके कारण सरकार पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ेगा और सरकार यह बोझ सहने की स्थिति में बिल्कुल नहीं दिख रही है। अब देखना है कि इस प्रस्ताव का क्या हश्र होता है?

पैसे लेने के बाद ठेकेदार भी अकड़े
नगर निगम प्रशासन ने कुछ दिन पहले निगम के सभी ठेकेदारों को भारी-भरकम पेमैंट अदा कर दी थी, जिसके बाद अब उसकी ओर 15-40 करोड़ रुपए की पेमैंट ही बकाया रह गई है। पेमैंट लेने के बावजूद ज्यादातर ठेकेदारों ने विकास कार्य शुरू नहीं किए हैं। जो कार्य चल भी रहे हैं उन्हें या तो रोक दिया गया है या रफ्तार अत्यंत धीमी कर दी गई है। 
इस स्थिति से परेशान मेयर जगदीश राजा ने कल निगमाधिकारियों के साथ मेयर हाऊस में एक बैठक की। इस दौरान विधायक राजिन्द्र बेरी भी उपस्थित थे। बैठक में ठेकेदारों द्वारा काम बंद कर दिए जाने के हालातों पर चर्चा की गई और अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए।

शहर में ही खाली पड़े हुए हैं सभी 25 पार्किंग स्लॉट, पैसे कमाने की ओर नहीं है निगम का ध्यान
एक ओर नगर निगम अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पंजाब सरकार का मुंह देख रहा है, वहीं अपने स्तर पर पैसे कमाने की तरफ निगम का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है। हालात ऐसे हो गए हैं कि शहर में निगम के 25 पार्किंग स्लॉट पिछले 3-4 सालों से खाली पड़े हुए हैं और निगम को एक से भी कमाई नहीं हो रही है। इनमें से 13 स्लॉट तो वे हैं जो पिछले समय दौरान नीलाम होते रहे हैं, परंतु अब वे भी खाली हैं। निगम ने 11 जगहों पर नए पार्किंग स्लॉट बनाए थे, परंतु वे भी फाइलों में दफन हो गए। अगर निगम थोड़ी मेहनत करे व दिलचस्पी दिखाए तो इनसे ही निगम को लाखों-करोड़ों की आय हो सकती है, परंतु शहर के कांग्रेसी नेता भी चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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Sunita sarangal