होम्योपैथी करता है आधुनिक तकनीक से शूगर का इलाज

punjabkesari.in Thursday, Mar 12, 2020 - 02:38 PM (IST)

जालंधर: रक्त में ग्लूकोज (शूगर) की मात्रा का बढऩा शक्कर रोग कहलाता है। मुख्य रूप से शूगर दो तरह की होती है। 

पहली टाइप 1 : जिसमें हमारे शरीर की ग्रंथी पैनक्रियाज इंसुलिन नहीं बना सकती। परिणामस्वरूप रक्त में शूगर की मात्रा बढ़ती जाती है।
दूसरी टाइप 2: शूगर जिसमें पैनक्रियाज, इंसुलिन कम मात्रा में बनाता है या फिर शरीर के सैल इंसुलिन को प्रयोग करने में असमर्थ होते हैं। परिणामस्वरूप रक्त में शूगर की मात्रा बढ़ती जाती है। 

शूगर के मरीज के मुख्य लक्षण 
अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, अधिक भूख लगना एवं खाना खाने के बाद भी भूख लगना, इतनी भूख लगने के बावजूद मरीज का भार कम होता जाता है। मन कच्चा होना, उल्टी होना, बार-बार इन्फैक्शन होना, मुंह से बदबू आना, कमजोरी रहना आदि जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त यदि शूगर की बीमारी लम्बे समय तक चलती रहे तो इसका प्रभाव आंखों, गुर्दों, हड्डियों एवं दिल पर पड़ता है। परिणाम दर्द एवं कई तरह की दिल की बीमारियां हो सकती हैं।

शूगर के मरीज का होम्योपैथिक इलाज 
होम्योपैथी एक आधुनिक एवं प्राकृतिक इलाज प्रणाली है जोकि रोगी का इलाज करती है। होम्योपैथिक इलाज दौरान मरीज की सारी शारीरिक एवं मानसिक हिस्ट्री लेकर मरीज को एक होम्योपैथिक दवा दी जाती है। यह दवा मरीज की बीमारी के कारण का जड़ से इलाज करती है एवं कुछ ही वर्षों के इलाज के बाद, मरीज की शूगर सामान्य हो जाती है एवं शूगर के कारण आई हुई सभी परेशानियां हल हो जाती हैं एवं मरीज बिना दवा के तंदुरुस्त जिंदगी जी सकता है। यही है आधुनिक इलाज प्रणाली होम्योपैथी की विलक्षणता जोकि मरीज का इलाज करके मरीज को तंदुरुस्त करती है।   DR. Ravinder Singh, M.D. Homeo


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