शहर में एक लाख घरों में लगे  हैं अवैध वाटर कनैक्शन

punjabkesari.in Saturday, Mar 07, 2020 - 08:48 AM (IST)

जालंधर(खुराना): नगर निगम जालंधर की बात करें तो पंजाब सरकार की तरह इसकी आॢथक स्थिति भी डावांडोल है। कई बार ऐसी हालत आई कि निगम पास वेतन तक देने के पैसे नहीं थे। विकास कार्यों के लिए भी निगम पंजाब सरकार की ओर ताकता रहता है। ऐसे में निगम को अपने ज्यादातर काम स्मार्ट सिटी के पैसों से करवाने पड़ रहे हैं।

निगम के जैसे हालात हैं, उनसे तो लगता है कि जालंधर नगर निगम कभी अपने पैरों पर खड़ा ही नहीं हो पाएगा। निगम का वाटर रेट विभाग किसी भी शहर की आमदनी का मुख्य स्रोत होना चाहिए परंतु जालंधर में हालात यह हैं कि इस शहर के करीब एक लाख घरों व अन्य संस्थानों इत्यादि में अवैध वाटर कनैक्शन लगे हुए हैं, जिनका कोई बिल नहीं जाता।
निगम रिकार्ड की बात करें तो निगम जालंधर शहर में कुल 80 हजार के करीब लोगों को पानी के बिल भेजता है परंतु हैरानीजनक तथ्य यह है कि इनमें से भी आधे यानी 40 हजार के करीब लोग पानी के बिल अदा ही नहीं करते। जिस शहर में ऐसी हालत हो, उस शहर में विकास व सुविधाओं की क्या उम्मीद की जा सकती है।

राजनीतिक बयानों कारण रैवेन्यू पिछड़ा
सभी दलों से संबंधित नेताओं के बयानों के कारण नगर निगम का रैवेन्यू प्रभावित होता आया है और वाटर टैक्स के मामले में निगम काफी पिछड़ गया है। राजनीतिक लोग पानी के मामले में लोगों पर सख्ती नहीं होने देते और ज्यादातर वर्गों को बिल माफी की घोषणाएं करते रहते हैं। इस बार भी जो वनटाइम सैटलमैंट पॉलिसी आई है, उसका लाभ ज्यादातर लोग नहीं उठा रहे क्योंकि उनके पिछले बकाए ही काफी ज्यादा हैं। कांग्रेसी नेता इन दिनों प्रचारित कर रहे हैं कि पिछले बकायों को माफ करवाकर तथा थोड़े-बहुत चार्ज लेकर वर्तमान बिलों की वसूली शुरू करवाई जाएगी। सरकार ऐसी कोई पॉलिसी निकाल नहीं रही, जिस कारण निगम की आय प्रभावित होती जा रही है।

हाल ही में बढ़े हजारों वैध कनैक्शन
करीब 2 साल पहले निगम के वाटर रेट विभाग में सुपरिंटैंडैंट के रूप में मुनीष दुग्गल की तैनाती की गई थी, जिनकी कार्यकुशलता की चर्चा आज पूरे निगम व शहर में है। उनकी तैनाती से पहले 2017-18 में निगम द्वारा पास वाटर कनैक्शनों की संख्या 33504 थी, जो 2018-19 में बढ़ कर 38232 हो गई। इस साल यह 40 हजार के करीब पहुंचने की सम्भावना है। निगम ने पिछले साल मार्च के पहले सप्ताह तक 18.79 करोड़ रुपए वाटर टैक्स इक_ा किया था, जो इस साल 2 करोड़ बढ़ चुका है।


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