आर्थिक तंगी से जूझ रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट को जगी मदद मिलने की आस

punjabkesari.in Tuesday, Sep 18, 2018 - 09:42 AM (IST)

जालंधर (पुनीत): आर्थिक तंगी के हालात से जूझ रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट को मदद मिलने की उम्मीद जगी है जिसके चलते आने वाले दिनों में ट्रस्ट की आर्थिक परेशानियां कम हो सकती हैं। आर्थिक मदद हेतु चंडीगढ़ पहुंची ई.ओ. सुरेन्द्र कुमारी ने निकाय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करके ट्रस्ट को पेश आ रही दिक्कतों का हवाला दिया।

ट्रस्ट की सबसे बड़ी परेशानी 5 करोड़ रुपए इन्हांसमैंट की राशि है जिसका सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। 1-11-2017 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसानों के हक में आया जिसमें 1-1-18 तक इन्हांसमैंट देने के आदेश दिए गए लेकिन ट्रस्ट आर्थिक तंगी के चलते इन्हांसमैंट अदा नहीं कर सका जिसके खिलाफ किसानों ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। इसी क्रम में गत 13 सितम्बर को ई.ओ. ने सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर इन्हांसमैंट की राशि अदा करने के लिए समय मांगा था। कोर्ट ने 4 माह का समय दिया है, यदि ट्रस्ट निर्धारित समय में राशि अदा नहीं कर सका तो अधिकारियों के खिलाफ फैसला आ सकता है। इसी के चलते ट्रस्ट अधिकारियों द्वारा सरकार से मदद मांगी जा रही है। ई.ओ. सुरेन्द्र कुमारी द्वारा कोर्ट में पेशी से पहले भी अधिकारियों के साथ मुलाकात करके आर्थिक मदद की मांग की गई थी लेकिन ट्रस्ट को मदद नहीं मिल पाई। आज की मीटिंग में ट्रस्ट अधिकारियों को सकारात्मक नतीजे नजर आए हैं। ट्रस्ट द्वारा जहां करोड़ों रुपए की इन्हांसमैंट देने के लिए फंड की मांग रखी गई है वहीं पी.एन.बी. का 112 करोड़ रुपए बकाया देने का भी तर्क दिया गया है।

16 दिन देरी से मिली कर्मचारियों को तनख्वाह
आर्थिक तंगी के हालात से जूझ रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते कर्मचारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। हर बार कर्मचारियों की तनख्वाह देरी से मिल रही है और इस बार 16 दिन के बाद कर्मचारियों को तनख्वाह मिल पाई है। उक्त जानकारी भी लोकल बॉडीज विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को बताई जा रही है। ट्रस्ट द्वारा नगर निगम को सहायता हेतु दी गई 36 करोड़ की राशि वापस मांगी जा रही है। नगर निगम के आर्थिक हालात खराब हैं जिसके चलते नगर निगम राशि वापस नहीं कर पा रहा। मौजूदा समय में नगर निगम के कमिश्नर व ट्रस्ट के चेयरमैन का पद दीपर्व लाकड़ा के पास है। ट्रस्ट की ई.ओ. द्वारा कई बार 36 करोड़ वापस मांगे गए हैं व इस संबंध में पत्राचार होने के बावजूद ट्रस्ट के हाथ खाली हैं।

 

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