IPL बुकी एस.टी.एफ. के राडार पर

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 08:03 AM (IST)

जालंधर (रविंदर): आई.पी.एल. को लेकर चल रहा बुकियों का खेल अब काफी बड़ा हो चुका है। रोजाना इस गंदे खेल से करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं। सट्टे से कमाई एक बड़ी रकम को बुकी बाद में ड्रग्स खरीदने में भी लगा रहे हैं और फिर आई.पी.एल. खत्म होते ही शुरु हो जाता है ड्रग्स का खेल। इसी ड्रग्स के खेल की भनक अब स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) को लग चुकी है। शहर के कई बड़े बुकी अब एस.टी.एफ. के राडार पर हैं। एस.टी.एफ. ने इनकी लिस्टिंग भी शुरु कर दी है। कई बड़े बुकियों के नाम और मोबाइल फोन तक एस.टी.एफ. के पास पहुंच चुके हैं।

 

यह आई.पी.एल. बुक का ही कमाल है कि पिछले कुछ सालों में कोई भी काम करने वाला, कोई पैलेस वाला, कोई टैंट हाऊस वाला, कोई एफ.सी.आई. से रिटायर अधिकारी, कोई किसी सभा का पदाधिकारी देखते ही देखते करोड़पति बन गए हैं। कईयों के पास तो इतनी बेनामी प्रापर्टी है कि उन्हें खुद को नहीं मालूम कि इसका क्या करें और क्या न करें। यह खेल पिछले कुछ सालों से पुलिस की नाक के नीचे चलता रहा है। इन बुकियों के पास न केवल पैसा है, बल्कि ऊंची पहुंच भी है, जिसका दम दिखाकर यह खाकी वर्दी को चुप करवाने में कामयाब रहते हैं। पुलिस के पास बुक की लाइनों को पकडऩे की कई तरह की तकनीक है, मगर पुलिस ने कभी भी गंभीरता से इस धंधे को बंद करवाने का प्रयास नहीं किया। अमूमन शहर में सट्टा प्रत्येक क्रिकेट मैच पर लगता है, चाहे वह मैच देश में खेला जाता हो या विदेश में, मगर आई.पी.एल. शुरु होते ही अचानक शहर में चलने वाली लाइनों में कई गुणा इजाफा हो जाता है।
 

मखदूमपुरा से पकड़े गए बुकी तो महज एक प्यादे भर थे। इस खेल से जुड़े बड़े नामों का खुलासा इतने दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस नहीं कर पाई है। पर्दे के पीछे से शहर के कई सफेदपोश इस खेल को चलाते हैं और किराए का मकान या कोठी लेकर उसमें अपने प्यादों के जरिए इस गोरख-धंधे को चलाया जाता है। अगर सिर्फ शहर की ही बात की जाए तो रोजाना करोड़ों रुपए का सट्टा आई.पी.एल. पर लगाया जाता है। बुकियों के चंगुल में फंस कर कई घर बर्बाद होते हैं और कई उम्र भर के लिए ऋणी हो जाते हैं। मखदूमपुरा से गिरफ्तार आरोपियों का इतना असर था कि पहले पुलिस इनका रिमांड नहीं ले सकी और फिर आरोपी जमानत पर छूटने में भी कामयाब रहे। इन गिरफ्तार प्यादों के पीछे का खेल रचने वाले कौन थे, कहां से इन्हें लाइन मिलती थी, कितने समय से धंधा चलाया जा रहा था, कौन-कौन इनके ग्राहक थे, इन सब ज्वलंत सवालों का उत्तर आज तक पुलिस ढूंढ नहीं पाई है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि महानगर में सट्टे के इस धंधे से कई राजनीतिज्ञों के नाम भी जुड़े हुए हैं, क्योंकि इस धंधे से कमाई बेहद ज्यादा है। राजनीति से जुड़े कई बड़े नामों ने आगे अपने गुर्गों को यह काम बांट रखा है।

ड्रग्स से जुड़े कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी से मिला था इनपुट
ड्रग्स के धंधे से जुड़े कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद एस.टी.एफ. को इस बात का इनपुट मिला था कि आई.पी.एल. की मोटी कमाई को बाद में ड्रग्स में लगाया जाता है। इस इनपुट के बाद एस.टी.एफ. के कान खड़े हो गए थे। अंदरखाते एस.टी.एफ. ने अपनी जांच का जाल बिछा लिया है। कई बड़े नेताओं व इस धंधे से जुड़े कई सफेदपोशों के नाम और मोबाइल नंबर एस.टी.एफ. के पास पहुंच चुके हैं। 

थानों की लापरवाही से फल-फूल रहा है धंधा
‘पंजाब केसरी’ ने कुछ समय पहले शहर में चल रहे दड़े-सट्टे का बड़ा खुलासा किया था। इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्रर पी.के. सिन्हा ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि उनके इलाके में यह धंधा नहीं चलना चाहिए। इसके बाद ए.डी.सी.पी.-1 व ए.डी.सी.पी.-2 ने भी विशेष प्रयास कर सभी सट्टेबाजों को खदेड़ दिया था, मगर कुछ दिनों की सख्ती के बाद जैसे ही थाना स्तर पर पुलिस लापरवाह हुई तो दोबारा से सट्टेबाजों की दुकानें खुल गईं। आज शहर के हर कोने में फिर से लाटरी की आड़ में दड़े-सट्टे का खेल खुलकर खेला जाता है और पुलिस तमाशा देखती रहती है। 

बुकियों की धर-पकड़ के दिए हैं खास आदेश : डी.जी.पी.
डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि आई.पी.एल. पर सट्टा लगाने वाले बुकियों के बारे पुलिस के खुफिया तंत्र को काफी इनपुट मिले हैं। इस धंधे से कई बड़े लोग भी जुड़े हुए हैं। पुलिस गंभीरता से पूरे खेल को खंगाल रही है। 6सभी पुलिस कमिश्रर व एस.एस.पी. को निर्देश दिए गए हैं कि इस गंदे खेल को बेनकाब किया जाए। 

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