खिलाड़ियों के लिए आया सामान करीब 2 वर्षों से कमरों में कैद

punjabkesari.in Monday, Jan 14, 2019 - 10:21 AM (IST)

जालंधर(राहुल): अतीत पर नजर दौड़ाएं तो खेलों में अहम योगदान के चलते जालंधर का नाम सिर्फ राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि दुनिया के अनेक देशों में विशेष सम्मान व आदर से लिया जाता था। जालंधर के निकटवर्ती गांव संसारपुर को तो हॉकी के तीर्थ स्थान के पर्याय रूप में पहचान मिल चुकी थी।

समय के साथ अचानक खेल क्षेत्र में खिलाडिय़ों का प्रदर्शन गिरावट की ओर जाने लगा। कारणों पर चर्चा तो सब करते हैं, परंतु वास्तविक खेल मठाधीशों के कानों पर जूं न रेंगने तथा ‘हो जाएगा’, ‘कर लेंगे’ जैसी सोच के चलते खेल के विकास हेतु बनने वाली योजनाएं सही ढंग से खिलाडिय़ों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिसका सीधा नुक्सान खिलाडिय़ों को हो रहा है। जालंधर की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के कार्यकाल में खिलाडिय़ों को ग्रामीण/क्लब स्तर पर बांटने के लिए ‘राज नहीं सेवा’ प्रकल्प के तहत खेल किटें आईं, जिनमें से काफी हद तक बंद कमरों में ही कैद होकर रह गईं।

इससे न सिर्फ  खिलाडिय़ों को नुक्सान हुआ, बल्कि खेल विकास के लिए खर्च की गई धन राशि भी किसी काम नहीं आई। जालंधर के कुछेक प्रतिष्ठित खेल परिसरों में अकाली-भाजपा शासन काल के दौरान आया खेल का सामान आज भी डम्प पड़ा हुआ है। मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा भी राज्य की युवा शक्ति को सेहतमंद रखने की सोच के साथ 16 मार्च, 2017 को अपना पदभार संभालते ही मिशन तंदरुस्त पंजाब की शुरूआत की गई थी, परंतु सरकारी कर्मचारियों की अनदेखी के चलते खेल का सामान पिछले लगभग 2 वर्षों से कमरों में ही बंद पड़ा है।

परगट सिंह के ध्यान में लाने के बावजूद जिला खेल अधिकारी ने नहीं की कार्रवाई
पिछले लंबे समय से खिलाडिय़ों के लिए खेल का सामान कमरों में बंद होने संबंधी मामला खेल विभाग के विभिन्न स्तर के अधिकारियों के ध्यान में लाया गया था, परंतु जमीनी स्तर पर कोई हलचल नहीं हुई।यह सारा मामला पूर्व हॉकी ओलिम्पियन, पूर्व खेल निदेशक, पंजाब सहित पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में जालंधर छावनी से विधायक रहे व मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी इसी क्षेत्र से चयनित विधायक परगट सिंह के ध्यान में 4 माह पूर्व (अक्तूबर माह में) लाया गया था। परगट सिंह ने एक खिलाड़ी की स्पष्टता दर्शाते हुए मौके पर उपस्थित जिला खेल अधिकारी को निर्देश दिए थे कि यह मामला डी.एस.ओ. स्तर का है व अतिशीघ्र सामान को खिलाडिय़ों में बांटा जाए, लेकिन 4 माह बीत जाने पर भी ये सामान अभी भी कमरों में बंद पड़ा है। दूसरी ओर खेल प्रोमोटरों व खेल विशेषज्ञों की मानें तो अब खेल क्षेत्र में अटकलें लगाई जा रही हैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल का बचा सामान पिछले दरवाजे से तंदरुस्त पंजाब के नाम पर खिलाडिय़ों को बांटे जाने का जुगाड़ लगाया जा रहा है।

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