विधायक बेरी के हलके में 4 जगह बनेंगे कूड़े के प्लांट

punjabkesari.in Tuesday, May 21, 2019 - 11:14 AM (IST)

जालंधर (खुराना): एक ओर जहां जालंधर के विधायक सुशील रिंकू, परगट सिंह व बावा हैनरी अपने-अपने क्षेत्र में कूड़े के प्लांट लगाए जाने के प्रति विरोध व्यक्त कर चुके हैं, वहीं नगर निगम ने सैंट्रल क्षेत्र से विधायक राजिन्द्र बेरी के हलके में 4 जगह कूड़े के प्लांट लगाने का सैद्धांतिक फैसला ले लिया है जिसके टैंडर जारी किए जा चुके हैं व अब जून के पहले सप्ताह ये टैंडर खुलने जा रहे हैं।

निगम के अनुसार सैंट्रल विधानसभा क्षेत्र के तहत आते गांव नंगलशामां, धन्नोवाली, बङ्क्षडग़ तथा दकोहा में स्थित डम्प स्थानों पर मैनुअल तरीके से कूड़े की प्रोसैसिंग किए जाने की योजना है। इसके लिए एम.आर.एफ. तकनीक वाले प्लांट स्ट्रक्चर बनवाए जा रहे हैं जिन पर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत आएगी। टैंडर स्वीकार होते ही मौके पर काम शुरू हो जाएगा। निगमाधिकारियों ने बताया कि एम.आर.एफ. तकनीक के तहत डम्प स्थानों पर पक्के शैड के अलावा गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग स्थान पर रखने का प्रावधान होगा। वहीं गीले कूड़े को मैनुअल पिट में प्रोसैस किया जाएगा जबकि सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा जाएगा। इन डम्प स्थानों पर कम्पोस्ट पिट व शैड के अलावा लेडीज व जैंट्स के लिए अलग-अलग बाथरूम बनाए जाने का प्रावधान भी रखा गया है।

 

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में है जरूरी
केंद्र सरकार द्वारा 2020 में जो स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया जा रहा है, उसकी तैयारियां जालंधर नगर निगम ने अभी से शुरू कर दी हैं। अगले साल होने जा रहे सर्वेक्षण दौरान केंद्र सरकार ने शर्त रखी है कि शहरों में गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखने का पूरा हिसाब रखना होगा। गीले कूड़े को प्रोसैस करने के अलावा सूखे कूड़े बारे भी निगम को अलग से खाता बनाना होगा। तभी जाकर शहरों को इस कैटेगरी में नम्बर मिलेंगे।

 

डम्प स्थानों पर अलग-अलग आने लगा कूड़ा
गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग करने बारे अभियान वैसे तो कई महीनों से चल रहा है, पर नगर निगम को अब जाकर इस मामले में सफलता मिलती दिखाई दे रही है। पिछले दिनों हैल्थ ऑफिसर डा. कृष्ण शर्मा ने अन्य अधिकारियों को साथ लेकर कुछ डम्प स्थानों का दौरा किया था, जहां पाया गया कि वहां आने वाला कूड़ा अलग-अलग होकर आ रहा है। इस दौरे दौरान प्लाजा चौक डम्प पर जाकर देखा गया कि एक दिन में 13 रेहड़े ऐसे आए जिनमें गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा गया था। ऐसे ही करीब 8 रेहड़े नंगलशामां डम्प पर आते देखे गए। मॉडल टाऊन क्षेत्र जहां निगम ने यह अभियान फिलहाल शुरू नहीं किया है वहां भी हर रोज करीब & रेहड़ों में गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग होकर आता है।निगमाधिकारियों ने अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार किया कि चुनावी ड्यूटी के बाद जैसे ही निगम कमिश्रर व ज्वाइंट कमिश्रर निगम का कामकाज शुरू करते हैं तभी इस अभियान को और तेज किया जाएगा व आने वाले समय में शहर के सभी डम्प स्थानों को इस प्रक्रिया के तहत कवर करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का भी योगदान लिया जाएगा।

 

क्या है अम्बिकापुर मॉडल
स्वच्छता के मामले में इंदौर के बाद छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर अम्बिकापुर का नाम आता है। इसमें कूड़े की सैग्रीगेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करके पूरे देश में अपना नाम बनाया है। दरअसल इस शहर में महिला स्वयंसेवी समूहों की मदद से सैग्रीगेशन अभियान शुरू किया गया जो इन महिलाओं की आय का बड़ा साधन बन गया, जो सूखा कूड़ा इस शहर के डम्प स्थानों पर यूं ही फैंक दिया जाता था उसे अलग-अलग करके अब प्रतिमाह करीब 20 लाख रुपए आय होने लगी है। इस शहर के स्वच्छता माडल से डंपिंग यार्ड को ही पूरी तरह खत्म कर दिया गया है व अम्बिकापुर में अब कूड़े का कोई डंपिंग यार्ड नहीं है।इस शहर के 48 वार्डों से प्रतिदिन 50 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है जिसमें करीब 25 प्रतिशत कूड़ा सूखा होता है।

घर से कूड़ा निकलते ही उसे अलग-अलग कर लिया जाता है। निगम उस सूखे कचरे से कमाई करता है और गीले कूड़े को आर्गैनिक खाद में बदला जा रहा है। इस कार्य में लगी महिलाओं को भी कूड़े से आय होनी शुरू हो गई है। इसके लिए प्रति घर 50 से लेकर 100 रुपए तक यूजर चार्ज भी लगाया गया है। अम्बिकापुर मॉडल का श्रेय इस शहर की तत्कालीन कलैक्टर रितु सेन को दिया जाता है, जिन्होंने कचरा प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों से सम्पर्क किया जिसके बाद सहकारी समिति का गठन हुआ और महिलाओं ने शहर में न केवल कूड़े की समस्या को खत्म कर दिया, बल्कि यह मॉडल अब पूरे देश में इतना प्रसिद्ध हो गया है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य ने इसकी काफी तारीफ की है।अब जालंधर निगम भी अम्बिकापुर माडल की तर्ज पर शहर को कूड़ा मुक्त करने का अभियान चलाए हुए है। अगर शहर निवासी इस अभियान में सहयोग देते हैं तो न केवल शहर के डम्प स्थान खत्म हो जाएंगे बल्कि नगर निगम को इससे आय भी शुरू हो जाएगी।  

 

 

Vatika