इन्हांसमैंट अदा करने के लिए इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने सरकार से मांगे 100 करोड

punjabkesari.in Wednesday, Jan 23, 2019 - 07:33 AM (IST)

ज़ालंधर(पुनीत): आर्थिक तंगी के हालातों से गुजर रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने सरकार को पत्र लिखकर 100 करोड़ रुपए की मदद मांगी है ताकि इन्हांसमैंट की राशि अदा की जा सके। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इन्हांसमैंट के केस को लेकर ट्रस्ट की ई.ओ. पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, जिसका हवाला इस पत्र में दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अगली पेशी 12 फरवरी को है और ट्रस्ट के पास इन्हांसमैंट अदा करने के लिए रकम नहीं है। पिछली पेशी के दौरान ट्रस्ट द्वारा कोर्ट में आॢथक तंगी का हवाला देकर समय लिया गया है।

सरकार को बताया गया है कि 7-12-18 को कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए ट्रस्ट व सरकार को रकम जमा करवाने के लिए कहा था, इसमें यह भी कहा गया था कि यदि पैसे जमा नहीं हुए तो अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। कोर्ट में पेशी के लिए ट्रस्ट की ई.ओ. जाती हैं और अगर कोर्ट ने सख्ती की तो उनकी गिरफ्तारी के आदेश भी हो सकते हैं। इन्हांसमैंट की कुल राशि 100 करोड़ से अधिक है जबकि फरवरी को जिस केस में पेशी है, उसकी राशि 5 करोड़ के करीब है। 

उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट द्वारा जमीन के दाम कम देने की शिकायत लेकर किसानों ने हाईकोर्ट की शरण ली जिसमें किसान जीत गए। इस उपरांत इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली लेकिन दोबारा किसानों के हक में फैसला आया। 1-11-2017 को आए फैसले के बाद 1-1-2018 तक मुआवाजे की राशि देने के आदेश दिए गए थे। इसके बावजूद लगभग 8 माह बीत जाने के बाद भी किसानों को मुआवजे की राशि नहीं मिल सकी। इसी कारण किसानों ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। 

आश्वासन के बावजूद 5 करोड़ भी नहीं हो पाए जारी
ट्रस्ट ने नगर निगम से 36 करोड़ रुपए लेने हैं और स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जब बीते वर्ष 27 सितम्बर को ट्रस्ट ऑफिस में छापा मारा था तो उस मौके पर ट्रस्ट अधिकारियों ने 36 करोड़ में से 5 करोड़ रुपए जल्द जारी करने के रिक्वैस्ट की थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के एक केस में 5 करोड़ रुपए की तुरंत जरूरत है। 

निकाय विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 5 करोड़ रुपए नगर निगम के जी.एस.टी. शेयर से इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट को जारी कर दिए जाएंगे लेकिन कई बार रिमांडर देने के बावजूद उक्त राशि रिलीज नहीं हो पाई है। उक्त राशि नगर निगम के खाते से कट चुकी है लेकिन ट्रस्ट को अमाऊंट शिफ्ट करने की फाइल लटकी पड़ी है।

प्लाट होल्डरों को 97 लाख रुपए किए वापस 
पत्र में यह भी बताया गया है कि 94.97 एकड़ स्कीम का अवार्ड (जमीन की कीमत) देने के लिए ट्रस्ट द्वारा बैंक से 2011 में 175 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था जिसमें से 110 करोड़ के करीब राशि बकाया है। इस स्कीम का लिखित रूप से भले ही कब्जा लिया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि इस स्कीम में अभी भी वे लोग बैठे हैं जो अपनी जमीनों का मुआवजा भी ले चुके हैं। ट्रस्ट द्वारा बनाई जाने वाली 120 फुट रोड भी पूरी नहीं हो पाई है। वहीं, ट्रस्ट द्वारा इस स्कीम का कब्जा लिए बिना कई प्लाट अलॉट कर दिए गए। कई कोर्ट केस कर चुके हैं जिसके चलते ट्रस्ट द्वारा 97 लाख रुपए प्लाट होल्डरों को वापस करने पड़े। इस स्कीम ने ट्रस्ट की आॢथक हालत को खराब किया। यदि इस पर गंभीरता से विचार कर लिया जाता तो ट्रस्ट को तंगी के हालात से बचाया जा सकता था। 

स्टेट कमीशन में जमा कराएंगे 27 लाख 
94.97 एकड़ स्कीम में मधु अरोड़ा को 231-डी प्लाट दिया जाना था लेकिन ट्रस्ट उक्त प्लाट की पोजैशन नहीं दे सका। इसके चलते उपभोक्ता ने स्टेट कमीशन की शरण ली जहां पर ट्रस्ट के खिलाफ फैसला आया। प्लाट के लिए 16,24,450 रुपए दिए गए थे जिसमें 25 प्रतिशत की एडवांस व एक किस्त शामिल है। इस उपरांत ट्रस्ट केस हार गया और उन्हें ली गई राशि 9 प्रतिशत ब्याज व कानूनी खर्च अदा करने के आदेश दिए। इस पर स्टे लेने की जो एप्लीकेशन स्टेट कमीशन में लगाई गई थी वह डिसमिस हो चुकी है जिसके चलते ट्रस्ट अब 27,24,419 रुपए का ड्राफ्ट स्टेट कमीशन में जमा करवाएगा। नैशनल कमीशन में ट्रस्ट को 1 अप्रैल की तारीख मिली हुई है। 

ट्रस्ट की नीलामी के ‘चिराग’ से बाहर निकला पार्क बेचने का ‘जिन्न’


ट्रस्ट द्वारा करवाई जा रही नीलामी के चिराग से पार्क बेचने का जिन्न फिर से बाहर निकल आया है जोकि ट्रस्ट के लिए नुक्सानदायक साबित होगा। ट्रस्ट द्वारा 7 फरवरी को करवाई जा रही नीलामी में सूर्या एन्क्लेव के गेट के पास स्थित 22500 गज वाली जमीन के हिस्से को भी रखा गया है, उक्त जमीन मिक्स लैंड यूज के लिए होगी, इसी तरह से 2800 गज वाली जमीन को भी रखा गया है। इन दोनों जमीनों को इलाका निवासियों द्वारा पार्क बताया जा रहा है जबकि ट्रस्ट का कहना है यह उनकी बेचने योग्य प्रापर्टी है। लेआऊट प्लान में इसे पार्क नहीं बताया गया है। 
पिछली बार ट्रस्ट ने फरवरी में उक्त जमीन को बेचने की योजना बनाई थी, इस जमीन का रिजर्व प्राइज ट्रस्ट ने 143 करोड़ के करीब रखा था, इस पर लोगों ने खूब विरोध किया। उस समय ट्रस्ट के चेयरमैन डा. बसंत गर्ग थे। लोगों के कड़े विरोध के चलते ट्रस्ट को उक्त जमीन को नीलामी से बाहर रखना पड़ा था। इस बार ट्रस्ट द्वारा इस प्रापर्टी को नीलामी में रखने के साथ ही इस पर लोगों ने एतराज जताया है। 
पार्षद पति व वरिष्ठ भाजपा नेता विवेक खन्ना ने इसके विरोध में चेयरमैन दीपर्व लाकड़ा व ट्रस्ट की ई.ओ. सुरिन्द्र कुमारी के साथ मुलाकात करके विरोध जताते हुए कहा कि ट्रस्ट लोगों के साथ धक्का करने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह ऐसा होने नहीं देंगे। सूर्या एन्क्लेव वैल्फेयर सोसाइटी के प्रवक्ता राजीव धमीजा ने कहा कि जरूरत पडऩे पर कानून का सहारा लिया जाएगा लेकिन पार्क नीलाम नहीं होने देंगे। 

Anjna