जालंधर का एयर क्वालिटी इंडैक्स पहुंचा 300 के पार

punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 10:00 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): जालंधर में पराली जलाने के केसों में बढ़ौतरी होती जा रही है। कुछ दिनों में ही जिला प्रशासन के पास लुधियाना रिमोट कंट्रोलिंग सैंटर की ओर से जिले में 900 स्थानों पर पराली जलाने के  केसों की डिटेल पहुंची है। इस बारे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि रिमोट कंट्रोलिंग केंद्र से 900 केसों की डिटेल एस.डी.एम. के पास पहुंची है, जिनमें से 4 केसों में 2500-2500 रुपए के चालान काटे गए हैं और 2 केसों में किसानों को रैड एंट्री में डाला गया है, जिसके बाद वे किसी प्रकार की सरकारी योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे।

उन्होंने बताया कि अन्य सारे केसों की डिटेल एस.डी.एम. के पास है और उनकी जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग व जिला प्रशासन के साथ मिलकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी पराली न जलाए जाने को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। वहीं जालंधर में एयर क्वालिटी इंडैक्स की बदहाल स्थिति को लेकर जिला प्रशासन बिल्कुल लापरवाह दिखाई दे रहा है। शहर की हवा इस कदर प्रदूषित हो चुकी है कि सांस लेना जहर निगलने समान हो गया है, जो एयर क्वालिटी इंडैक्स 50 से 100 तक रहना चाहिए था, वह 300 को छू रहा है जबकि अभी तो फोग पड़नी पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुई। 

किसानों को नहीं रोक पा रहा पराली जलाने से प्रशासन
जानकार बताते हैं कि अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब का ए.क्यू.आई. 500 को टच करेगा परंतु हालत यह है कि पंजाब में न तो पराली जलाने से प्रशासन रोक पा रहा है और न ही कूड़ा-कर्कट व डस्ट को रोक पाने में नगर निगम कोई सार्थक भूमिका निभा पा रहा है। यही कारण है कि जालंधर में पी.एम 2.6 व पी.एम. 10 की हालत जानलेवा बनती जा रही है। 

पराली जलाने के अलावा कोई हल नहीं : किसान
वहीं अगर किसानों की मानें तो उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई हल नहीं है क्योंकि पराली को काटने व जमीन खाली करने में उनका खर्चा ज्यादा आता है इसलिए वह पराली जलाते हैं। सरकार एन.जी.टी. के दबाव में पराली जलाने से रोकने के लिए सख्ती तो कर रही है, पर किसानों को पराली समेटने के लिए न तो कोई सबसिडी दे रही है और न ही कोई खास मशीनरी मुहैया करवा रही है। 

किसानों के साथ-साथ लोग भी जिम्मेदार : प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अधिकारी
मामले बारे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि किसानों पर सख्ती से पराली जलाने से रोकने को कहा जा रहा है, पर जो लोग रोजाना प्लाटों में कूड़ा जलाते हैं, सुबह पार्कों में सूखे पत्ते जलाए जाते हैं, उन्हें नगर निगम रोक नहीं पा रहा और सारा दोष किसानों पर मढ़ कर पल्ला झाड़ अपने नंबर बनाए जा रहे हैं लेकिन इसके लिए किसानों के साथ-साथ वह भी जिम्मेदार है।  
 

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