Special Story: नेता जी बिना टेंडर TOW करवा रहे लोगों की गाड़ियां

punjabkesari.in Friday, Dec 25, 2020 - 12:50 PM (IST)

जालंधर(वरुण): लॉकडाउन दौरान बंद किया टो वैन (Tow Van) सिस्टम गुपचुप तरीके से दोबारा शुरू कर दिया। दरअसल एक पार्टी के नेता का हाथ और उसकी उच्च अधिकारियों तक पहुंच के कारण ही ऐसा मुमकिन हो पाया जो कि काफी सालों से अपनी पहुंच का फायदा उठा रहा है जिस कारण गाड़िया टो करने का टेंडर तक नही हो पाया। इससे पहले प्लानिंग थी कि टो गाड़ियों का ठेका लेने के लिए टेंडर निकाले जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह ठेका भी उसी नेता ने अपने पार्टनर के साथ मिल कर ले रखा है। 

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लॉकडाउन खत्म होने के बाद टेंडर निकलने के कारण ही टो गाड़ियां फील्ड में नहीं उतारी गई थी। इस बार ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों को भी पूरा यकीन था कि टो के लिए टेंडर खोले जाएंगे और यह भी उम्मीद थी कि टेंडर में सरकारी खजाने पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। बता दें कि टो गाड़ी होने पर प्रति गाड़ी 1166 रुपए का जुर्माना भुगतना पड़ता था जिसमे से 500 रुपए सरकारी खजाने में और 566 रुपए ठेकेदार के हिस्से व 100 रुपए जीएसटी के होते थे। सूत्रों की माने तो राजनीतिक पहुंच होने के कारण टेंडर नही हुए जिसके चलते फिर से पुराने ठेकेदार को ही गुपचुप तरीके से गाड़ियां टो करने देने के आदेश जारी कर दिए गए। यह पहली बार नही हुआ, इससे पहले भी हर साल टो गाड़ियों के लिए टेंडर निकलने की योजना तैयार होती आई है लेकिन बात सिरे तक नही पहुंच पाई। ट्रैफिक पुलिस जालंधर के पूर्व एसीपी जंग बहादुर शर्मा ने ठेकेदार प्रथा को खत्म करने के लिए उच्च अधिकारियों से टो करने के लिए सरकारी गाड़ियों की मांग की थी ताकि 1166 रुपए में से जीएसटी को छोड कर बाकी सारा पैसा सरकारी खजाने में ही आए। गौरतलब है कि प्रति दिन शहर में से 50 से 60 गाड़ियां टो की जाती है। 

क्या बोले अधिकारी
इस बारे जब एडीसीपी ट्रैफिक गगनेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सोमवार को आए आदेशों के चलते ही टो गाड़ियां फील्ड में उतारी गई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल टेंडर को लेकर अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता।

और इधर ट्रैफिक जाम
ठेका लेने वाले नेता की पहुंच इतनी है कि उस पर कोई सवाल भी खड़ा नहीं कर सकता। यही कारण है कि ठेकेदार एवं नेता ट्रैफिक थाने के आसपास से ही नो पार्किंग या फिर सड़क पर खड़ी गाड़ियों को टो करवा लेता हैं लेकिन शहर में गलत ढंग से खड़ी गाड़ियों कारण लग रहे जाम से इन्हें कोई लेना-देना नहीं।इससे पहले एडीसीपी गगनेश शर्मा ने टो गाड़ियों को चार जोन में बांटा था लेकिन कुछ ही समय तक यह सिस्टम चला और फिर से ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां टो करने का सिलसिला शुरू हो गया।  हालात यह है कि ट्रैफिक थाने के आसपास से तो गाड़ियों उठा ली जाती है लेकिन शहर के अन्य जगह से नो पार्किंग या फिर सड़क पर खड़ी गाड़ियों पर कोई फोकस नहीं किया जा रहा।


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