शहर को स्वच्छ बनाने का दारोमदार रैग पिकर्स के कंधों पर, डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन से लेकर बनाएंगे कंपोस्ट खाद तक

punjabkesari.in Tuesday, Sep 15, 2020 - 12:37 PM (IST)

जालंधर(सोमनाथ): विधायक राजिंदर बेरी के हलके में पड़ते गांव नंगल शामा जोकि नगर निगम की हद में आता है, में जल्द ही कंपोस्ट खाद बनाने का काम शुरू होने वाला है। इससे पहले कई जगहों पर बने कंपोस्ट पिट्स में खाद बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कंपोस्ट खाद बनाने में सबसे अहम भूमिका रैग पिकर्स की है या यह कहें कि शहर को स्वच्छ बनाने का दारोमदार रैग पिकर्स के कंधों पर होने वाला है। डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन से लेकर उन्हें कंपोस्ट पिट्स तक ले जाना और गीले कूड़े को कंपोस्ट पिट्स में डालना और उसके बाद कंपोस्ट खाद बनाने में जो प्रक्रिया होगी वह भी रैग पिकर्स के ही जिम्मे होगी। कंपोस्ट पिट्स पर खाद बनाने के लिए नगर निगम की ओर से कोई कर्मचारी रखे जा रहें तो इस संबंध में नगर निगम की ओर से कोई जरूरत नहीं समझी जा रही है। इस संबंध में आज नगर निगम में स्वच्छ भारत अभियान देख-रेख कर रही अधिकारी ज्वाइंट कमिश्नर नगर निगम अनायत गुप्ता के साथ भी बात हुई है। 

250 के करीब बन चुके हैं कंपोस्ट पिट्स, दस-ग्यारह सौ के बीच बनेंगे
शहर को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से नगर निगम की ओर से अब तक 250 के करीब कंपोस्ट पिट्स बनाए जा चुके हैं और कुल दस-ग्यारह सौ के करीब ऐसे पिट्स बनाए जाने की योजना है। शहर की 80 वार्डों से रोजाना लगभग 550 टन कूड़ा निकलता है और कोरोना काल के चलते 50 टन कूड़ा कम रिकार्ड किया गया है। फिलहाल नगर निगम 500 टन कूड़ा रोजाना मान रहा है। हैल्थ अफसर श्रीकांत शर्मा के अनुसार शहर में कुल घरों की गिनती 1.50 लाख आंकी गई है और 1000 घर के पीछे 10 पिट्स बनाए जाने की योजना है। इस तरह दस से ग्यारह सौ के करीब कंपोस्ट पिट्स बनाए जाने की योजना है, जिनमें वैट वेस्ट से कंपोस्ट खाद बनेगी। जिन जगहों पर पिट्स बनाए जा रहे हैं उन पिट्स को एमआरएफ शैड्स से कवर किया जा रहा है। 

80 डंप और 100 फीसदी कूड़ा कलैक्शन के प्रबंध नहीं
नगर निगम का 250 के करीब कंपोस्ट पिट्स बनाने का दावा है लेकिन जिन वार्डों में ये पिट्स नहीं बने हैं वहां लोगों और रैग पिकर्स द्वारा शहर की मुख्य सड़कों पर कूड़ा फैंका जा रहा है। मुख्य सड़कों पर कूड़ा फैंके जाने के कारण शहर में 80 के करीब डंप बन गए हैं और गली मोहल्लों में कूड़े के लगने वाले ढेरों का कोई हिसाब ही नहीं है। हालांकि हरेक गली मोहल्ले में नगर निगम की कूड़ा उठाने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां और छोटी गाडिय़ा जा रही हैं और लोग इन ट्रैक्टर ट्रालियों में कूड़े डालते भी हैं लेकिन बहुत से लोग रात या फिर सुबह होती है गलियों में लगने वाले ढेरों या मुख्य सड़कों पर कूड़े फैंक जाते हैं। जो 500 टन कूड़ा उठाया भी जा रहा है उसकी कोई प्रोसैंसिंग नहीं हो रही है। 

अधिकारी करेंगे  केवल निगरानी
सबसे पहले कंपोस्ट खाद क्या और इसे कैसे बनाया जाता है यह जानना जरूरी है। कूड़े से बनी खाद को कम्पोस्ट खाद कहते हैं। वृक्षों की पत्तियां, घर का कूड़ा  कचरा, मनुष्य का मल, पशुओं का गोबर आदि का जीवाणु द्वारा विशेष परिस्थिति में विच्छेदन होने से यह खाद बनती है। अच्छी कम्पोस्ट खाद गंद रहित भूरे या भूरे काले रंग की होती है। इसमें 0.5 से 1.0 प्रतिशत पोटाश एवं अन्य पोषक तत्व होते हैं। इस खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति का विकास होता है और मिट्टी अधिक समय तक अच्छी फसल देने में सक्षम रहती है। अब बात खाद बनाने की विधि पर करते हैं। रैग पिकर्स जो गीला कूड़ा लेकर आएंगे उन्हें परतों के हिसाब इन पिट्स में डाला जाएगा। इसके ऊपर मिट्टी की परत और फिर पेड़ पौधों की पत्तियां डाली जाएंगी और फिर गीला कूड़ा डाला जाएगा। इसके अलावा इस कूड़े पर बायो कल्चर लिक्विड का छिड़काव किया जाएगा। ऊपर से सुबह शाम पानी का छिड़काव किया जाएगा, ताकि नमी बनी रहे। पिट्स को भरने से लेकर नमी बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव करने की जिम्मेदारी रैग पिकर्स पर रहेगी। अगली प्रक्रिया में पिट्स में डाले गए कूड़े को हर 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार पलटना होता है और फिर उसके ऊपर मिट्टी का लेप करना होता है। यह काम भी फिलहाल रैग पिकर्स के जिम्मे है। वहीं इस सारे काम की निगरानी सैनेटरी विभाग के इंस्पैक्टर करेंगे।

रैग पिकर्स को मिलेगा क्या?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन, कंपोस्ट पिट्स पर कूड़े को ले जाना और फिर कंपोस्ट खाद बनाना। इन तमाम जिम्मेदारियों के लिए रैग पिकर्स को क्या फायदा होगा फिलहाल इस पर सवाल खड़ा है। इस संबंध में जब हैल्थ एंड सैनेटरी कमेटी के चेयरमैन बलराज ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि नगर निगम की योजना है कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन के लिए घरों से तयशुदा फीस वसूली जाएगी। यह फीस रैग पिकर्स को दी जाएगी। मगर यह फीस वसूलेगा कौन-रैग पिकर्स या नगर निगम इसको लेकर अभी फैसला नहीं हुआ है। फिलहाल अभी इस योजना को एप्लीकेबल नहीं किया गया। इसको लेकर नगर निगम की बैठकें चल रही हैं।  एक सवाल के जवाब में चेयरमैन ने बताया कि उनकी प्राथमिकता मुख्य सड़कों पर बने 80 डंपों के खत्म करने की है ताकि शहर को हर हालत में स्वच्छ बनाया जा सके। इसके बाद मोहल्लों में लगने वाले कूड़ें को ढेरों को समाप्त किया जाएगा। इसके लिए 100 फीसदी डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन को यकीनी बनाया जाएगा।  

मुलाजिम भर्ती करने की योजना नहीं
कंपोस्ट पिट्स में कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया के संदर्भ में आज जब स्वच्छ भारत अभियान को देख रहीं ज्वाइंट कमिश्नर नगर निगम अनायत गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कंपोस्ट पिट्स में खाद बनाने की भूमिका रैग पिकर्स की रहेगी। जब उनसे यह सवाल किया गया कि कंपोस्ट पिट्स तक कूड़ा लाने के बाद अगली प्रक्रिया जैसे कि पिट्स में बार-बार कूड़े को पलटना होता है तो क्या इसके लिए नगर निगम की ओर से कोई मुलाजिम रखे जा रहे हैं तो उन्होंने बताया कि यह काम रैग पिकर्स करेंगे। निगरानी के लिए निगम के सैनेटरी इंस्पैक्टर तैनात हैं।  


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