रजिस्ट्री करवाने के नाम पर चल रहा गोरखधंधा,हर कोई है 'नंबरदार'

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 02:56 PM (IST)

जालंधर(अमित): पूरे विश्व में बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा अपने कारोबारी मुनाफे के लिए कार्पोरेट कल्चर अपनाया जाता है ताकि वे निरंतर तरक्की की राह पर चल सकें व कुछ ऐसा ही जालंधर की तहसील में बतौर नंबरदार नियुक्त कुछ लोग कर रहे हैं। इस समय तहसील परिसर में पैसे लेकर गवाही डालने वाले कुछ लालची नंबरदारों का एक ग्रुप खासा सक्रिय हो रखा है जिसने काम करने का नायाब तरीका ढूंढा है व चंद नंबरदार आपस में मिलकर एक पार्टनरशिप फर्म की तर्ज पर काम चला रहे हैं। 

खुद को कार्पोरेट कल्चर में ढाल चुके उक्त नंबरदारों ने एक ऐसी इनविजीबल फर्म बनाई है जिसका कागजों में तो कोई अस्तित्व नहीं है, मगर कामकाज का तरीका बिल्कुल एक कार्पोरेट फर्म की तरह ही है और इसमें हर नंबरदार को बतौर पार्टनर रखा गया है और हर पार्टनर का इस फर्म पर पूरा अधिकार है व उसे मुनाफे में बराबर का हिस्सा दिया जाता है। तहसील परिसर में इन दिनों नंबरदार जैसे गण्यमान्य व्यक्ति के नाम को बदनाम करने में कुछ लोग पूरी ताकत से साथ जुटे हुए हैं और इन लोगों के लालच की वजह से ही नंबरदार का नाम सुनते ही आम जनता के मन में एक पैसे लेकर गवाही डालने वाले कारोबारी की तस्वीर उभर कर सामने आती है।

क्या है इनविजीबल फर्म के काम करने का तरीका
सब-रजिस्ट्रार बिल्डिंग में कार्पोरेट कम्पनी की तरह कारोबार जमा कर बैठे कुछ स्वार्थी एवं लालची किस्म के भ्रष्ट नंबरदार सुबह दफ्तर खुलते ही बाहर जमा हो जाते हैं। हर किसी का किसी न किसी वसीका नवीस और तहसील में सक्रिय एजैंटों के साथ अ‘छा तालमेल है जिसके चलते जैसे ही कोई अपनी जायदाद की रजिस्ट्री करवाने के लिए आता है, वे बिना किसी जान-पहचान के उसकी गवाही डाल देते हैं। इसके बदले में 500 से लेकर 2000 रुपए तक प्रति गवाही चार्ज की जा रही है। आम जनता को केवल एक नंबरदार ही नजर आता है, जो किसी वसीका नवीस के कहने पर उनकी गवाही डालता है और उसके बदले में अपना मेहनताना वसूलता है, मगर सच्चार्इ यह है कि गवाही चाहे कोई भी नंबरदार डाले और पैसे वसूले, मगर सुबह से लेकर शाम तक डाली गई गवाहियों और वसूले गए पैसों का पूरा हिसाब-किताब रखा जाता है और शाम को रजिस्ट्रेशन का काम बंद होते ही एक कार्पोरेट कम्पनी में काम करने वाले कर्मचारियों की भांति हर किसी को उसका बनता बराबर का हिस्सा बांट दिया जाता है। इस काम में पूरी ईमानदारी बरती जाती है।

लाखों का है पैसे लेकर गवाही डालने का कारोबार
तहसील में पैसे लेकर गवाही डालने वाला सारा कारोबार बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है। इसमें सक्रिय हर नंबरदार प्रतिदिन लगभग 5 से 6 हजार रुपए कमा रहा है और हर महीने की आय लाखों में पहुंच जाती है। ऐसे नंबरदार न केवल रजिस्ट्रेशन के काम में गवाही डालने के लिए पैसे ले रहे हैं बल्कि मौजूदा समय में सबसे ज्यादा कमाई विरासती इंतकाल में गवाही डालने के लिए ले रहे हैं। तहसील सूत्रों की मानें तो एक विरासती इंतकाल के लिए नंबरदार 5 से 6 हजार रुपए चार्ज ले रहे हैं।

कई नंबरदारों पर दर्ज हो चुके हैं केस
कुछ लालची नंबरदारों के झूठी एवं फर्जी गवाही डालने के कई मामले सामने आ चुके हैं और कुछ नंबरदारों को जेल ही हवा भी खानी पड़ी है। कई बार देखने में आया है कि कुछ लोग जाली वसीयत या फिर जाली रजिस्ट्रेशन आदि करवाते हैं जिसमें नंबरदार मामूली रकम के लालच में अपनी गवाही बिना सोचे-समझे डाल देते हैं और बाद में पछताते भी हैं। कुछ समय पहले प्रशासन द्वारा इस मामले में सख्ती बरती गई थी और पुलिस से दागी व आपराधिक छवि वाले नंबरदारों का रिकार्ड भी तलब किया गया था, मगर कुछ समय बाद ही इस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया व एक बार फिर धड़ल्ले से पैसे लेकर गवाही डालने का काम जारी है।

कौन होता है नंबरदार, कैसे है गवाही महत्वपूर्ण 
नंबरदार एक ऐसे नागरिक को कहते हैं जिसका समाज में अपने इलाके में खासा रसूख होता है और नंबरदारी बाकायदा सरकार देती है जिसके लिए तय नियमों का पालन करने वालों को डी.सी. द्वारा पद से नवाजा जाता है। नंबरदारी प्रथा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है व किसी जमाने में नंबरदार का ओहदा पार्षद से भी ऊंचा समझा जाता था। सरकार द्वारा हर नंबरदार को बाकायदा 1 हजार रुपए महीने का भत्ता भी दिया जाता है, उसका आई कार्ड बनता है जिसे हर साल रिन्यू भी किया जाता है। अपने इलाके में अच्छी पैठ रखने के कारण और गण्यमान्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण नंबरदार की गवाही काफी महत्वपूर्ण गिनी जाती है जो माननीय अदालत में भी मान्य होती है।

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