दिल्ली कमेटी पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों पर जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब के स्टैंड की हो रही प्रशंसा

punjabkesari.in Saturday, Mar 07, 2020 - 01:17 PM (IST)

जालंधर(बुलंद): पिछले लंबे समय से विभिन्न सिख धार्मिक संगठनों व राजनीतिक पार्टियों द्वारा ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि श्री अकाल तख्त पर अकाली दल बादल का कब्जा है और जत्थेदार भी बादल दल के इशारों पर ही काम करते हैं परंतु मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा पिछले कुछ समय से जिस प्रकार के फैसले लिए जा रहे हैं उससे पूरी सिख कौम में ऐसा प्रभाव जा रहा है कि इस जत्थेदार पर बादल परिवार का कोई प्रभाव नहीं बल्कि वह अपने खुद के आधार पर फैसले ले रहे हैं। 

यह सामने आया कि दिल्ली गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी में चल रहे कई प्रकार के भ्रष्टाचार के विवादों को लेकर दिल्ली के मुख्य 4 सिख नेता-दिल्ली कमेटी के मौजूदा प्रधान मनजिंद्र सिंह सिरसा, परमजीत सिंह सरना, अवतार सिंह हित तथा मनजीत सिंह जी.के. श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार समक्ष पेश हुए। इस मौके सभी नेताओं ने जत्थेदार के समक्ष अपने-अपने पक्ष रखे। इस बारे कई नेताओं ने दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अधीन चल रहे स्कूलों व गोलक के पैसे में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें जत्थेदार को कीं। 

सभी नेताओं की बात सुनने के बाद जत्थेदार ने एक बार फिर समझदारी से फैसला लेते हुए जहां इस सारे मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना कर अगले कुछ महीनों में उसकी रिपोर्ट अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए वहीं सभी नेताओं को कहा कि सिख धर्म के अंदरूनी मसलों और आज अकाल तख्त साहिब में हुई सारी बातचीत को वह किसी भी हालत में बाहर जाकर नहीं बताएंगे और न ही मीडिया के आगे उक्त नेता एक-दूसरे के ऊपर दोषारोपण करेंगे। जत्थेदार ने कहा कि जब तक अकाल तख्त साहिब द्वारा बनाई गई कमेटी की ओर से दिल्ली कमेटी में भ्रष्टाचार होने या न होने बारे पूरी रिपोर्ट पेश नहीं की जाती तब तक सिख नेता एक-दूसरे को चोर-भ्रष्टाचारीकह कर अपना मजाक न बनाएं। जत्थेदार ने कहा कि अगर कमेटी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर उचित कार्रवाई होगी।

जांच में हस्तक्षेप किसे पड़ सकता है महंगा
मामले बारे सिख विद्वानों की मानें तो जत्थेदार अकाल तख्त द्वारा बेशक एक कमेटी का गठन करके दिल्ली के गुरुद्वारों व अन्य आॢथक मामलों की जांच के आदेश दिए गए हैं परंतु अगर शिरोमणि अकाली दल की ओर से जांच को प्रभावित करने के लिए किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप होता है तो इसका सीधा असर जहां शिरोमणि अकाली दल के भविष्य पर पड़ सकता है वहीं इसका असर जत्थेदार की छवि पर भी पडऩे के आसार हैं, क्योंकि अगर दिल्ली कमेटी में भ्रष्टाचार के सबूत मिलते हैं तो फैसला मौजूदा इकाई के कई नेताओं के खिलाफ जा सकता है जोकि बादल दल के साथ संबंधित हैं। इससे बादल दल की छवि धूमिल हो सकती है और अगर जांच में किसी प्रकार से छेड़छाड़ होती है तो इससे जत्थेदार पर सवाल खड़े करने का मौका उन सभी संगठनों को मिल सकता है जो आज तक अकाल तख्त साहिब पर बादल दल द्वारा कब्जे के आरोप लगाते हैं। देखना यह भी होगा कि कहीं इस सारी जांच के दौरान जत्थेदार ही तो नहीं बदल दिए जाते। अगर ऐसा होता है तो यह एक नए बड़े विवाद को जन्म दे सकता है। 

जत्थेदार से इंसाफ की कोई आस नहीं, कमेटियां बनाना महज ड्रामा: भाई रणजीत सिंह
श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के किसी भी जत्थेदार में इतना दम नहीं है कि वह बादलों के विरुद्ध कोई भी फैसला ले सके। एस.जी.पी.सी. हो या फिर दिल्ली कमेटी। क्या जत्थेदार साहिब नहीं जानते कि इनमें किस स्तर पर गुरुद्वारों के चढ़ावे का दुरुपयोग हो रहा है। क्योंकि बादल परिवार की ओर से कोई इशारा नहीं है इसलिए सिर्फ कमेटियां बनाकर मामले को लटकाया जा रहा है। मामला चाहे सिरसा के डेरामुखी को माफी देने का हो, चाहे नानकशाही कैलेंडर का और चाहे दिल्ली के स्कूल का मामला, जत्थेदार को स्टैंड लेकर फैसला लेना होता है न कि कमेटी बनाकर मामले को लटकाना। बादल दल चुन-चुन कर ऐसे जत्थेदार अकाल तख्त साहिब पर भेजता है जो अपने दम पर फैसला लेने के लायक ही न हों। अकाल तख्त साहिब के पास अनेक ऐसे मामले लंबित पड़े हैं जिन पर अगर जत्थेदार ने समय पर सही फैसला लिया होता तो आज पंथ का इतना बुरा हाल न होता।

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