ट्रैवल एजैंट लाइसैंस आवेदन को लेकर चल रहे विवाद में प्रदेश सरकार को लगा पहला झटका

punjabkesari.in Tuesday, Jun 05, 2018 - 12:02 PM (IST)

जालधर(अमित, सलवान): पिछले एक हफ्ते से जालंधर में ट्रैवल एजैंट लाइसैंस आवेदन के मामले में चल रहे विवाद में प्रदेश सरकार को पहला झटका लग गया है, जिसके तहत जैट एयरवेज ने जालंधर के अपने दफ्तर को सोमवार से बंद कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बी.एम.सी. चौक स्थित जैट एयरवेज का दफ्तर जिसे जैट हाऊस का नाम दिया गया था, में जैट एयरवेज के साथ संबंधित कीनिया एयरवेज, आल निप्पण एयरलाइन्स के दफ्तर बने हुए थे। जालंधर में जैट एयरवेज का दफ्तर पिछले 2-3 दश्कों से खुला हुआ था।

इस दफ्तर से पूरे पंजाब की जनता को एयरलाइन्स से संंबंधित सारी सेवाएं जैसे कि टिकट की डेट चेंज, वी.आई.पी. सुविधाएं, री-रूट, अपग्रेड आदि कस्टमर सर्विसेज प्रदान की जा रही थीं। अब उसके लिए आम जनता को अमृतसर या चंडीगढ़ स्थित एयरपोर्ट पर ही जाना पड़ेगा। सोमवार सुबह जब लोग जैट एयरवेज के दफ्तर पहुंचे तो उनकी हैरानी का ठिकाना ही नहीं रहा, क्योंकि पिछले 2-3 दशकों से पूरी शाना-ओ-शौकत से बिल्डिंग पर लगा साइन बोर्ड नदारद था। हालांकि जैट एयरवेज कंपनी के अधिकारी इस संबंध में खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, मगर सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ दिनों में घटे घटनाक्रम को लेकर कंपनी के उच्चस्तर तक चिंता वाला माहौल बना हुआ है, इसीलिए कंपनी के  कुछ उच्चाधिकारियों को मुम्बई व दिल्ली से जालंधर आना पड़ा, ताकि दफ्तर स्थाई तौर पर बंद करने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा सकें।

कतर एयरलाइन्स के रूप में लग सकता है दूसरा झटका, दफ्तर बंद करने की तैयारी
प्रदेश सरकार को दूसरा तगड़ा झटका भी लगने वाला है। कतर एयरलाइन्स ने होटल कमल पैलेस के नजदीक स्थित अपने दफ्तर बंद करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जल्दी ही जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जाने वाली हैं। कंपनी के लोकल स्टाफ ने अपनी टॉप-लैवल मैनेजमैंट से इस संबंधी इजाजत भी मांगी है। 

5 साल पहले एयर इंडिया ने जालंधर दफ्तर किया था बंद, जनता की डिमांड पर मजबूरन दोबारा खोलना पड़ा
एयर इंडिया द्वारा कॉस्ट-कटिंग को लेकर जालंधर स्थित दफ्तर (एस.बी.आई. मेन ब्रांच के साथ वाली गली में) लगभग 5 साल पहले बंद कर दिया गया था, जिसके उपरांत एयर इंडिया से सफर करने वाले सभी ग्राहकों को कस्टम-केयर सर्विसिस के लिए अमृतसर या चंडीगढ़ एयरपोर्ट जाना पड़ता था। बहुत से ग्राहकों को एयरपोर्ट न जाने की वजह से काफी नुक्सान झेलना पड़ा था। लोगों की भारी डिमांड को देखते हुए सांसद संतोख चौधरी ने निजी हस्तक्षेप करते हुए एयर इंडिया को दफ्तर खोलने के लिए प्रयास किया, जिसके बाद एयर इंडिया को मजबूरन अपना दफ्तर दोबारा खोलना पड़ा था। मगर जिस तरह के हालात जालंधर में पैदा हो चुके हैं, उनको देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर जल्द स्थिति में सुधार न हुआ तो एयर इंडिया भी फिर अपना दफ्तर बंद करने के बारे में सोच सकती है।

पंजाब का ट्रैवल-हब कहलाने वाले जालंधर से एयरलाइन कंपनियों का मोह होने लगा भंग
पंजाब का ट्रैवल-हब कहे जाने वाले जालंधर, जहां पिछले 3-4 दशकों से ट्रैवल कारोबार ने पूरे अंतर्राष्ट्रीय जगत में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की हुई है, वहां से एयरलाइन्स कंपनियों का मोह अब धीरे-धीरे भंग होने लगा है। जहां कुछ साल पहले तक विश्व की लगभग सारी एयरलाइन्स द्वारा जालंधर में अपना दफ्तर खोलना जरूर समझा जाता था, अब वही कंपनियां पंजाब से दफ्तर बंद करके चंडीगढ़ या हरियाणा में शिफ्ट करने का पूरा मन बना चुकी हैं। गौर हो कि एयरलाइन्स के दफ्तर में किसी ग्राहक से सीधे तौर पर कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। केवल एयर टिकटिंग का काम करने वाले कारोबारियों को टैक्निकल व अन्य सपोर्ट देने का काम किया जाता है। सरकार द्वारा बनाए गए नए एक्ट और इसके कड़े प्रावधानों की वजह से एयरलाइन्स अपना दफ्तर खोले रखने में कठिनाई महसूस करने लगे हैं। अगर ऐसा होता है तो इस क्षेत्र को बहुत भारी नुक्सान होगा, जिसकी भरपाई करना लगभग असंभव हो सकता है। 

एक्ट में एयरलाइन्स कंपनियों को लेकर स्थिति नहीं साफ
पंजाब प्रिवैंशन आफ ह्यूमन स्मगलिंग एक्ट, 2012 के रूल्का और आफ ह्यूमन स्मगलिंग रूल्का, 2013 और 2014 में किए गए संशोधनों के अंदर एयरलाइन्स कंपनियों को लेकर स्थिति साफ नहीं की गई है जिसके चलते इस बात का असमंजस बरकरार है कि एयरलाइन्स कंपनियों के लिए लाइसैंस लेना जरूरी या नहीं। इसकी कश्मकश के चलते पिछले कई दिनों से एयरलाइन्स कंपनियां अपने दफ्तर नहीं खोल पा रही हैं। कंपनियों के अधिकारियों का मानना है कि दफ्तर खोलकर वह अपने स्टाफ के लिए मुसीबत नहीं खड़ी करना चाहते, इसीलिए वे अपना दफ्तर बंद करने में ही भलाई समझ रहे हैं। 

मामला ध्यान में नहीं, एयरलाइन कंपनियां अपनी बात रखें, सरकार तक पहुंचाई जाएगी : डी.सी.
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि मामला उनके ध्यान में नहीं है। अगर एयरलाइन्स कंपनियों के लिए लाइसैंस लेना अनिवार्य नहीं है तो वे उनके पास आकर अपनी बात रखें, ताकि सरकार तक पहुंचाकर इसमें राय प्राप्त की जा सके। जहां तक लाइसैंस आवेदन करने का सवाल है, किसी भी कंपनी को प्रशासन की तरफ से पूरी प्रक्रिया के अंदर कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी। 

एक्ट की कमियों का खमियाजा भुगत रहे ट्रैवल कारोबारी : राजेश्वर डांग
टी.ए.ए.आई. के पूर्व चेयरमैन राजेश्वर डांग ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के अंदर पंजाब में खासतौर पर जालंधर के अंदर ट्रैवल कारोबार से जुड़े कारोबारियों के मन में भय की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि एक्ट की कमियों का खमियाजा ट्रैवल कारोबारी भुगत रहे हैं। लाइसैंस आवेदन जमा करवाने के लिए इस बात को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि अगर किसी कारोबारी ने आवेदन नहीं किया है और अब वह करना चाहता है, तो उसके लिए क्या प्रावधान है? क्या लेट-फीस जमा करवाकर आवेदन दिया जा सकता है या नहीं? लाइसैंस फीस को लेकर भी स्पष्ट हिदायतें नहीं दी गई हैं? ट्रैवल एजैंट की परिभाषा को लेकर भी स्थित साफ नहीं है? इसके साथ मुख्य तौर पर प्रूफ आफ आकुपैंसी आफ बिजनैस प्लेस को लेकर नाजायज तौर पर कारोबारियों को परेशान किया जा रहा है। केवल रजिस्टर्ड रैंट डीड की मांग करते हुए सरकार बैक-डोर से अपना खकााना भरने में लगी हुई है, जबकि एक ही एक्ट के अंतर्गत कुछ जिलों में अन-रजिस्टर्ड डीड को स्वीकार कर लाइसैंस जारी किए जा रहे हैं। मगर जालंधर में एक्ट को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर कारोबारियों के साथ धक्का किया जा रहा है। 
 

 

Vatika