महाराष्ट्र, बिहार, मेघालय व कुछ अन्य राज्यों के भी शेयर में बढ़ौतरी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2020 - 12:32 PM (IST)

जालंधर(धवन): 14वें वित्त आयोग द्वारा पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि केन्द्रीय टैक्सों में पंजाब का हिस्सा बढ़ा है। 2020-21 के बजट अनुमानों के अनुसार राज्य का हिस्सा 14021 करोड़ रहेगा, जोकि इससे पहले वर्ष 12,366 करोड़ था। पंजाब के अलावा महाराष्ट्र, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान का भी केन्द्रीय टैक्सों में हिस्सा बढ़ने जा रहा है। 2016-20 की अवधि के दौरान केन्द्रीय टैक्सों में पंजाब का योगदान 1.57 प्रतिशत से बढ़कर 1.78 प्रतिशत हो गया। इस तरह इसमें 0.21 प्रतिशत की बढ़ौतरी दर्ज की गई। 

अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो यह राशि 1655 करोड़ रुपए बनती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह लगातार केन्द्र सरकार से जी.एस.टी. का हिस्सा समय पर रिलीज करने की मांग कर रहे हैं। अब चूंकि जी.एस.टी. की कलैक्शन सीधी केन्द्र सरकार के पास जाती है तथा पंजाब का योगदान भी बढ़ा है इसलिए पंजाब ने केन्द्र से पुन: गुहार लगाई है कि राज्य को उनका बनता हिस्सा जल्द से जल्द समय पर दिया जाए। दूसरी तरफ जी.एस.टी. में होने वाली चोरी को देखते हुए पंजाब सरकार ने अमरीका स्थित अब्दुल लतीफ जमील एक्शन लैब (जे-पॉल) के साथ हाथ मिलाया है ताकि टैक्स चोरी होने की स्थिति में कर अधिकारियों पर काम का बोझ घटाया जा सके तथा संबंधित फर्म टैक्स चोरी करने वाली कम्पनियों के पहचान कर सकेगी।

पंजाब के कराधान व आबकारी आयुक्त विवेक प्रताप सिंह के अनुसार ग्लोबल रिसर्च सैंटर द्वारा जी.एस.टी. कलैक्शन के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा तथा टैक्स चोरी रोकने के विभिन्न उपायों को बताया जाएगा। टैक्स चोरी को रोकने के लिए जे. पाल द्वारा एक स्मार्ट मशीन लर्निंग टूल विकसित करने की योजना बनाई गई है। केन्द्र सरकार ने भी दूसरी ओर आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए मिस मैच वाले क्षेत्रों में लाल रिपोर्टें भेजनी शुरू कर दी हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जी.एस.टी. कलैक्शन में खामियों को देखते हुए आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण करने की बात कही थी।

पंजाब में दूसरी ओर राज्य का जी.एस.टी. कलैक्शन जनवरी 2020 में 1340 करोड़ रहा, जिसमें पिछले साल इसी अवधि में हुई कलैक्शन 1220 करोड़ की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक था। इसके बावजूद टैक्सों से होने वाले राजस्व को लेकर चिन्ताएं बरकरार हैं। पंजाब की चिन्ताएं इसलिए भी ज्यादा हैं कि उसने केन्द्र से जी.एस.टी. से राजस्व के रूप में हर महीने 2037 करोड़ रुपए की मांग की हुई है। दूसरी तरफ केन्द्र से मिलने वाले जी.एस.टी. की किश्तों में देरी भी चिन्ता का कारण बनी हुई है, जिससे राज्य में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। 

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Sunita sarangal