शराब ग्रुपों को मर्ज करके कुछ आबकारी अधिकारी करोड़ों का लाभ लेने की फिराक में?

punjabkesari.in Wednesday, Mar 18, 2020 - 09:58 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): पंजाब सरकार की आबकारी पॉलिसी सवालों के घेरे में है। सरकार का आबकारी व कर विभाग निर्धारित रैवेन्यू टार्गेट पूरे नहीं कर पाने के चक्कर में मनमर्जी पर उतारू हो गया है। मामले बारे जिले के अनेकों छोटे ठेकेदार पंजाब सरकार से खफा हुए बैठे हैं।

ठेकेदारों का आरोप है कि विभाग के कुछ अधिकारी मनमर्जी से शराब ठेकों की बांट करने में लगे हैं। बात जालंधर निगम के एरिया की करें तो यहां 334 करोड़ के टार्गेट में से 125 करोड़ रुपए का राजस्व बकाया है जो फिलहाल पूरा नहीं हो पा रहा। सरकार ने नई ठेके रिन्यू करने की पॉलिसी इस बार लागू की थी पर ठेकेदारों ने उसमें रुचि नहीं दिखाई क्योंकि ठेकेदारों का आरोप था कि सरकार अवैध शराब तस्करी को रोक पाने में नाकाम है। 

विभाग के कुछ जानकारों का कहना है कि छोटे ठेकेदारों को खत्म करने के लिए अब आबकारी विभाग बड़े ठेकेदारों के साथ मिलकर गेम खेलने की फिराक में है। इसके लिए सबसे पहले नियमों के उलट जाकर विभाग के कर्मचारियों ने ठेकेदारों पर दबाव बनाकर उन्हें सिंडीकेट बनाने के लिए राजी किया। इसके बाद उसी सिंडीकेट के जरिए अपनी जेबें भरने की पूरी प्लानिंग विभाग के कर्मचारियों की हो चुकी है। छोटे शराब कारोबारियों की मानें तो एक ओर पंजाब सरकारी की आबकारी पॉलिसी में साफ लिखा है कि सरकार सिंडीकेट बनाने के हक में नहीं है लेकिन उसी सरकार के आबकारी विभाग के कर्मचारी अपनी ही सरकार के उल्ट जाकर सिंडीकेट बनाने के लिए जी-तोड़ कोशिशें करने में लगे हैं, जिससे आबकारी अधिकारी करोड़ों का लाभ लेने की फिराक में हैं।

विजीलैंस की निगरानी में हो शराब ठेकों की नीलामी
छोटे ठेकेदारों की मानें तो कई साल पहले एक बड़े शराब कारोबारी को पंजाब का सारा शराब कारोबार सौंपने के लिए आबकारी विभाग ने कई जिलों और निगमों को मर्ज करके सारा शराब कारोबार एक ही बड़े कारोबारी को देने की कोशिश की थी, जिसके बाद केस सुप्रीम कोर्ट में गया था और सरकार को अदालत में जवाब देना मुश्किल हो गया था। अदालत ने विभाग से पूछा था कि आखिर क्या विभाग ने कोई डायरी मैनटेन की है जिसमें सभी छोटे कारोबारियों के साइन हों कि वे शराब के ठेके क्यों नहीं ले रहे।

18 शराब ग्रुपों को मर्ज करके बनाए 6, कौन खरीदेगा 21 करोड़ का एक ग्रुप
शराब कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि अब विभाग ने अपना टार्गेट पूरा करने के चक्कर में 18 ग्रुपों को 6 ग्रुपों में मर्ज करके बड़े शराब कारोबारियों के साथ सैटिंगें कर ली हैं। हैरानी की बात है कि जिन 18 ग्रुपों के लिए विभाग को ग्राहक नहीं मिल रहे थे, उन्हीं 18 शराब ग्रुपों को 6 में तबदील करके 21 करोड़ रुपए में एक-एक ग्रुप को बेचा जाएगा। सीधी-सी बात है कि इसके जरिए अब छोटे शराब कारोबारियों का भविष्य तबाह करने की तैयारी की गई है।

जानकारी के अनुसार 19 तारीख को रखी गई नीलामी के लिए विभाग के पास अर्जियां नहीं पहुंच रहीं। ऐसे में आखिर के समय में बड़े शराब कारोबारियों को 5 प्रतिशत तक रेटों में कमी करके करोड़ों रुपए सस्ते शराब के ठेके बेच दिए जाएंगे और जो मुनाफा बचेगा उसे विभागीय कर्मचारी व बड़े ठेकेदार आपस में बांट लेंगे।


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Edited By

Sunita sarangal

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