MC का 30 करोड़ का जी.एस.टी. शेयर दबाए बैठी है पंजाब सरकार

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2019 - 11:39 AM (IST)

जालंधर(अश्विनी खुराना): आज से कई साल पहले जब पंजाब सरकार ने राज्य में चुंगी प्रणाली को खत्म कर दिया था तब नगर निगमों की आय का मुख्य स्रोत ही खत्म हो गया था जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रावधान बनाया कि जिले में से इकट्ठे हुए वैट का कुछ प्रतिशत संबंधित शहर के नगर निगम को दिया जाएगा ताकि उनकी आय का स्रोत बना रहे। वैट के बाद जब जी.एस.टी. व्यवस्था लागू हुई तो कुल एकत्रित जी.एस.टी. का 11 प्रतिशत चुंगियों की एवज में जालंधर निगम को मिलने लगा।

अब चूंकि पंजाब सरकार जबरदस्त आर्थिक संकट की चपेट में है, ऐसे में राज्य सरकार ने जालंधर निगम का 2 महीनों का जी.एस.टी. शेयर जो 30 करोड़ रुपए बनता है, रोक रखा है। इस कारण नगर निगम भी आर्थिक संकट के घेरे में आ गया है और उसे अपने कर्मचारियों को वेतन तक देने के लाले पड़ गए हैं। आज 4 दिसम्बर होने के बावजूद निगम के एक भी कर्मचारी को वेतन नहीं मिल पाया जो पहली तारीख से बंटना शुरू हो जाता था। अगर कुछ दिन और निगम को जी.एस.टी. शेयर नहीं मिला तो कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दिया जा सकेगा।

रिटायर्ड कर्मियों को फंड देने हेतु भी पैसे नहीं
जालंधर निगम को हर महीने जी.एस.टी. शेयर के रूप में पंजाब सरकार से करीब 15 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं और यह सारी राशि कर्मचारियों के वेतन में निकल जाती है। निगम अपने राजस्व से छोटे-मोटे खर्चे करता रहता है, जिनमें पैट्रोल, डीजल तथा विकास कार्य इत्यादि शामिल हैं। 2 महीने से जी.एस.टी. शेयर न मिलने के कारण जालंधर निगम की हालत इतनी पतली हो गई है कि यह अपने रिटायर्ड कर्मचारियों को फंड तथा भत्ते इत्यादि देने की हालत में भी नहीं है और इससे संबंधित दर्जनों फाइलें अटकी हुई हैं।

पंजाब सरकार ने कुल 68 करोड़ दबाया
निगम रिकार्ड के मुताबिक आर्थिक तंगी से जूझ रही पंजाब सरकार ने जालंधर निगम का 68 करोड़ रुपया दबा रखा है, जिनमें 30 करोड़ जी.एस.टी. शेयर, 25 करोड़ एक्साइज शेयर, 9 करोड़ बिजली पर वसूली गई चुंगी तथा 4 करोड़ ऑनलाइन नक्शों से प्राप्त हुई फीस से संबंधित है। इस स्थिति से शहर के कांग्रेसी विधायक तथा मेयर काफी परेशान हैं और उन्होंने इस बाबत मंत्री से मिलने का प्रोग्राम बनाया है।

निगम की कुल देनदारी 40 करोड़ हुई
एक ओर जहां निगम ने पंजाब सरकार से 68 करोड़ रुपए लेने हैं वहीं निगम की कुल देनदारी 40 करोड़ से ज्यादा हो गई है, जिनमें से 15 करोड़ का वेतन दिया जाना है, 16 करोड़ रुपए निगम ने अभी ठेकेदारों को देने हैं तथा 10 करोड़ रुपए के करीब उसे अचानक खर्चों, फीसों तथा अन्य भुगतान के लिए चाहिए।
 

Edited By

Sunita sarangal