होशियारपुरिए ठेकेदार विरुद्ध पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाएगा निगम

punjabkesari.in Wednesday, Mar 04, 2020 - 08:53 AM (IST)

जालंधर(खुराना): नगर निगम की फाइनांस एंड कांट्रैक्ट कमेटी ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए जिला होशियारपुर से संबंधित बजवाड़ा को-आप्रेटिव सोसायटी के ठेकेदार विरुद्ध पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही निर्देश दिए हैं कि ठेकेदार फर्म को ब्लैकलिस्ट करने के साथ-साथ दूसरी विभागीय कार्रवाई भी की जाए। 

गौरतलब है कि पिछले साल बजवाड़ा को-आप्रेटिव सोसायटी ने नगर निगम के लाखों रुपए के टैंडर लेने के लिए जो एनलिस्टमैंट सर्टीफिकेट लगाया था वह जांच के दौरान जाली निकला। नकली एनलिस्टमैंट सर्टीफिकेट लगाने के आरोप में बजवाड़ा सोसायटी विरुद्ध पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का फैसला पिछले साल ही ले लिया गया था परंतु संबंधित ठेकेदार ईशांत शर्मा ने अपने जवाब में कहा था कि उसके डिजीटल सिग्नेचर वाली डोंगल चोरी हो गई थी।

इसी का दुरुपयोग करते हुए किसी अन्य व्यक्ति ने उनके नाम पर टैंडर भर दिए। जब निगम ने जांच के दौरान डोंगल चोरी होने की एफ.आई.आर. की कॉपी मांगी तो संबंधित होशियारपुर के ठेकेदार उसकी कॉपी नहीं दे पाए। कुछ माह पहले यह मामला एफ. एंड सी.सी. की बैठक में आया। इस दौरान बजवाड़ा सोसायटी को ब्लैकलिस्ट करने संबंधी प्रस्ताव था परंतु उसके अगले ही दिन बजवाड़ा सोसायटी के प्रतिनिधियों ने थाने में डोंगल चोरी होने की एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी और उसकी कापी निगम को सौंप दी। 

इसके बाद हैरानीजनक बात तब सामने आई जब नगर निगम की एफ. एंड सी.सी. कमेटी के एजैंडे में यह प्रस्ताव आ गया कि चूंकि डोंगल चोरी होने की एफ.आई.आर. दर्ज हो चुकी है इसलिए जब पुलिस जांच करेगी तभी स्पष्ट हो पाएगा कि टैंडर किस द्वारा डाला गया। एफ. एंड सी.सी. ने पुलिस जांच पूरी होने तक इस केस को ठप्प रखने का प्रस्ताव तो डाल दिया, जिस पर आज चर्चा हुई परंतु चर्चा के दौरान डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ठेकेदार विरुद्ध पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवानी बनती है। इसके बाद कमेटी ने सर्वसम्मति से फैसला लेकर बजवाड़ा सोसायटी विरुद्ध पुलिस में शिकायत देने और सोसायटी को ब्लैकलिस्ट करने संबंधी प्रस्ताव पास कर दिया।

राजनीतिक दबाव के भी लगे थे आरोप
चूंकि नगर निगम को नकली दस्तावेज देने संबंधी मामले को एक साल पूरा होने को हैं परंतु अभी तक नगर निगम फ्रॉड करने वाली बजवाड़ा सोसायटी विरुद्ध न तो खुद कोई एक्शन ले पाया और न ही इस मामले की रिपोर्ट पुलिस को की गई। निगम प्रशासन की इस लापरवाही के बाद आरोप लगे कि राजनीतिक दबाव के चलते इस मामले को ठप्प किया जा रहा है और इस मामले में एक कांग्रेसी मंत्री का प्रैशर काम कर रहा है। आज एफ. एंड सी.सी. द्वारा लिए गए फैसले से स्पष्ट हो गया कि नगर निगम यदि इस मामले को ठप्प कर देता तो आने वाले समय में अधिकारियों और सत्तापक्ष के नेताओं को परेशानी बढ़ सकती थी।

अब स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस टैंडरों पर निगम को नहीं बचेंगे 2 करोड़ रुपए
पिछले समय दौरान स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस के 4 करोड़ रुपए के टैंडर लेते समय चंद ठेकेदारों ने आपस में पूल कर लिया था जिसका खुलासा पंजाब केसरी में होने के बाद निगम प्रशासन ने उन टैंडरों को रद्द करके चौथी बार टैंडर लगाए थे जो 2 दिन पहले खोले गए। उन टैंडरों में एक पुराने ठेकेदार गुर्रम इलैक्ट्रीकल्स ने एक जोन के टैंडर भरते समय 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट ऑफर करके सभी को चौंका दिया था। इन टैंडरों में 2 अन्य ठेकेदारों भागवत इंजीनियर्स तथा अजय गुप्ता ने अपनी ओर से 24.99 प्रतिशत डिस्काऊंट ऑफर किए थे। चूंकि इन टैंडरों में स्टार रेट वाली शर्त लागू थी इसलिए हर ठेकेदार को सर्वाधिक डिस्काऊंट यानी 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट निगम को देना ही था।

इन टैंडरों को कल अचानक काल की गई एफ. एंड सी.सी. बैठक में ऊपरी एजैंडा डाल कर प्रस्ताव के रूप में रखा गया, जिस दौरान गुर्रम इलैक्ट्रीकल्स को एक जोन का टैंडर तो 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर अलॉट कर दिया गया जबकि भागवत इंजीनियर्स तथा अजय गुप्ता द्वारा डाले गए 3-3 जोनों के टैंडरों को रद्द करके उन्हें री-कॉल करने का फैसला लिया गया। माना जा रहा है कि अगर एफ. एंड सी.सी. बैठक में स्टार रेट प्रक्रिया के तहत सभी जोन के टैंडर 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर अलॉट कर दिए जाते तो निगम को सीधे-सीधे 2 करोड़ रुपए की बचत हो जाती परंतु ऐसा नहीं हो पाया। एफ. एंड सी.सी. द्वारा सख्ती से स्टार रेट प्रक्रिया लागू न कर पाने के लिए कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

हाईकोर्ट जाने का मन बना रहे पुराने ठेकेदार
एफ. एंड सी.सी. द्वारा स्टार रेट प्रक्रिया की उपेक्षा करके 6 जोनों के टैंडर रद्द किए जाने के बाद अब स्ट्रीट लाइट मैंटीनैंस से जुड़े कुछ पुराने ठेकेदारों ने हाईकोर्ट जाने का मन बना लिया है, जिस दौरान एफ. एंड सी.सी. कमेटी के सदस्यों और निगमाधिकारियों को पार्टी बनाया जाएगा। इन ठेकेदारों ने कहा कि एफ. एंड सी.सी. कमेटी को सभी 3 ठेकेदारों पर स्टार रेट लागू करते हुए सभी 7 जोनों में 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट लेना चाहिए था, जिससे निगम को 2 करोड़ रुपए बचते परंतु 2 ठेकेदारों को कथित रूप से लाभ पहुंचाने की खातिर उनके जोनों पर स्टार रेट लागू न करके उन्हें रद्द कर दिया गया।

हालांकि एफ. एंड सी.सी. प्रतिनिधियों का कहना है कि उक्त दोनों ठेकेदारों ने 48.90 प्रतिशत डिस्काऊंट पर काम करने से इंकार कर दिया था। इस जवाब पर पुराने ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने भी पिछले साल इसी स्टार रेट प्रक्रिया के तहत अत्यंत महंगे दाम यानी 33.33 प्रतिशत पर टैंडर लिए थे। यही प्रक्रिया इस बार लागू क्यों नहीं की गई। इन ठेकेदारों ने कहा कि अब अगले टैंडरों में निगम को 48.90 प्रतिशत से कम डिस्काऊंट ऑफर हुआ तो निगम को आर्थिक घाटा पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी एफ. एंड सी.सी. कमेटी तथा संबंधित अधिकारियों पर होगी।

Edited By

Sunita sarangal