पॉलीथीन बैग्स को टक्कर दे रहे हैं अखबार से बने लिफाफे

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2019 - 09:50 AM (IST)

जालंधर(अश्विनी खुराना): विभिन्न राज्यों की सरकारों ने प्लास्टिक से बने लिफाफों पर वर्षों से प्रतिबंध लगा रखे हैं। हिमाचल सहित कई राज्यों में यह प्रतिबंध सख्ती से लागू भी हैं परंतु पंजाब सहित कई राज्य अभी ऐसे हैं जहां सरकारों ने प्लास्टिक पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू नहीं करवाया है। प्लास्टिक के कारण पर्यावरण को जो नुक्सान पहुंच रहा है उसे देखते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की घोषणा की है और संभवत: 2 अक्तूबर से यह प्रतिबंध देश भर में लागू होने जा रहा है, जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर गम्भीरता दिखाई है, उससे आम लोगों में प्लास्टिक के कुप्रभावों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अब ज्यादातर राज्यों की सरकारों ने प्लास्टिक पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।

ऐसी सख्ती के चलते अब चर्चा शुरू हो गई है कि प्लास्टिक के लिफाफों का विकल्प ढूंढना ही होगा क्योंकि ऐसे लिफाफे बनाने वाली फैक्टरियां पूरी तरह बंद होने जा रही हैं और चोरी-छिपे जो ऐसे लिफाफे बिकते या प्रयोग में लाए जाते हैं, उनका समय भी अब थोड़ा दिख रहा है। ऐसे में अखबार तथा अन्य विकल्पों से बने लिफाफों का दौर दोबारा शुरू होने जा रहा है, जिसे भांपते हुए शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार के बच्चों ने अपने घर से अखबार के बने लिफाफे तैयार करने का अभियान शुरू किया है, जो आने वाले समय में कइयों के लिए जहां प्रेरणा का स्रोत बनेगा। वहीं इस अभियान का दायरा बढऩे से प्लास्टिक बैग्स को अखबारी लिफाफे से टक्कर मिलेगी और अखबारी लिफाफे का प्रयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा।

इवान व परिसा बन रहे रोल मॉडल
घर में अखबारी लिफाफे तैयार करने और उन्हें प्रचलन में लाने के अभियान का रोल मॉडल दरअसल भाई-बहन इवान व परिसा बन रहे हैं। इवान कैम्ब्रिज को-एड स्कूल की 8वीं कक्षा जबकि परिसा इसी स्कूल की 6वीं कक्षा की छात्रा है। पिता टीनू लूथरा मिशन क्लीन जालंधर के संस्थापक हैं और इस एन.जी.ओ. के माध्यम से वह असंख्य बच्चों व युवाओं में स्वच्छता को लेकर एक लहर-सी चला चुके हैं। उनके नेतृत्व में जो कार्यक्रम शहर का सौन्दर्यीकरण बढ़ाने हेतु किए जाते हैं, उनमें भी इवान और परिसा की शमूलियत अवश्य रहती है, जिस कारण दोनों बच्चों में अभी से ही सामाजिक कुरीतियों व ऐसे कार्यों प्रति उत्साह है। इनकी मां नीतिका भी अपने पति टीनू व बच्चों की हौसला अफजाई करने में सदैव सक्रिय दिखती हैं।

जानवरों को बेबस देख कर आया ख्याल
लूथरा परिवार के सदस्यों व बच्चों संग हुई बातचीत से सामने आया कि दरअसल जानवरों को बेबस देख कर प्लास्टिक के लिफाफों प्रति ख्याल और मन में नफरत-सी आई। पिता टीनू लूथरा बताते हैं कि दोनों बच्चों में जानवरों प्रति दया-भाव है और जब उन्हें पता चला कि जानवर कूड़े में से प्लास्टिक के लिफाफे खाकर मौत का शिकार तक बन जाते हैं तब बच्चों ने एकदम से प्लास्टिक के विरुद्ध नफरत दिखाई। प्लास्टिक के लिफाफों का विकल्प अखबारी लिफाफों के रूप में ढूंढा गया। परिवार भी इस मूवमेंट को शुरू करके खासा उत्साहित दिख रहा है।

फ्री बांटने से पहले सजाते हैं लिफाफे
इवान व परिसा अखबार से साधारण लिफाफे नहीं बल्कि डबल लेयर वाले लिफाफे तैयार करते हैं जिन्हें फ्री बांटने से पहले रस्सी का हैंडल लगाया जाता है तथा उसे सजाया भी जाता है। हल्की-फुल्की चीजों व गिफ्ट आइटमों इत्यादि के लिए यह लिफाफे बेहद आकर्षक दिखते हैं।

आई.ए.एस. आशिका जैन ने दिखाई दिलचस्पी
युवा आई.ए.एस. अधिकारी व जालंधर निगम में बतौर ज्वाइंट कमिश्रर स्वच्छ भारत मिशन के तहत विभिन्न विषयों प्रति जागरूकता लाने में जुटी श्रीमती आशिका जैन ने इवान व परिसा द्वारा शुरू किए गए अभियान की सराहना करते हुए अपने हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चे अन्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर पर्यावरण की दृष्टि से सराहनीय कार्य कर रहे हैं। प्लास्टिक व डिस्पोजेबल्स पर पूर्ण प्रतिबंध समय की जरूरत है, ऐसे में अखबारी लिफाफों का पुन: चलन का अभियान सराहना का पात्र है। श्रीमती आशिका जैन ने बच्चों से मिलने की इच्छा भी जताई है। 

Edited By

Sunita sarangal