ट्रैफिक पुलिस के रिकार्ड में मात्र 1065 स्कूल वाहन, ठेकेदारों के कंडम वाहनों के बारे में नहीं जानकारी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2020 - 09:56 AM (IST)

जालंधर(वरुण): संगरूर अग्निकांड के बाद चाहे जालंधर ट्रैफिक पुलिस व आर.टी.ए. विभाग ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है लेकिन इस बीच बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। ट्रैफिक पुलिस एजुकेशन सैल के आंकड़ों के अनुसार शहर के सभी स्कूलों के कुल 1065 वाहन चलते हैं, लेकिन जिन स्कूलों ने ठेकेदारों की गाड़ियां बच्चों को स्कूल लाने व छोड़ने के लिए ठेके पर ली हैं, उनका कोई रिकार्ड ही नहीं है। ट्रैफिक पुलिस ने तो स्कूली वाहनों का (बिना ठेकेदार की गाड़ियों का) आंकड़ा तैयार कर रखा है लेकिन आर.टी.ए. विभाग अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा पाया। 

आर.टी.ए. ऑफिस में सिर्फ स्कूलों की नई गाड़ियों का आंकड़ा है, जबकि जिन स्कूल वालों ने पुरानी गाड़ियां खरीदी हुई हैं, उनका कोई भी रिकार्ड नहीं है और ठेकेदार की गाड़ियों का भी कोई आंकड़ा नहीं है। ये वही गाड़ियां हैं जो कंडम हो चुकी हैं और मासूम बच्चों को बिना किसी डर के स्कूल ले जाने व घर छोड़ने का काम कर रही हैं। हैरानी की बात है कि चंद पैसों के लिए स्कूल प्रबंधक भी ऐसे वाहनों पर पाबंदी नहीं लगा रहे हैं, जो किसी भी समय हादसे का कारण बन सकती हैं। ट्रैफिक पुलिस की मानें तो सिटी के स्कूलों के पास बच्चों के लिए कुल 579 बसें, 77 अलग-अलग गाड़ियां व 409 ऑटो रिक्शा हैं, जबकि शहर में इन आंकड़ों से दोगुने स्कूल वाहन दौड़ रहे हैं। 

PunjabKesari, no information about some school vehicles in traffic police records

ट्रैफिक पुलिस ने काटे 107 चालान, 2 ऑटो किए इम्पाऊंड
संगरूर में स्कूल वैन जलने के हादसे में मारे गए 4 मासूम बच्चों के बाद ट्रैफिक पुलिस व आर.टी.ए. सहित उनकी टीम ने अलग-अलग चौराहों पर चैकिंग की तो कई स्कूली वाहनों में कमियां मिलीं। स्कूल के वाहनों की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधकों की है, लेकिन कुछ स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों की सेफ्टी के लिए वाहनों को चैक तक नहीं किया। ट्रैफिक पुलिस ने दावा किया है कि सोमवार सुबह अलग-अलग चौराहों पर कुल 107 चालान काटे गए, जिनमें से 87 चालान स्कूल बसों व 20 ऑटो रिक्शा के थे, जबकि 4 स्कूल बसों व 2 स्कूल ऑटोज को इम्पाऊंड किया गया है।

स्कूल के वाहनों में मिली पेंट की बाल्टी, नंगी तारें, शिकायत के लिए दिए नंबर गायब
ट्रैफिक पुलिस ने जिन स्कूल वाहनों को इम्पाऊंड किया, उनमें से एक बस में पेंट की बाल्टी रखी हुई थी। एक मैटाडोर की हालत इतनी कंडम थी कि उसमें से तारें निकली हुई थीं और वह एक प्रतिशत भी सड़क पर चलने लायक नहीं थी। जिन स्कूल वाहनों में बच्चे बैठे थे, उनमें से कुछ बसों में सीट के नीचे बैटरियां रखी हुई थीं, जिससे किसी भी बच्चे को करंट लग सकता था। इसके अलावा कुछ स्कूल वाहनों में रैश ड्राइविंग करने पर शिकायत के लिए लिखे जाने वाले मोबाइल नंबर तक गायब थे। कुछ बसों में सी.सी.टी.वी. कैमरे नहीं थे, फर्स्टएड किट व आग बुझाने वाले यंत्र भी गायब थे और कुछ में एक्सपायरी डेट के थे।

अंदरूनी इलाकों के स्कूल वाहनों की हालत ज्यादा खस्ता
शहर के अंदरूनी इलाकों में खुले स्कूलों के वाहनों की हालत ज्यादा खस्ता है। हैरानी की बात है कि ऐसे कुछ स्कूल वाले कबाड़ से बसों व मिनी वैन खरीद कर ट्रांसपोर्ट का काम चला रहे हैं। अन्य शहरों की बसें, मैटाडोरें, मिनी बसें तक इस्तेमाल की जा रही हैं। ट्रैफिक पुलिस जल्द ही ऐसे सभी स्कूलों पर सख्ती करने जा रही है। 

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सभी स्कूलों के प्रबंधकों को जारी किया नोटिस
ट्रैफिक पुलिस ने सभी स्कूलों के प्रबंधकों को सोमवार को नोटिस जारी किया है। उसमें नियमों को फॉलो करने की अपील करते हुए कहा गया है कि सभी स्कूल प्रबंधक स्कूल के बच्चों की सुरक्षा के लिए सेफ स्कूल वाहन स्कीम के तहत जारी की गई हिदायतों का पालन करना यकीनी बनाएं। 

इन सभी नियमों को लागू करें स्कूल प्रबंधक

  • कोई भी स्कूल/कॉलेज का वाहन बिना परमिट, फिटनैस सर्टीफिकेट व अन्य दस्तावेजों के नहीं चलेगा। 
  • बच्चों के ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाला वाहन वैलिड पॉल्यूशन सर्टीफिकेट रखेगा।
  • स्कूल वाहन के ड्राइवर का 5 साल में किसी भी ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने पर 3 या इससे ज्यादा बार चालान न हुआ हो और न ही रोड एक्सीडैंट का कोई केस हो। 
  • स्कूल वाहन चालक व कंडक्टर का वर्दी पहनना जरूरी है और नेम प्लेट भी लगानी पड़ेगी। 
  • ड्राइवर को ड्यूटी समय ड्राइविंग लाइसैंस जरूर रखना होगा। 
  • स्कूल वाहन के कर्मचारियों का स्टेट ट्रांसपोर्ट विभाग की ओर से 2 साल में एक बार रिफ्रैशर कोर्स जरूरी है। 
  • ड्राइवरों का एक साल बाद मैडीकल करवाया जाए। 
  • स्कूल वाहनों के आगे-पीछे बोर्ड लगा हो, जिस पर रूट, समय, स्कूल का फोन नंबर लिखा हो और यकीनी बनाया जाए कि स्कूल के वाहनों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को न बिठाया जाए। 
  • सभी स्कूल वाहन चालक 50 किलोमीटर से ज्यादा स्पीड से वाहन नहीं चलाएंगे। 
  • स्कूलों/कॉलेजों के आगे जैब्रा क्रॉसिंग जरूरी है। 
  • प्रबंधक यह यकीनी बनाएं कि वाहन चालक के छुट्टी पर जाने से पहले सभी शर्तें पूरी करने वाले ड्राइवर को ही उसकी जगह भेजें। 
  • अभिभावक हर प्रकार के प्राइवेट ऑटो रिक्शा/रिक्शा पर आने-जाने वाले बच्चों व ऑटो चालकों का सारा रिकार्ड अलग से रखेंगे और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर उनके साथ मीटिंग कर उन सभी ऑटो रिक्शा वालों का ड्राइविंग लाइसैंस, फिटनैस सर्टीफिकेट व अन्य जरूरी दस्तावेज की फोटोकॉपी अपने पास रखेंगे। 
  • स्कूल की मैनेजमैंट एक रजिस्टर तैयार करेगी, जिसमें सभी ड्राइवर-कंडक्टरों से वाहनों संबंधी सारी जानकारी दर्ज की जाए व प्रबंधक इन वाहनों की हर हफ्ते चैकिंग करें। 
  • कंडम वाहनों का इस्तेमाल किसी भी हालत में नहीं किया जा सकता, ताकि बच्चों की सुरक्षा यकीनी बने। 
  • समूह स्कूल प्रबंधक बच्चों की ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन चालक-परिचालकों के साथ हर माह मीटिंग कर सभी आदेशों को पूरी तरह से मनवाने के लिए आदेश देंगे और शर्तों के लिए स्कूल प्रबंधक ही जिम्मेदार होंगे।

ट्रैफिक पुलिस रोज अलग-अलग समय नाकेबंदी कर कंडम स्कूल वाहनों को इम्पाऊंड करेगी। यह भी यकीनी बनाया जाएगा कि किसी भी हालत में कंडम वाहन को रिलीज न किया जाए। मारुति वैन को हर हालत में बंद करने के आदेश दिए गए हैं। अगर स्कूल के बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी भी स्कूल के वाहन में कमी मिली तो उसे इम्पाऊंड किया जाएगा व गलती दोहराने पर स्कूल प्रबंधकों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’      -ए.डी.सी.पी. ट्रैफिक गगनेश कुमार।


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Edited By

Sunita sarangal

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