पत्नी के मरने के बाद बेटों ने भी छोड़ा साथ, दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हुआ बुजुर्ग

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2020 - 03:02 PM (IST)

जालंधर: जिस उम्र में मां-बाप की बच्चों को सेवा करनी चाहिए, उस उम्र में बुजुर्ग व्यक्ति दो वक्त की रोटी खाने को तरस रहा है। जालंधर का रहने वाला बुजुर्ग बिहारी लाल दो बेटे और बेटियां होने के बावजूद दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटक रहा है। बिहारी लाल ने बातचीत दौरान बताया कि उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बेटों की शादी और उनकी पत्नी की मौत से पहले सब कुछ ठीक था लेकिन अब एक ही मकान में वह अपने बेटों के साथ मजबूर होकर रह रहे हैं और उन्हें बेहद परेशान किया जा रहा है। 

रोटी तो क्या चाय तक नहीं पूछते दोनों बेटे 
बेटों के साथ मजबूर होकर रह रहे बिहारी लाल ने बताया कि रोटी तो दूर की बात है उनके बेटे तो उन्हें चाय के लिए भी नहीं पूछते। वह दसवंध एन.जी.ओ. में जाकर रोटी खाते हैं और रात की रोटी भी साथ ही लेकर चले आते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंधी पुलिस को भी शिकायत दी जा चुकी है। पुलिस एक-दो बार बच्चों को डांटने के लिए आई थी पर बाद में कोई भी कार्रवाई नहीं की। डी.सी. को भी इस बारे में पता है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले 19 तारीख को डी.सी. ने उन्हें बेटों सहित अपने पास बुलाया था लेकिन उनके बेटे वहां नहीं पहुंचे। वहां उन्हें बैठने के लिए कहा गया लेकिन ज्यादा देर तक वह बैठ नहीं सके और फिर वापस आ गए।

बच्चे मांगते हैं पैसे, मैं कहां से लाऊं
उन्होंने कहा कि बच्चे पैसे मांगते हैं, लेकिन वह पैसे कहां लाएं। अब वह कोई काम तो नहीं कर सकते लेकिन जीने के लिए रोटी तो खानी ही है, इसलिए वह दसवंध एन.जी.ओ. में आकर रोटी खा लेते हैं और यहीं से रात की रोटी भी 10 रुपए में ले जाते हैं। 

रात की बची हुई रोटी सुबह खाते हैं चाय के साथ 
वह रात की रोटी सुबह गर्म करके चाय के साथ खाते हैं। तीनों बेटियों की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल में हैं। लड़की के ससुराल में रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। उन्होंने बताया कि पोते-पोतियां भी उनका हाल-चाल नहीं पूछते। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि बच्चों को ऐसा नहीं करना चाहिए और बुजुर्ग मां-बाप की सेवा करनी चाहिए। 

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Sunita sarangal