Pm Modi ने जताई जनसंख्या विस्फोट की चिंता, पढ़ें, विश्व की आबादी का 18 फीसदी हिस्सा भारत में

punjabkesari.in Thursday, Aug 15, 2019 - 12:42 PM (IST)

जालंधर। (सूरज ठाकुर) 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि आबादी को शिक्षित और स्वस्थ रखना जरूरी है। हम अशिक्षित समाज के बारे में नहीं सोच सकते हैं। पीएम ने देशवासियों से छोटे परिवार की अपील की। उन्होंने कहा कि छोटा परिवार रखना भी देशभक्ति है। पीएम ने जनसंख्या विस्फोट को शिक्षा और रोजगार से भी जोड़ा। यहां आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि 2027 तक भारत डेढ़ सौ करोड़ लोगों के साथ की दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश हो जाएगा। वर्तमान में प‍ृथ्वी का 2.4 फीसदी भूभाग भारत के पास है और पूरे विश्व की आबादी के 18 फीसदी लोगों का जीवन यापन भी यहीं हो रहा है। पूरे विश्व की 20 फीसदी बीमारियां भी भारत में ही पनप रही हैं। ऐसे में किसी भी देश के मुखिया की जनसंख्या विस्पोट को लेकर चिंता करना स्वाभाविक है। PunjabKesari  

जनसंख्या में 1.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ोतरी 
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश की जनसंख्या में 1.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है, 1969 में यह दर 5.6 थी। भारत में एक महिला औसतन 2.3 बच्चों को जन्म दे रही है। चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 0.5 फीसद है और जनसंख्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाने में यह देश कामयाब हुआ है। वैश्विक जनसंख्या पर तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक विश्व की जनसंख्या 7.5 अरब से बढ़कर 9 अरब से भी अधिक हो जाएगी। जिस हिसाब से भारत की जनसंख्या में विस्फोट हो रहा है, उस हिसाब से 2027 तक यह जनसंख्या के मामले में विश्व स्तर पर पहले पायदान पर होगा।PunjabKesari

दो दशक में वृद्धि दर में गिरावट का दावा
बढ़ती हुई जनसंख्या भारत को कई तरह की चुनौतियां दे रही हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इसका प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। ऐसा नहीं हैं कि पिछले कई दशकों से इस समस्या से निपटने के प्रयास नहीं किए गए। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारों ने कई कार्यक्रम चलाए लेकिन अशिक्षा के अभाव में लोग परिवार नियोजन और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं हो पाए। देश में पानी के संससाधन भी कम है और ऐसा अनुमान है कि 2050 तक लोगों भयंकर पेयजल संकट से जूझना पड़ सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में अगले दो दशक में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट का दावा भी किया गया है। जबकि जमीनी स्तर पर इस पर काम कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी, स्वास्थ्य, परिवार, गरीबी, भुखमरी और पोषण से संबंधित कई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।PunjabKesari

खाद्यान्न, जल संकट और प्रदूषण
खाद्यान्न, जल संकट और प्रदूषण जनसंख्या में वृद्धि के कारण आने वाले समय में गंभीर रूप धारण कर सकता है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण संससाधन तेजी से घटते जा रहे हैं। विकासात्मक गतिविधियां जोर तो पकड़ रही हैं लेकिन पर्यावरण को लगातार पहुंच रहे नुकसान के कारण वैश्विक तापमान बढ़ता जा रहा है और भूजल का स्तर निंरतर गिरता जा रहा है। कई राज्यों में लोग अभी से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसंख्या को नियंत्रण करने की सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं,  इस जटिल कार्य को समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग से ही सिरे नहीं चढ़ाया गया तो आने वाले समय में इसका देश को खासा खातियाजा भुगतना पड़ेगा।    


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Suraj Thakur

Recommended News

Related News