हाल-ए-महिला थाना; इंचार्ज 3 व काम करने वाले ASI सिर्फ 4

punjabkesari.in Thursday, Mar 14, 2019 - 11:26 AM (IST)

जालंधर(शौरी): महानगर के सबसे बड़े पुलिस स्टेशन महिला थाने के हालात खराब हो चुके हैं। काऊंसलिंग एंड सपोर्ट टीम जोकि पीड़ित महिलाओं की शिकायतों की काऊंसलिंग करती है, उसे सीनियर पुलिस अधिकारियों ने बढ़ाकर एक के स्थान पर 3 टीमें तैयार कर दी हैं और तीनों में 2 इंस्पैक्टर व एक एस.आई. महिला अधिकारी को तैनात किया है। इन अधिकारियों को कप्तान तो बना दिया गया है लेकिन उनकी फौज नाममात्र है और उसमें सिर्फ 4 ए.एस.आई. तैनात हैं। 

पहले एक विंग में थे 8 ए.एस.आई., फिर भी पैंडिंग रहता था काम
दरअसल महिला थाने में पहले 2 इंचार्ज होते थे। पहली कास्ट के इंचार्ज इंस्पैक्टर देवेंद्र प्रसाद थे। जो महिलाएं अपने ससुराल पक्ष से दुखी होकर पुलिस कमिश्रर को शिकायतें देती थीं, वे उनके पास आती थीं और उनके अंडर करीब 8 ए.एस.आई. थे जो उक्त शिकायतों की काऊंसङ्क्षलग करते थे। कुछ के घर बस जाते तो कुछ मामलों में ससुराल पक्ष के खिलाफ केस दर्ज होने की सिफारिश के बाद पुलिस कमिश्रर के साइनों के पश्चात केस महिला थाने में दर्ज होता था। केस दर्ज होने के बाद महिला थाने का दूसरा विंग केस की जांच करता और ससुराल पक्ष को गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश कर अगली कार्रवाई करता लेकिन महिला थाने में रोजाना दर्जनों के हिसाब से आने वाली शिकायतें और अब तक करीब 400 शिकायतें पैंडिंग होने के चलते सीनियर पुलिस अधिकारियों ने कास्ट के 3 विंग बना दिए हैं। पहले विंग की इंचार्ज इंस्पैक्टर कुलवंत कौर, दूसरे की इंस्पैक्टर आशा रानी व तीसरे की सब-इंस्पैक्टर गुरमीत कौर हैं लेकिन तीनों कास्ट इंचार्ज को महज 4 ए.एस.आई. मिले हुए हैं। सूत्रों की मानें तो कई बार सीनियर पुलिस अधिकारियों को कहे जाने के बावजूद थाने में ए.एस.आई. नहीं भेजे जा रहे हैं। 

खूंखार कुत्तों का हो सकते हैं शिकार
वहीं महिला थाने में आने वाले लोगों को थाने आने से पहले बिस्कुट, दूध आदि साथ लाने की जरूरत है। यदि आप खाली हाथ आएंगे तो थाने में घूमने वाले खूंखार कुत्ते आपको काट सकते हैं। थाने में कई पुलिस जवानों के पीछे कुत्ते भौंकते हुए भागते हैं और कइयों को काट भी चुके हैं।

नए बने कमरों में नहीं है लाइट-पंखे 
महिला थाने में कास्ट विंग के पुलिस जवानों के बैठने के लिए बनने वाले & कमरे भी कई महीनों से शोपीस बनकर रह गए हैं। गौर हो कि महिला थाने में खस्ताहाल कमरों की खबरें ‘पंजाब केसरी’ ने प्रमुखता से प्रकाशित की थीं और बाद में कछुआ चाल से नए कमरे बनाए गए लेकिन कमरे में लाइट, पंखे, फर्नीचर, टाइलें आदि नहीं लगे जिस कारण पुलिस जवानों को देसी जुगाड़ यानी एमरजैंसी बल्ब लगाकर काम करना पड़ रहा है।

जल्द ही दूर कर दी जाएंगी सभी समस्याएं : ए.सी.पी. भल्ला
महिला थाने की समस्याओं के बारे में ए.सी.पी. हरविंद्र सिंह भल्ला से पूछा गया तो उनका कहना था कि उनके नोटिस में है कि थाने में पुलिस जवान कम होने के साथ कमरे जल्दी नहीं तैयार हो रहे हैं। इस बाबत हमने सीनियर पुलिस अधिकारियों को बता दिया है और मामले जल्द हल हो जाएंगे।

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